नयी दिल्ली: समझा जाता है कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट के जज के रुप में प्रोन्नति के लिए उनके नाम पर फिर से विचार करने के मकसद से शीघ्र ही कॉलेजियम की बैठक बुलाने का फैसला किया है। सरकार ने शुक्रवार को संबंधित फाइल कॉलेजियम को लौटा दी थी जिसने दस जनवरी को जस्टिस जोसेफ का नाम सुप्रीम कोर्ट के जज के रुप में प्रोन्नति के लिए सिफारिश की थी।
सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी ने बताया कि अब कॉलेजियम की बैठक होना स्वभाविक है और यह यथाशीघ्र बुलायी जाएगी।बहरहाल, अब सवाल कॉलेजियम के पांचों न्यायाधीशों की उपलब्धता का है क्योंकि कॉलेजियम के सदस्य जस्टिस मदन बी लोकुर चिकित्सा कारणों से 26-27 अप्रैल को काम पर नहीं आए थे। अधिकारी ने बताया कि यदि कोरम पूरा रहता है तो कॉलेजियम की बैठक तत्काल बुलायी जाएगी।
जस्टिस जोसेफ ने उस पीठ की अगुवाई की थी जिसने वर्ष 2016 में उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के नरेंद्र मोदी सरकार के फैसले को खारिज कर दिया था । तब राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। सरकार ने जस्टिस जोसेफ की प्रोन्नति संबंधी कॉलेजियम की सिफारिश उसके पास पुनर्विचार के लिए लौटा दी। उसने कहा कि यह प्रस्ताव शीर्ष अदालत के मापदंड के अनुरुप नहीं है और सुप्रीम कोर्ट में केरल का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है, जस्टिस जोसेफ केरल से आते हैं।
जस्टिस जोसेफ जुलाई, 2014 से उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। वह इस साल जून में 60 साल के हो जाएंगे। उन्हें 14 अक्तूबर, 2004 को केरल हाईकोर्ट में स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और उन्होंने 31 जुलाई , 2014 को उत्तराखंड हाईकोर्ट का प्रभार संभाला था। चीफ जस्टिस मिश्रा, जस्टिस जे चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस बी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के कॉलेजियम ने जस्टिस के एम जोसेफ के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर की थी।
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