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Hindi News भारत राष्ट्रीय राम मंदिर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आने की करते हैं आशा: RSS

राम मंदिर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आने की करते हैं आशा: RSS

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) ने आशा व्यक्त की है कि राम मंदिर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा,

Ram Mandir verdict will be in Hindus favor hopes RSS- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Ram Mandir verdict will be in Hindus favor hopes RSS

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) ने आशा व्यक्त की है कि राम मंदिर का फैसला हिंदुओं के पक्ष में आएगा, संघ के सहकार्यवाह भय्याजी जोशी ने शुक्रवार को यह बयान दिया है। भय्याजी जोशी ने कहा ''हमारा यह मानना रहा है कि अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण को लेकर सभी बाधाओं को समाप्त किया जाना चाहिए।अब इस मामले को लेकर न्यायालय में सुनवाई पूरी हो चुकी है,अब सबको निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए।और हम आशा करते हैं कि निर्णय हिन्दुओं के पक्ष में आयेगा।''

राम मंदिर के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 16 अक्तूबर को ही खत्म हो गई है, सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के बाद देशभर में इस पर अब कोर्ट के फैसले का इंतजार किया जा रहा है, ऐसी संभावना जताई जा रही है कि नवंबर के पहले पखवाड़े में सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर पर अपना फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई 17 नवंबर को सेवानिवृत हो रहे हैं और ऐसी संभावना है कि मुख्य न्यायाधीश के सेवानिवृत होने से पहले राम मंदिर के मुद्दे पर फैसला आ सकता है। 

इस बीच खबरें यह भी आई थीं कि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने मध्यस्थता से हल निकालने और जमीन पर दावा छोड़ने की बात कही थी, लेकिन अयोध्या भूमि विवाद में मुस्लिम पक्षकारों ने बयान जारी कर सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा मामला वापस लेने संबंधी खबरों पर शुक्रवार को हैरानी जताई। अयोध्या भूमि विवाद में अहम मुस्लिम वादी एम सिद्दीक के वकील एजाज मकबूल ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़कर सभी मुस्लिम पक्षों ने समझौते को खारिज कर दिया है क्योंकि विवाद के मुख्य हिंदू पक्षकार मध्यस्थता प्रक्रिया और इसके तथाकथित समाधान का हिस्सा नहीं थे। सुन्नी वक्फ बोर्ड को छोड़कर मुस्लिम पक्षकारों ने स्पष्टीकरण बयान जारी कर कहा कि वे उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त मध्यस्थता समिति के राम जन्मभूमि बाबरी मस्जिद भूमि विवाद को सौहार्दपूर्वक सुलझाने के लिए तथाकथित समझौते के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेंगे।

 

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