'नोटयुद्ध' में बोले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राहुल गांधी को कालेधन से इतना प्यार क्यों हैं?
8 नवंबर को मोदी सरकार के बड़े फैसले नोटबंदी का एक साल पूरा हो रहा है। विरोधी सवाल उठा रहे हैं कि नोटबंदी से क्या मिला?
नई दिल्ली: 8 नवंबर को मोदी सरकार के बड़े फैसले नोटबंदी का एक साल पूरा हो रहा है। विरोधी सवाल उठा रहे हैं कि नोटबंदी से क्या मिला? नोटबंदी से कालाधन तो वापस आया नहीं फिर इसका क्या फायदा? राहुल गांधी चुनाव प्रचार में भी नोटबंदी का मुद्दा जोर शोर से उठा रहे हैं। कांग्रेस समेत सारे विरोधी दल आठ नंवबर को काला दिवस मनाएंगे लेकिन सरकार का दावा है कि नोटबंदी एक सही कदम था और इसका असर अब दिखने लगा है।
इंडिया टीवी के स्पेशल शो 'नोटयुद्ध' में कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि उन्हें गर्व है कि कालाधन रोकने के लिए मोदी सरकार ने इतना बड़ा ऐतिहासिक फैसला लिया। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नोटबंदी के दौरान बैंकों में वापस आया सारा पैसा व्हाइट नहीं हो गया है। जमा कराने वालों से हिसाब मांगा जा रहा है।
राहुल गांधी को कालेधन से इतना प्यार क्यों है- प्रसाद
रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के काला दिवस मनाने के फैसले पर तीखा वार किया। उन्होंने कहा, राहुल गांधी और उनकी पार्टी को कालेधन से इतना प्यार क्यों है हमें ये समझ में नहीं आता। कांग्रेस सरकार के समय जल, थल और नभ जगह-जगह घोटाले हुए। उनके समय में कालेधन को रोकने के लिए क्या कार्रवाई हुई। आज हमें गर्व है कि मोदी जी ने हिम्मत दिखाई कि भारत को कालाधन घुन की तरह खा रहा था। अब काली कमाई करने वालों को हिसाब देना पड़ेगा। साथ ही नोटबंदी से आतंकयों और नक्सलियों की कमर टूटी है।
‘राहुल को न इकोनॉमिक्स की समझ है ना ही जीएसटी की’
हाल ही में राहुल गांधी ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहा था आज रविशंकर प्रसाद ने इसका भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, राहुल को न इकोनॉमिक्स की समझ है ना ही जीएसटी की...और राहुल के जो सलाहकार हैं वो भी उन्हें ठीक से समझा नहीं पा रहे हैं।
‘राहुल ने यूपीए सरकार में गीता उपदेश दिए होते तो इतने घोटाले नहीं होते’
आज राहुल गांधी ने हिमाचल प्रदेश में चुनाव प्रचार के दौरान गीता के श्लोक का हवाला दिया था, कहा था कि मोदी जी गीता उपदेश को उल्टा पढ़ाते हैं, वो कहते हैं कि फल खाओ, कर्म की चिंता ना करो इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि काश राहुल गांधी ने यूपीए सरकार के दस सालों में गीता उपदेश दिए होते तो इतने घोटाले नहीं होते।
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