राम रहीम ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया, CBI कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
रेप केस में सजा काट रहे डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में अपील की है। राम रहीम ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी है।
रोहतक (हरियाणा): जेल में बंद डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम ने दो साध्वियों से बलात्कार के मामले में विशेष सीबीआई अदालत द्वारा 20 साल की कैद की सजा सुनाये जाने को चुनौती देते हुए आज पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में अपील दायर की। पंचकूला की विशेष सीबीआई अदालत ने राम रहीम को दोषसिद्धि के बाद 28 अगस्त को 20 साल की कैद की सजा सुनाई थी।
बचाव पक्ष के वकील विशाल गर्ग नरवाना ने यहां कहा, हमने पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में आज अपील दायर की। इसके माध्यम से हमने सीबीआई अदालत के आदेश को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि कई आधारों पर सीबीआई अदालत के फैसले को चुनौती दी गयी है। उन्होंने कहा, एक आधार यह है कि घटना के बाद सीबीआई द्वारा महिलाओं के बयान दर्ज करने में छह साल की देरी की गयी।
उन्होंने कहा कि सीबीआई ने दावा किया है कि दोनों महिला अनुयायियों का 1999 में यौन उत्पीड़न किया गया और एजेंसी ने 2005 में बयान दर्ज किया। नरवाना ने आरोप लगाया कि सीबीआई ने पीड़िता के बयान का कुछ हिस्सा छिपा भी लिया।
विशेष सीबीआई अदालत ने 25 अगस्त को राम रहीम को इस मामले में दोषी ठहराया था जिसके बाद पंचकूला और सिरसा जिलों में हिंसा एवं आगजनी हुयी थी। इस हिंसा में 41 लोगों की जान चली गयी थी और कई अन्य घायल हुए थे। विवादास्पद बाबा इस समय रोहतक की सुनारिया जेल में है।
पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को अप्रैल, 2002 में भेजे गये एक गुमनाम पत्र सिरसा में डेरा सच्चा सौदा के मुख्यालय में महिला अनुयायियों के कथित यौन शोषण करने की शिकायत की गयी थी। उच्च न्यायालय ने मई, 2002 में सिरसा जिला एवं सत्र अदालत को इस आरोप की जांच करने का निर्देश दिया। जब जिला अदालत ने यौन शोषण की संभावना का संकेत दिया तब सितंबर, 2002 में उच्च न्यायालय ने यह मामला सीबीआई को सौंप दिया। सीबीआई ने दिसंबर 2002 में राम रहीम के खिलाफ बलात्कार एवं अपराधिक धौंसपट्टी का मामला दर्ज किया था।
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