JNU छात्राओं का यौन उत्पीड़न मामला: एक और छात्रा आई सामने, दो प्रोफेसरों पर यौन शोषण का लगाया आरोप
जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्राओं के यौन शोषण मामलें लगातार सामने आ रहे हैं और आज एक और छात्रा इस पूरे मामलें में सामने आई और उसने दो प्रोफेसरों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
नई दिल्ली: जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में छात्राओं के यौन शोषण मामलें लगातार सामने आ रहे हैं और आज एक और छात्रा इस पूरे मामलें में सामने आई और उसने दो प्रोफेसरों पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। गौरतलब है कि इससे पहले 9 छात्राओं ने प्रोफेसर अतुल जौहरी के खिलाफ छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। (छात्रा आत्महत्या मामला: बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए जनता सड़क पर, 5 किलोमीटर तक जाम लगा )
स्टडी टूर पर चीन में हुआ यौन उत्पीड़न
आज पीएचडी की एक और छात्रा ने जेएनयू के दो प्रोफेसरों पर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगता हुए बताया है कि कि BRK IN सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज के प्रोफेसर महेंद्र पी लामा और राजेश खरत एक स्टडी टूर पर छात्रा को लेकर चीन गए थे जहां उसके साथ यौन शोषण किया गया। छात्रा का आरोप है कि प्रोफेसर महेंद्र पी लामा ने उसका यौन शोषण किया और प्रोफेसर राजेश खरत ने प्रोफेसर लामा की मदद की। वीसी और इंटर्नल कंप्लेंट कमेटी में शिकायत लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं
यौन उत्पीड़न की शिकार हुई छात्रा का कहना है कि उसने अपने साथ घटित हुए पूरे मामलें की शिकायत 8 जनवरी को जेएनयू के वीसी और इंटर्नल कंप्लेंट कमेटी को चिट्ठी लिखकर दी थी, लेकिन अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई। छात्रा ने जेएनयू प्रशासन को चिट्ठी लिखी है, और कहा है कि दोनों आरोपी प्रोफेसर को फौरन सस्पेंड किया जाए।
आदरणीय सर/ मैडम
मैं ये पत्र आपको 8 जनवरी 2018 को की गई शिकायतों के संदर्भ में लिख रही हूं। मैंने प्रोफेसर एम पी लामा और प्रोफेसर राजेश खरत के खिलाफ यौन उत्पीड़न की शिकायत दर्ज कराई थी। दोनों प्रोफेसर को अभी भी एसआईएस बिल्डिग और सेंटर फॉर साउथ एशियन स्टडीज में जाने से नहीं रोका गया है। इसके अलवा यूनिवर्सिटी के एडमिशन प्रक्रिया के लिए इंटरव्यू पैनल में भी दोनों प्रोफेसर को जगह दी गई है। ऐसे लोग जिन पर कई जांच चल रही हैं उन्हें ऐसी जिम्मेदारियां क्यों दी गई हैं ?
मैं आपसे निवेदन करती हूं कि प्रोफेसर महेंद्र पी लामा और प्रोफेसर राजेश खरत को सीएसएएस के इंटरव्यू पैनल से तत्काल प्रभाव से हटाया जाए। और उन्हें जांच की रिपोर्ट आने तक सस्पेंड किया जाए। अगर उन्हें पैनल से नहीं हटाया जाता है और सस्पेंड नहीं किया जाता है तो वो लोग जांच को प्रभावित कर सकते हैं।