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Hindi News भारत राष्ट्रीय Republic Day 2019: 70वें गणतंत्र दिवस पर दिखा भारत का पराक्रम, कई नए हथियारों का प्रदर्शन

Republic Day 2019: 70वें गणतंत्र दिवस पर दिखा भारत का पराक्रम, कई नए हथियारों का प्रदर्शन

इस बार सेना में शामिल किए गए नए हथियारों के अलावा महिला अर्द्धसैनिक बल द्वारा पहली बार मार्च किया गया। इसके अलावा पुरुष टीमों का नेतृत्व भी महिला ऑफिसरों ने ही किया। बोफोर्स के आने के 30 साल बाद पहली बार सेना एम777 और के9 वज्र का प्रदर्शन गणतंत्र दिवस परेड में किया गया।

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नई दिल्ली: 70वें गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली के राजपथ पर एक ओर देश की सशस्त्र सेनाओं की ताकत दिखी तो दूसरी ओर देश के अलग-अलग हिस्सों की कला-संस्कृति की खूबसूरत तस्वीर देखने को मिली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने परेड की सलामी ली। इस बार सेना में शामिल किए गए नए हथियारों के अलावा महिला अर्द्धसैनिक बल द्वारा पहली बार मार्च किया गया। इसके अलावा पुरुष टीमों का नेतृत्व भी महिला ऑफिसरों ने ही किया। बोफोर्स के आने के 30 साल बाद पहली बार सेना एम777 और के9 वज्र का प्रदर्शन गणतंत्र दिवस परेड में किया गया।

पहली बार परेड में सेना ने अपनी नई तोपों का प्रदर्शन किया। पिछले साल ही अमेरिका से लाई गई एम777 ए2 अल्ट्रा लाइट होवित्सर भी इस परेड में देखने को मिली। इसके अलावा भारत में ही बनी के9 वज्र का प्रदर्शन भी किया गया, इसका निर्माण एल ऐंड टी ने पीएम मोदी के 'मेक इन इंडिया' के तहत किया था।

एम777 एक 155एमएम तोपें है, जिसकी अधिकतम रेंज 30 किलोमीटर है। यह बंदूक अफगानिस्तान में युद्ध के दौरान भी इस्तेमाल की गई थी। 2017 में भारत और अमेरिका के बीच 5000 करोड़ रुपये की लागत से 145 होवित्सर खरीद की डील हुई थी। वहीं दूसरी तरफ के9 वज्र दक्षिण कोरियाई आर्टिलरी गन है। एल ऐंड टी इस गन टेक्नॉलजी को दक्षिण कोरिया से लाई है। कंपनी ने 4500 करोड़ रुपये में 100 यूनिट की सप्लाई की है।

दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा इस साल गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि हैं। अधिकारियों ने बताया कि नेल्सन मंडेला के बाद भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने वाले वह दूसरे दक्षिण अफ्रीकी राष्ट्रपति है। इंडियन नेशनल आर्मी (आईएनए) के चार दिग्ग्जों ने भी इस परेड में हिस्सा लिया जिनकी आयु 90 वर्ष से अधिक है। समाारोह में नारी शक्ति का भी बोलबाला रहा। असम राइफल्स की महिला टुकड़ी ने पहली बार परेड में हिस्सा लेकर एक इतिहास बनाया। इस टुकड़ी का नेतृत्व मेजर खुशबू कंवर ने किया।

नौसेना, सेना सेवा कोर की टुकड़ी और कोर ऑफ सिग्नल्स की एक इकाई का नेतृत्व भी महिला अधिकारियों ने किया। परेड की शुरुआत हेलीकॉप्टर से गुलाब की पत्तियां बरने के साथ हुई। परेड सर्द मौसम और कड़ी सुरक्षा के बीच पूरी हुई। किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए हजारों सुरक्षा कर्मी, विमान रोधी बंदूकें और शार्पशूटर तैनात किए गए थे। भारीतय सेना के टी-90 टैंक, बॉलवे मशीन पीकेट (बीएमपी-II/II के), सर्फेज माइन क्लियरिंग सिस्टम, 115 मिमी/52 कैलिबर ट्रैकड सेल्फ प्रोपेल्ड गन (के-9 वज्र), ट्रांसपोर्टेबल सैटेलाइट टर्मिनल, ट्रूप लेवल रडार एंड आकाश वेपन सिस्टन का भी परेड में प्रदर्शन किया गया।

परेड में सिख लाइट इन्फैंट्री, जम्मू और कश्मीर लाइट इन्फैंट्री, गोरखा ब्रिगेड, सेना सेवा कोर, सेना आपूर्ति कोर (उत्तर), प्रादेशिक सेना बटालियन की पैदल सेना ने हिस्सा लिया। भारतीय नौसेना का ब्रास बैंड, पैदल सेना तथा झांकी और वायु सेना का बैंड और पैदल सेना भी यहां पहुंची थी। पैरा-मिलिट्री और अन्य सहायक बलों ने राष्ट्रीय कैडेट कोर और राष्ट्रीय सेवा योजना के साथ परेड में भाग लिया।

सिक्किम, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, गुजरात, पंजाब, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, गोवा, अण्डमान-निकोबार द्वीपसमूह और उत्तराखंड की झाकियां भी जश्न में शामिल हुईं। प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार जीतने वाले 26 बच्चे भी जीप में सवार होकर राजपथ पहुंचे। परेड में स्कूली बच्चों ने भी प्रस्तुति दी। मोटर साइकिल पर भी हर साल की तरह इस बार भी जांबाजों ने कई तरह के करतव दिखाए जिसका वहां बैठे दर्शकों ने तालियां से स्वागत किया। सर्द मौसम के बावजूद परेड देखने पहुंचे लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं दिखी।

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