नई दिल्ली: बीते बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने व्याभिचार पर फैसला लेते हुए कहा कि, महिलाओं के लिए इसे अपराध नहीं बनाया जा सकता। प्रमुख न्यायधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि वह इस बात पर विचार करेगी कि एडल्ट्री को अपराध बनाए रखना चाहिए या नहीं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि वह IPC की धारा 497 के उस हिस्से पर छेड़छाड़ नहीं करेंगे जिसमें किसी और की पत्नी के साथ अवैध रिश्ते रखने वाले पुरूष को दोषी बनाया जाता है। (Munger Rescue Operation: SDRF का वो जांबाज़ अधिकारी जिसने सना को सुरक्षित बाहर निकाला )
बेंच ने कहा कि, वह इस बात की भी जांच करेगी कि, IPC की यह धारा समानता के अधिकार का उल्लंघन तो नहीं करती। कोर्ट में इस बात पर भी चर्चा हुई कि अगर पति की सहमति है तो उसकी पत्नी से संबंध बनाने वाला व्यक्ति दोषी नहीं माना जाएगा।
इस पर वकील मिनाक्षी अरोड़ा ने कहा कि इस अपराध की शिकायत भी सिर्फ पति या पति का रिश्तेदार पति की सहमति से करा सकता है। यानि महिला एक वस्तु के समान समझी गई है। अदालत का समय समाप्त होने के कारण सुनवाई गुरुवार तक के लिए टल गई।
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