...तो 24 साल छोटी लड़की से शादी करने के लिए 40 साल के जिन्ना ने किया ये
वरिष्ठ पत्रकार ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के जीवन के बारे में ऐसे कई दिलचस्प किस्सों का खुलासा किया है। उन्होंने अपनी पुस्तक में पारसी लड़की रूट्टी के साथ जिन्ना के विवाह के किस्से बयां किए हैं जो उनसे उम्र में 24 वर्ष छोटी थीं।
नयी दिल्ली: उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में जिन्ना की तस्वीर को लेकर घमासान बढ़ता ही जा रहा है। शुक्रवार को मामला बढ़ता देख जिला प्रशासन ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी कैंपस की सारी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी लेकिन क्या आप जानते हैं कि 24 साल छोटी लड़की से शादी करने के लिए 40 साल के जिन्ना ने क्या किया था? 40 वर्षीय मुहम्मद अली जिन्ना ने जब किशोरी रूट्टी पेटिट से शादी करने की इच्छा जताई थी तो उन्होंने उनकी दुल्हन बनने के लिए एक ही शर्त रखी कि वह अपनी मूंछें मुंडवा लेंगे। जिन्ना ने न केवल अपनी मूंछें कटवा लीं बल्कि रूट्टी को प्रभावित करने के लिए अपनी केशसज्जा भी बदल डाली।
वरिष्ठ पत्रकार शीला रेड्डी ने पाकिस्तान के संस्थापक जिन्ना के जीवन के बारे में ऐसे कई दिलचस्प किस्सों का खुलासा किया है। उन्होंने अपनी पुस्तक मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना - द मैरिज दैट शुक इंडिया में पारसी लड़की रूट्टी के साथ जिन्ना के विवाह के किस्से बयां किए हैं जो उनसे उम्र में 24 वर्ष छोटी थीं। उन्होंने कल शाम यहां अपनी पुस्तक के बारे में एक सचित्र व्याख्यान दिया। रेड्डी ने इस मौके पर जिन्ना और उनकी पत्नी तथा दोनों परिवारों के दुर्लभ चित्रों के अलावा उनके जीवन के रोचक किस्से सामने रखे। (भाजपा के पूर्व मंत्री की बेटी ने इंटरनेट पर मचाई सनसनी)
उन्होंने रूट्टी के पिता दिनशा मानेकजी पेटिट की तस्वीर के साथ वह मजेदार किस्सा भी बताया जिसमें जिन्ना ने अपने बैरिस्टर कौशल का इस्तेमाल करते हुए उनसे उनकी पुत्री का हाथ मांगा था। रेड्डी ने कहा, जिन्ना की रूट्टी के पिता से बातचीत हो रही थी और उन्होंने उनसे अंतर समुदाय विवाह के बारे में उनका रूख पूछा। अब स्वयं को राजनीतिक रूप से सही दिखाने के लिए दिनशा मानेकजी पेटिट ने कहा, यह देश की एकता के लिए अच्छी बात होगी। रेड्डी ने कहा, अब जिन्ना ने अगला सवाल किया मैं आपकी पुत्री से विवाह करना चाहता हूं। यह कहा जाता है कि उन्हें दरवाजे से बाहर फेंकवा दिया गया था और दोनों के बीच उसके बाद कभी मुलाकात नहीं हुई।
रूट्टी रतन बाई का छोटा नाम है। वह उस समय 16 वर्ष की ही थीं, विवाह के लिए उनके कानूनी रूप से योग्य होने तक दोनों को दो वर्ष इंतजार करना पड़ा। जैसे ही वह 18 वर्ष की हुईं दोनों का 1918 में बम्बई के जिन्ना हाऊस में विवाह हो गया। रूट्टी के परिवार का कोई भी सदस्य विवाह में शामिल नहीं हुआ। रेड्डी ने कहा कि रूट्टी ने विवाह के लिए इस्लाम कबूल किया और मरियम नाम रख लिया। रेड्डी यद्यपि पुस्तक में उल्लिखित किस्सों तक सीमित नहीं रहीं, उन्होंने पुस्तक लिखने की कहानी भी बतायी। उन्होंने बताया कि नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी में उनकी नजर रूट्टी के कुछ पत्रों पर पड़ी जो उन्होंने सरोजनी नायडू की दो पुत्रियों पद्मजा और लीलामणि नायडू को लिखे थे।
शुरूआत में रेड्डी के दिमाग में यह बात आयी कि उनके पास एक पुस्तक लिखने के लिए सब कुछ है लेकिन उन्हें बाद में अहसास हुआ कि उन्हें अभी लंबा सफर तय करना है और उस सफर में पाकिस्तान एक महत्वपूर्ण स्थल होगा। उन्होंने कहा, मैं इस्लामाबाद गई और जिन्ना और पेटिट तथा अन्य के बीच लिखे हुए पत्रों की बाबत जानकारी जुटाई। इन सबमें मुझे इस बात का अहसास नहीं हुआ कि मैंने रजिस्टर में अपना भारत वाला पता लिख दिया है। रेड्डी ने कहा, गड़बड़ी की आशंका पर उन्होंने मुझे वहां से चले जाने के लिए कहा और मेरे वहां प्रवेश पर रोक लगा दी गई। इसके बावजूद मैं अपने पाकिस्तानी मित्र की मदद से कुछ फाइलें हासिल करने में सफल रही। यद्यपि उसमें जिन्ना की पुत्री द्वारा उन्हें लिखे गए कुछ पत्रों के अलावा कुछ भी नहीं था।
लेखक की तलाश मुम्बई वापस लौटने पर समाप्त हुई। रेड्डी को पाकिस्तानी विद्वानों ने कहा, आप गलत स्थान पर हैं, बम्बई जाइये। जिन्ना ने अपने जीवन का काफी समय बम्बई में बिताया था जहां वह बंटवारे के बाद पाकिस्तान जाने से पहले तक रहे। रूट्टी की 1929 में कैंसर से मृत्यु हो गई और जिन्ना पाकिस्तान जाने से पहले आखिरी बार बम्बई स्थित उनकी कब्र पर गए थे।