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Hindi News भारत राष्ट्रीय Ram Rahim Convicted: दोषी 'इंसां' और मरती 'इंसानियत'

Ram Rahim Convicted: दोषी 'इंसां' और मरती 'इंसानियत'

बीते दो दिन से जिस माहौल को मीडिया, आम जनता और अदालत भाँप गयी उसे समझने में सरकार ने चूक कर दी। रामपाल केस में और जाट आरक्षण आंदोलन की आग में झुलसे हरियाणा को देखने के बाद भी सरकार ने कोई सबक़ नहीं लिया?

Ram Rahim Convicted- India TV Hindi Ram Rahim Convicted

एक स्वयंभू बाबा कैसे सरकारी तंत्र पर भारी पड़ता है इसकी बानगी पूरे देश ने शुक्रवार को हर न्यूज़ चैनल पर देखी। आज के अख़बारों की सुर्ख़ियों की काली स्याही हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार के मुँह पर कालिख की तरह पुत गयी है। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को कोर्ट ने 2002 में बलात्कार का दोषी क़रार क्या दिया पूरा पंचकूला जल उठा। दोषी बाबा था लेकिन सज़ा 31 लोगों ने अपनी जान गवां कर भुगती। सैकड़ों वाहन, इमारतें फूँक दी गयी। 250 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। सड़क पर धारा 144 सिर्फ़ मखौल बन कर रह गयी। इसलिए यह घटना हरियाणा सरकार की पोल खोलती है, सवाल उठाती है हालात बिगड़ने के पीछे किसकी ग़लती है।

जब डेरा समर्थक अपने मुखिया के प्रति श्रद्धा दिखाने एकजुट हो रहे थे तब खट्टर सरकार क्या कर रही थी?

धारा 144 का सरेआम मज़ाक बन गया। जहाँ 4-5 लोगों के ग्रूप में रहना वर्जित हो वहाँ लाखों लोग इक्कठे होने लगे। पुलिस ने बॉर्डर सील क्यों नहीं किए?

बीते दो दिन से जिस माहौल को मीडिया, आम जनता और अदालत भाँप गयी उसे समझने में सरकार ने चूक कर दी। रामपाल केस में और जाट आरक्षण आंदोलन की आग में झुलसे हरियाणा को देखने के बाद भी सरकार ने कोई सबक़ नहीं लिया?

राम रहीम की गाड़ी के साथ 180 से ज़्यादा गाड़ियों का क़ाफ़िला ताक़त की नुमाइश नहीं था तो और क्या था! क्या हमारी पुलिस इतनी बेबस है कि एक रेप का आरोपी शक्ति प्रदर्शन करे और तंत्र देखता ही रहे?

जब हालात को क़ाबू करने के लिए सेना बुलाई गयी तो हालात बिगड़ने के बाद ही उनके हाथ कमान क्यूँ दी गयी? किस बात का इंतज़ार किया जाता रहा? सरकार किसके प्रति अपनी भक्ति और शक्ति सहेजे हुए थी?

हरियाणा सरकार के शिक्षा मंत्री क्या जनता के सामने आकर माफ़ी माँगेंगे जो राम रहीम की चरण वंदना करते नहीं थकते थे। जो डेरा समर्थकों का पक्ष लेते हुए कह रहे थे की श्रद्धा पर धारा 144 लागू नहीं होती। क्या रामविलास शर्मा को माफ़ी नहीं माँगनी चाहिए?

मनोहर लाल खट्टर भले ही स्वीकार करें की स्थिति से निपटने में चूक हुई लेकिन सच यह है की सरकारी अपील में दम नहीं था।

शर्म आती है ऐसी स्थिति देखकर जहाँ बलात्कार का आरोपी वीवीआईपी सुविधाओं में सलाखों के पीछे है और पुलिस-पब्लिक जूते घिस रही है। दुःख होता है कुछ देशवासियों की अंध भक्ति देख कर जो 70 बच्चों के मरने पर सड़क पर नहीं उतरते, लेकिन एक बलात्कारी और हत्याओं के आरोप से घिरे बाबा को बचाने के लिए शासन के संरक्षण में 3 लाख लोग सड़कों पर क़त्ले-आम मचाने को तैयार हो गए।

देख तेरे 'इंसान' की हालत क्या हो गयी भगवान!!

(ब्‍लॉग लेखिका मीनाक्षी जोशी देश के नंबर वन चैनल इंडिया टीवी में कार्यरत हैं और चर्चित टीवी एंकर हैं। )

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