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दिल्ली में झगड़ा अभी बाकी है, अब ट्रांसफर-पोस्टिंग पर अफसर Vs केजरीवाल

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के कुछ घंटों के बाद ही दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाई और इसी बैठक में ये तय कर लिया गया कि अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का काम दिल्ली सरकार देखेगी। कैबिनेट के इस फैसले के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बकायदा मीडिया से बात की और इस बारे में पारित आदेश की जानकारी दी।

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नई दिल्ली: दिल्ली का बॉस कौन है भले ही इस पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है लेकिन दिल्ली सरकार में विवाद इतनी आसानी से ख़त्म होता नजर नहीं आ रहा। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के ठीक बाद दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाई और ये तय कर लिया कि दिल्ली में ट्रांसफर-पोस्टिंग सरकार करेगी लेकिन सूत्रों से पता चला है कि दिल्ली सर्विसेज डिपार्टमेंट ने केजरीवाल सरकार के ट्रांसफर ऑर्डर मानने से इनकार कर दिया है।

देश की सबसे बड़ी अदालत का फैसला आने के कुछ घंटों के बाद ही दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक बुलाई और इसी बैठक में ये तय कर लिया गया कि अफसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का काम दिल्ली सरकार देखेगी। कैबिनेट के इस फैसले के बाद डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बकायदा मीडिया से बात की और इस बारे में पारित आदेश की जानकारी दी। सिसोदिया ने प्रेस से बात करते हुए कहा, 'विभागों में पोस्टिंग और ट्रांसफर सहित सेवाओं से संबंधित सभी शक्तियों को एलजी और अन्य अधिकारियों के साथ निहित किया गया था। सर्विसेज का मंत्री होने के नाते इस सिस्टम को तुरंत प्रभाव से बदलने का आदेश मैंने दिया है।'

ट्रांसफर-पोस्टिंग के मामले में दिल्ली सरकार आक्रामक मूड में नजर आ रही है। हालांकि सूत्रों से ये पता चला है कि सर्विस डिपार्टमेंट ने इस आर्डर को जारी करने से मना कर दिया है। जानकारी मिली है कि दिल्ली सर्विसेज डिपार्टमेंट ने केजरीवाल सरकार के ट्रांसफर ऑर्डर मानने से इनकार किया है। इस बीच सरकार की ओर से भी इस पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया जा रहा है लेकिन दिल्ली सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला नहीं मानना, अदालत की अवमानना है। इस बारे में कोर्ट में जवाब देंगे।

अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश में होम मिनिस्टरी के उस नोटिफिकेशन को ख़ारिज नहीं किया गया है जिसमें ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार उपराज्यपाल को दिया गया है। अधिकारी इस मामले में पूरी तस्वीर साफ होने का इंतजार कर रहे हैं। सीनियर ब्यूरोक्रेट्स का मानना है कि जब तक इस मामले की सुनवाई नहीं होती है, तब तक सर्विसेज के सभी अधिकार एलजी के दायरे में होंगे। आम आदमी पार्टी ने ट्वीट कर कहा, 'दिल्ली सर्विस डिपार्टमेंट ने यह कहते हुए मनीष सिसोदिया के आदेश को मानने से इनकार कर दिया है कि सरकार ट्रांसफर के फैसले नहीं ले सकती, यह सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन है।'

सुप्रीम कोर्ट ने कोशिश की दिल्ली सरकार के साथ उपराज्यपाल का टकराव न हो और दोनों मिलकर जनता के लिए काम करें लेकिन फैसला आने के तुरंत बाद केजरीवाल सरकार ने टकराव का रूख अपना लिया। सुप्राीम कोर्ट के फैसले में ये स्पष्ट नहीं है कि ट्रांसफर पोस्टिंग की जिम्मेदारी किसकी होगी। केजरीवाल ने यहीं से काम शुरू किया। उन्होंने सबसे पहले ये आदेश दिया कि अब ट्रांसफर पोस्टिंग वो खुद करेंगे। ऐसे में दिल्ली के हालात एक बार फिर से जस के तस रहने की संभावना जताई जा रही है।

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