शुक्रवार को रिटायर होंगे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जे चेलमेश्वर, एक परिचय
एक अभूतपूर्व संवाददाता सम्मेलन में तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों का नेतृत्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस जे . चेलमेश्वर शीर्ष अदालत में करीब सात साल रहने के बाद शुक्रवार को सेवानिवृत्त होंगे।
नयी दिल्ली: चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ वस्तुत : बगावत करते हुए एक अभूतपूर्व संवाददाता सम्मेलन में तीन अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों का नेतृत्व करने वाले सुप्रीम कोर्ट के सीनियर जज जस्टिस जे . चेलमेश्वर शीर्ष अदालत में करीब सात साल रहने के बाद शुक्रवार को सेवानिवृत्त होंगे। जस्टिस रंजन गोगोई , एम बी लोकुर और कुरियन जोसेफ के साथ मिलकर चेलमेश्वर ने विशेष सीबीआई जज बी एच लोया की रहस्यमय मौत के संवेदनशील मामले सहित अन्य मामलों के चुनिंदा आवंटन पर सवाल उठाए थे। जस्टिस लोया की एक दिसंबर 2014 को मौत हो गई थी।
12 जनवरी 2018 को संवाददाता सम्मेलन की घटना सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में पहली बार हुई और इसने अदालत के गलियारे में हलचल मचा दी और पूरा देश आश्चर्यचकित रह गया। जस्टिस चेलमेश्वर ने कड़ी टिप्पणियों में कहा था, ‘‘कई चीजें पिछले कुछ महीनों में ऐसी हुई जो वांछित नहीं हैं।’’ उन्होंने कहा था, ‘‘जब तक इस संस्थान (सुप्रीम कोर्ट) को संरक्षित नहीं किया जाता और जब तक यह अपना संतुलन नहीं बना सकता, इस देश में लोकतंत्र कायम नहीं रह जाएगा। अच्छे लोकतंत्र की पहचान निष्पक्ष और स्वतंत्र न्यायाधीश होते हैं।’’
जस्टिस चेलमेश्वर शुक्रवार को 65 वर्ष के हो जाएंगे। वह नौ जजों की उस पीठ का हिस्सा थे जिसने ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित किया था। वह जस्टिस जे एस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की उस पीठ का भी हिस्सा थे जिसने उच्चतर न्यायपालिका में नियुक्ति से संबंधित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) को निरस्त किया था। हालांकि चेलमेश्वर पीठ से अलग फैसला देने वाले एकमात्र जज थे। उन्होंने कहा था, ‘‘कॉलेजियम की कार्यवाही पूरी तरह से अस्पष्ट और जनता तथा इतिहास के लिए पहुंच से दूर है।’’
न्यायाधीशों द्वारा न्यायाधीशों की नियुक्ति वाली कॉलेजियम प्रणाली का विरोध करते हुए चेलमेश्वर ने 2016 के एनजेएसी पर फैसले के बाद उच्चतर न्यायपालिका में पारदर्शिता आने तक सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम बैठकों में नहीं जाने का फैसला किया था। हालांकि बाद में उन्होंने कॉलेजियम बैठकों में भाग लिया था। उनके सहित पांच सदस्यीय कॉलेजियम की एक बैठक में उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाने के लिए उनके नाम की फिर से सिफारिश करने से सैद्धांतिक सहमति बनी थी क्योंकि केन्द्र ने उनके नाम पर फिर से विचार करने के लिए फाइल वापस भेजी थी।
जस्टिस चेलमेश्वर सूचना प्रौद्योगिकी कानून की विवादित धारा 66 ए को निरस्त करने वाली पीठ में भी शामिल थे। यह धारा कानून प्रवर्तन एजेंसियों को वेब पर आपत्तिजनक सामग्री डालने वाले व्यक्ति को गिरफ्तार करने की शक्ति देती थी। एक असामान्य कदम के तहत जस्टिस चेलमेश्वर ने विदाई समारोह में भाग लेने के सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन का न्यौता ठुकरा दिया था।
हालांकि वह परंपरा का पालन करते हुए गर्मियों की छुट्टियों से पहले अपने अंतिम कार्यदिवस 18 मई को सीजेआई मिश्रा के साथ पीठ में बैठे थे। आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के मोव्या मंडल के पेड्डा मुत्तेवी में 23 जून 1953 को जन्मे चेलमेश्वर की शुरुआती पढाई कृष्णा जिले के मछलीपत्तनम के हिन्दू हाईस्कूल से हुई और उन्होंने स्नातक चेन्नई के लोयोला कालेज से भौतिक विज्ञान में किया। उन्होंने कानून की डिग्री 1976 में विशाखापत्तनम के आंध्र विश्वविद्यालय से ली। वह तीन मई 2007 को गौहाटी हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बने थे और बाद में केरल हाईकोर्ट में स्थानान्तरित हुये। न्यायमूर्ति चेलमेश्वर 10 अक्तूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। (भाषा)