नई दिल्ली: दिल्ली में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि "20 साल पहले मैं कहता था कि गांधी जी के कल्पना का भारत आज नहीं है। भविष्य में कभी होगा या नहीं हमें तो बड़ा असंभव लगता था। मैं सारे देश में घूमता हूं और आज विश्वासपूर्ण कह सकता हूं कि गांधी जी की कल्पना के भारत का सपना साकार होना प्रारंभ हो गया है।" उन्होंने कहा कि "आज गांधी जी याद आते हैं। गांधी जी को कभी हिंदू होने की लज्जा नहीं हुई। वह कई बार बोले कि कट्टर सनातनी हिंदू हैं। उन्होंने सभी धर्मों का सम्मान करने के लिए कहा।"
मोहन भागवत ने यह बातें जगमोहन सिंह राजपूत की लिखी किताब "गांधी को समझने का यही समय" के विमोचन के मौके पर कही। मोहन भागवत ने किताब का विमोचन कर कहा कि "मेरा विश्वास है कि आज नहीं तो बीस साल बाद हम कह सकेंगे कि बापू आप चले गए थे। आज हमनें ऐसा भारत बनाया है कि आप आकर आराम से आश्रम चला सकते हैं।" भागवत ने कहा, ‘‘गांधी जी ने इस बात को समझा था कि भारत का भाग्य बदलने के लिये पहले भारत को समझना पड़ेगा और इसके लिए वह साल भर भारत में घूमे।’’
भागवत ने कहा, ‘‘इसके लिए उन्होंने (महात्मा गांधी ने) स्वयं को भारत के सामान्य जनों की आशा आकांक्षाओं से, उनकी पीड़ाओं से एकरूप होकर यह सारा विचार किया और इस विचार की दृष्टि का मूल हर भारतीय था इसीलिये उनको (गांधी जी) अपने हिंदू होने की कभी लज्जा नहीं हुयी।’’ गांधी जी द्वारा अपनी गलतियों का प्रायश्चित करने की खूबी का भी जिक्र करते हुये भागवत ने कहा कि बापू ने जो प्रयोग किये और अगर प्रयोग गड़बड़ हुये तो उन्होंने इसका प्रायश्चित भी किया।
उन्होंने कहा कभी कोई आंदोलन अगर भटक गया तो उन्होंने (गांधी जी) ने इसका प्रायश्चित भी किया। भागवत ने आज के परिवेश में आंदोलनों के भटकने पर सवाल उठाते हुये कहा, ‘‘आंदोलन में अगर कोई गड़बड़ हो जाये, कुछ कानून व्यवस्था का भय हो गया हो तो इसका प्रायश्चित लेने वाला कोई है? प्रायश्चित तो कभी कुछ लाठीचार्ज होता है, गोलीबारी होती है या जो पकड़े जाते हैं उनको भुगतना पड़ता है। जो कराने वाले हैं वो या तो जीतते हैं या हारते हैं।’’ किताब के विमोचन के साथ-साथ उन्होंने दिल्ली में गांधी स्मृति जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी दी।
Latest India News