क्या रूस ने मार ली कोरोना टीका बनाने के मामले में बाजी? जानिए भारत की वैक्सीन का क्या हुआ
रूस ने एक महीने पहले ही ये संकेत दे दिया था कि 12 अगस्त तक वो कोरोना वायरस की वैक्सीन लॉच कर देगा। पुतिन ने तो यहां तक दावा किया है कि इस वैक्सीन की डोज उन्होंने अपनी बेटियों को दी और वैक्सीन ने अपना असर भी दिखाया।
नई दिल्ली. पूरी दुनिया इस वक्त कोरोना महामारी का सामना कर रही है। दुनिया के हर देश को इस वक्त शिद्दत से सिर्फ एक ही चीज का इंतजार है। सभी जानना चाहते हैं कि कोरोना की वैक्सीन कब तक आएगी। आज वैक्सीन से जुड़ी सबसे बड़ी खबर आई रूस से। रूस ने दावा किया है कि उसने कोरोना वायरस की वैक्सीन बना ली है। रूस ने इसका नाम स्पुटनिक फाइव रखा है। स्पुटनिक दुनिया की पहली सैटेलाइट थी, जिसे रूस ने कोल्ड वॉर के दौरान लॉन्च किया था। उसका नाम स्पूटनिक वन था। इसी से मिलता जुलता वैक्सीन का भी नाम रखा गया है।
रूस के राष्ट्रपति पुतिन का दावा है कि वैक्सीन सक्सेसफुल है, पुतिन ने यह भी बताया कि उनकी बेटियों को यह टीका लगाया जा चुका है। रूस के राष्ट्रपति ने कहा, "इस सुबह दुनिया में पहली बार, नए कोरोना वायरस के खिलाफ वैक्सीन रजिस्टर्ड हुई।" उन्होंने उन सभी को धन्यवाद दिया जिन्होंने इस वैक्सीन पर काम किया है। पुतिन ने कहा कि वैक्सीन सारे जरूरी टेस्ट से गुजरी है, अब यह वैक्सीन बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए भेजी जाएगी।
रूस ने एक महीने पहले ही ये संकेत दे दिया था कि 12 अगस्त तक वो कोरोना वायरस की वैक्सीन लॉच कर देगा। पुतिन ने तो यहां तक दावा किया है कि इस वैक्सीन की डोज उन्होंने अपनी बेटियों को दी और वैक्सीन ने अपना असर भी दिखाया। दावा किया जा रहा है कि रूस ने फर्स्ट ट्रायल में ही वैक्सीन को मंजूरी दे दी। उसने सेकेंड और थर्ड स्टेज के ट्रायल को स्कीप किया है।
रूस की डिफेंस मिनिस्ट्री जानकारी दी है कि वैक्सीन से बेहतर इम्युनिटी डेवलप होने के सबूत मिले हैं। किसी भी वॉलंटियर्स में निगेटिव साइड-इफेक्ट नहीं देखा गया, जो वैक्सीन तैयार की है वह क्लीनिकल ट्रायल में 100% तक सफल रही है। गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट का दावा है कि वैक्सीन में जो पार्टिकल्स यूज हुए हैं, उससे वायरस खुद को रेप्लिकेट नहीं कर सकते।
हालांकि मल्टीनेशनल फार्मा कंपनी की एसोसिएशन ने वैक्सीन के यूज की इजाजत देने को खतरनाक कदम बताया है। इस एसोसिएशन ने रूस के स्वास्थ्य मंत्री मिखाइल मुराशको को लेटर भी लिखा है। रूस के दावे पर कई देशों में ऐतराज जताया है। ब्रिटेन ने साफ साफ कह दिया है कि वो अपने नागरिकों को ये वैक्सीन नहीं देगा। पश्चिमी देशों के साथ साथ WHO ने भी इस वैक्सीन के यूज को घातक बताया है, जबकि दूसरी तरफ रूस ने अपने रिसर्चर्स पर ही वैक्सीन का ट्रायल कर ये दावा किया है कि ये रेस वो जीत चुका है।
कोरोना वैक्सीन को लेकर दुनिया में क्या चल रहा है?
पूरी दुनिया में कोरोना को ख़त्म करने के लिये 160 वैक्सीन पर काम चल रहा है। अमेरिका, ब्रिटेन, जापान, इज़रायल, चीन और भारत भी में भी वैक्सीन के क्लिनिकल ट्रायल चल रहे हैं। 19 वैक्सीन पहले दौर के ट्रायल स्टेज में हैं, 12 वैक्सीन दूसरी स्टेज में हैं, जबकि सिर्फ़ 5 वैक्सीन तीसरी स्टेज में हैं। आख़िरी स्टेज में कुल 5 वैक्सीन पहुंच चुकी हैं और शुरुआती नतीजे अक्टूबर तक आ सकते हैं।
भारत में कहां पहुंचा कोरोना वैक्सीन का ट्रायल?
भारत में भी कोरोना की वैक्सीन का ट्रायल जोरों शोरों से चल रहा है। भारत में भारत बायोटेक की ओर से कोवावैक्सीन तैयार किया गया है, जो ह्यूमन ट्रायल के फर्सट फेज में है। भारत की दवा कंपनी जायडस कैंडिला भी कोरोना की वैक्सीन पर काम कर रही है, जो कोरोना के लिए प्जाज्मिड जीएनए वैक्सीन ‘जायकोवी-डी' तैयार कर रही है। इसका ट्रायल भी शुरू हो चुका है, जबकि तीन कंपनियां ICMR से human trial की मंजूरी मिलने का इंतजार रही हैं।