शाहीन बाग में तीसरे दौर की बातचीत खत्म, साधना रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों से कहा- यह सबका हिंदुस्तान है
शाहीन बाग में पिछले दो महीने से ज्यादा समय से बंद सड़क को खुलवाने के प्रयासों के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों के साथ तीसरे दौर की बातचीत की।
नई दिल्ली: शाहीन बाग में पिछले दो महीने से ज्यादा समय से बंद सड़क को खुलवाने के प्रयासों के तहत सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त वार्ताकारों ने शुक्रवार को प्रदर्शनकारियों के साथ तीसरे दौर की बातचीत की। वार्ताकारों ने प्रदर्शनकारियों से कहा कि हमने सबकी बात सुनी, आप अपने दिल और दिमाग का इस्तेमाल करें। अफवाहों का इस्तेमाल ना करे। उन्होनें महिला प्रदर्शनकारियों से कहा कि यहां आप सब समझती है कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा हैं। आप अपने लिए सोचिए अपने बच्चों के लिए सोचिए।
साधना रामचंद्रन ने कहा कि भारत का भविष्य यह नहीं है कि हम यहां बैठे रहे, यह सबका हिंदुस्तान है। हम आपकी बात ईमानदारी के सुप्रीम कोर्ट को बता देंगे। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त दोनों वार्ताकार साधना रामचंद्रन और संजय हेगड़े शाहीन बाग में पहुंचे थे। इससे पहले गुरुवार और बुधवार को भी इन दोनों वार्ताकारों की प्रदर्शनकारियों के साथ बातचीत हुई थी लेकिन कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया था।
गुरूवार को लगातार दूसरे दिन शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों से मुलाकात की। वार्ताकार वकील संजय हेगड़े और साधना रामचंद्रन मीडिया की मौजूदगी में बातचीत शुरू नहीं करना चाह रहे थे। प्रदर्शनकारियों ने उन्हें मनाने की कोशिश की कि वे अपनी बात मीडिया के सामने रखना चाहते हैं, लेकिन पत्रकारों को बाद में जाने को कहा गया। रामचंद्रन ने प्रदर्शनकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आपने बुलाया हम चले आये।’’
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि शाहीन बाग में सड़क बंद होना परेशानी पैदा करने वाला है और प्रदर्शनकारियों को किसी दूसरी जगह जाना चाहिए जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध नहीं हो। हालांकि शीर्ष अदालत ने प्रदर्शनकारियों के विरोध के अधिकार को बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने हेगड़े से प्रदर्शनकारियों को किसी वैकल्पिक स्थान पर जाने के लिए मनाने में भी सकारात्मक भूमिका निभाने को कहा। उसने कहा कि वार्ताकार इस मामले में पूर्व नौकरशाह वजाहत हबीबुल्ला की मदद मांग सकते हैं।
हेगड़े ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उनके प्रदर्शन के अधिकार को माना है। हेगड़े ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘जब शाहीन बाग भारत में प्रदर्शन का उदाहरण बन गया है तो हमें ऐसे प्रदर्शन की मिसाल पेश करनी चाहिए जो किसी को परेशान नहीं करे। आप सभी इस बात को लेकर आश्वस्त रहें कि हम यहां आपके लिए लड़ने आये हैं। यह मत सोचिए कि जगह बदलने से आपकी लड़ाई कमजोर हो जाएगी।’’ वरिष्ठ वकील ने कहा, ‘‘हमने देखा है कि कई प्रधानमंत्री आये और चले गये। जो भी सत्ता में आता है और देश चलाता है, उनमें से कई बार कुछ सही हो सकते हैं तो कुछ गलत हो सकते हैं। आप जो कह रहे हैं, उसे पूरा देश सुन रहा है और प्रधानमंत्री भी।’’ प्रदर्शनकारी नागरिकता संशोधन कानून को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।
रामचंद्रन ने कहा कि वह उस दिन का बेसब्री से इंतजार कर रही हैं जब देश का माहौल बदलेगा। इस मौके पर एक बुजुर्ग ने अपने बच्चों की हिफाजत को लेकर फिक्र जताते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत डरा हुआ हूं। मैं अपने बच्चों के लिए डरा हुआ हूं। मैडम मुझे बचाइए।’’ जब रामचंद्रन ने उनके डर के बारे में और पूछा तो उन्होंने कहा, ‘‘मैं अकेला पिता हूं। मैं मर जाऊंगा लेकिन मेरे बच्चों को यहां हक के साथ रहने देना चाहिए। मेरी बच्चियां स्कूल जाती हैं जहां उनसे कहा जा रहा है कि आपको देश से निकाला जाएगा।’’ दोनों वार्ताकारों ने बुधवार को भी शाहीन बाग का दौरा किया था और प्रदर्शनकारियों से बातचीत शुरू करते हुए कहा था कि शीर्ष अदालत ने विरोध प्रदर्शन के उनके अधिकार को बरकरार रखा है लेकिन इससे अन्य नागरिकों के अधिकार प्रभावित नहीं होने चाहिए।