नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उन 15 लोगों को बरी कर दिया, जिन्हें दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के दौरान दंगा करने, घरों में आग लगाने और कर्फ्यू के उल्लंघन के लिए पांच साल जेल की सजा सुनाई थी। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने उच्च न्यायालय के 28 नवंबर 2018 के आदेश को चुनौती देने वाले 15 दोषियों की ओर से दायर पांच अपीलों को मंजूर कर लिया।
पूर्व में उच्च न्यायालय ने 89 लोगों में से 70 लोगों की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था जिन्हें दंगा करने, घरों में आग लगाने और कर्फ्यू के उल्लंघन के लिए पांच साल जेल की सजा सुनाई गई थी। शेष 19 लोगों में से 27 अगस्त 1996 के निचली अदालत के फैसले के खिलाफ अपील के लंबित रहने के दौरान 16 की मौत हो गई। उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि तीन अन्य की अपीलें फरार रहने के कारण खारिज कर दी गईं।
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