देश में सहकारी बैंकों की खस्ता हालत को देखते हुए एनसीपी नेता शरद पवार ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। इस पत्र के संबंध में जानकारी देते हुए शरद पवार ने लिखा है कि मैंने 100 से अधिक वर्षों की विरासत वाले सहकारी बैंकों के 'सहकारी’ चरित्र के संरक्षण के बारे में अपनी गहरी चिंता व्यक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। अपने पत्र में शरद पवार ने लिखा है कि पहली बार किसी प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में कोओपरेटिव बैंकों का जिक्र किया है।
प्रधानमंत्री ने नागरिकों के हितों को ध्यान में रखते हुए कोओपरेटिव बैंकों को रिजर्व बैंक के अधीन लाने की बात कही थी। पवार ने लिखा है कि यह वाकई में स्वागतयोग्य कदम है, लेकिन इसके साथ ही 100 से अधिक वर्षों की विरासत वाले सहकारी बैंकों के 'सहकारी’ चरित्र को भी बचाने की कोशिश की जानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ रहे हैं। लेकिन देश की बैंकिंग प्रणाली में कोओपरेटिव बैंकों की हिस्सेदारी 3 प्रतिशत है। देश के 1544 अर्बन कोओपरेटिव बैंक में से 849 बैंकों की डिपॉजिट 100 करोड़ से भी कम है।
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