गांधी जयंती पर सैकड़ों कैदियों को किया जाएगा रिहा, 150 गांधीवादी सेवक होंगे सम्मानित
महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार के अपराधों को छोड़कर छिटपुट मामलों के सैकड़ों दोषियों को रिहा किया जाएगा। वहीं, इससे अलग 150 गांधीवादी सेवकों को सम्मान भी दिया जाएगा।
नई दिल्ली: महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर हत्या, बलात्कार और भ्रष्टाचार के अपराधों को छोड़कर छिटपुट मामलों के सैकड़ों दोषियों को रिहा किया जाएगा। अधिकारियों ने रविवार को बताया कि दो अक्टूबर को करीब 600 कैदियों को रिहा किया जा सकता है। राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेश की सरकारों के सहयोग से गृह मंत्रालय अंतिम सूची तैयार कर रहा है।
गृह मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाने के लिए कैदियों को विशेष छूट देने की योजना के तहत अभी तक 1,424 कैदियों को राज्य एवं केन्द्र शासित प्रदेशों ने रिहा किया है। इन्हें दो अक्टूबर 2018 और छह अप्रैल 2019 को दो चरणों में रिहा किया गया।
अधिकारी ने बताया कि तीसरे चरण के तहत इस साल दो अक्टूबर को कैदियों को रिहा किया जाएगा। पिछले साल सरकार द्वारा घोषित की गई अपराध-क्षमा योजना के तहत हत्या, बलात्कार या भ्रष्टाचार के मामलों में दोषी ठहराए गए कैदियों को रिहा नहीं किया जाएगा। वहीं, इसके अलावा 150 गांधीवादी लोगों को सम्मान दिया जाएगा।
दरअसल, पर्यावरण-जल संरक्षण को लेकर दुनियाभर में बहस जारी है। महात्मा गांधी अपनी ग्राम स्वराज की अवधारणा में वर्षों पहले पर्यावरण-जल संरक्षण की बात कह चुके हैं। उन्हीं के विचारों से प्रभावित गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के गांधीवादी कार्यकर्ता मनसुखभाई सुवगिया अपने क्षेत्र में 1999 से जल संरक्षण का कार्य कर रहे हैं। सुवगिया ने क्षेत्र के 300 से अधिक गांवों में करीब 3,000 छोटे बांधों (चेक डैम) का निमार्ण शुरू किया।
उनके जल संरक्षण के प्रयासों परिणाम है कि आज कई गांवों में भूजल स्तर 40 से 50 फीट तक बढ़ गया है। ऐसी ही कहानी महाराष्ट्र के धुले जिले के गांधीवादी कार्यकर्ता हर्षल विभांडिक की है। ग्रामीणों, छात्रों और शिक्षकों से लगभग 70 प्रतिशत धन जुटाकर उन्होंने जिले के 1,103 सरकारी स्कूलों का डिजिटलीकरण किया। 2015 से जारी उनकी इस मुहिम के चलते इस आदिवासी बहुल इलाके के 2,000 से ज्यादा स्कूली बच्चों ने कॉन्वेंट को छोड़कर सरकारी स्कूल में दाखिला लिया है।
इस तरह के 150 गांधीवादी लोगों को ‘अनसंग बिल्डर्स ऑफ मॉर्डन भारत’ सूची में शामिल किया गया है। यह सूची गांधी स्मृति और दर्शन समिति ने गांधी की 150वीं जयंती के मौके पर तैयार की है। समिति ही महात्मा गांधी के समाधि स्थल राजघाट और बलिदान स्थल गांधी स्मृति का कामकाज देखती है। समिति के निदेशक दीपांकर श्रीज्ञान ने कहा, ‘‘जब महात्मा गांधी की 150वीं जयंती का उत्सव शुरू हुआ तो हमने देशभर से ऐसे 150 लोगों की सूची तैयार करने का बीड़ा उठाया जो गांधीवादी मूल्यों पर अपना जीवन जीते हों। अब यह सूची लगभग तैयार है। इसे दो अक्टूबर तक अंतिम रूप देकर जारी कर दिया जाएगा।’’
सूची में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल के चिकित्सक डॉ.आर.एस. टोंक भी शामिल हैं। वह 2007 से दिल्ली-एनसीआर के गांवों में ‘चौपाल’ लगाकर ग्रामीणों का स्वास्थ्य परीक्षण कर रहे हैं। वह अस्पताल के अन्य शिक्षकों, चिकित्सकों और छात्रों के साथ गांव का दौरा करते हैं। पिछले 12 साल में वह छह लाख से अधिक मरीजों का परीक्षण कर चुके हैं। दिल्ली की देवोत्थान सेवा समिति भी इस सूची में है।
समिति 2003 से लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कर रही है और बीते 16 सालों में 1.30 लाख से अधिक लोगों का अंतिम संस्कार कर चुकी है। समिति ने पाकिस्तान से लायी गयी 300 से अधिक लोगों की अस्थियों के गंगा विसजर्न का काम भी किया है। मुंबई की नाना पालकर स्मृति समिति भी गांधी के विचारों से प्रेरणा पाकर 1968 से गरीबों की मदद में लगी है। वह इलाज के लिए मुंबई आने वाले गरीब मरीजों को सस्ते आवास, चिकित्सकीय सहायता और अस्पतालों की प्रक्रियाओं से निपटने में मदद करती है। समिति आज भी मात्र 350 रुपये में डायलिसिस की सुविधा देती है।
सूची में कर्नाटक के डॉक्टर मलाली और कृष्णमूर्ति गौड़ा और झालावाड़ के हुकुम चंद पाटीदार जैसे और भी नाम शामिल हैं जो गांधी के मूल्यों पर चलते हुए समाज में सकारात्मक बदलाव ला रहे हैं। श्रीज्ञान ने बताया कि दो अक्टूबर को बच्चों द्वारा बनाए गए चयनित पोस्टकार्ड की प्रदर्शनी लगायी जाएगी और 150 पोस्टकार्ड पर एक कॉफी टेबल बुक प्रकाशित की जाएगी।
(इनपुट- भाषा)