रक्षामंत्री राजनाथ सिंह का लेह दौरा टल गया है। मंत्रालय की ओर से फिलहाल इसका कोई कारण नहीं बताया गया था। बता दें कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह थलसेना प्रमुख जनरल एम एम नरवणे के साथ लेह-लद्दाख जाने वाले थे। तय कार्यक्रम के अनुसार लेह पहुंचने पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को सेना की 14वी कोर ('फायर एंड फ्यूरी') के मुख्यालय का दौरा करना था। वहां लेह कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को पूर्वी लद्दाख से सटी वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन से चल रही तनातनी के बारे में एक प्रेजंटेशन देनी थी।
आपको बता दें कि मंगलवार को हुई बैठक में दोनों देशों की सेनाएं सैनिकों को विवादित इलाके से पीछे करने और सैनिकों की संख्या कम करने पर राजी हो गए हैं। लेकिन ये डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया एक बेहद जटिल और लंबी प्रक्रिया है और इसके लिए अभी सैन्य और राजनयिक स्तर पर अभी और मीटिंग की जरूरत है। मंगलवार की मीटिंग में दोनों देश के कमांडर इस बात पर राजी हो गए हैं कि किसी विवादित क्षेत्र में डिसइंगेजमेंट यानि सैनिकों को पीछे हटने के करीब 72 घंटे तक दोनों देश की सेनाएं एक दूसरी के पीछे हटने की मूवमेंट पर नजर रखी जाएगी।
अगर ये चरण सफल रहा तो तभी दूसरे विवादित क्षेत्र पर डिसइंगेजमेंट प्रक्रियआ शुरू होगी. ऐसे में पूर्वी लद्दाख से सटी पूरी 856 किलोमीटर लंबी एलएसी यानि लाइन ऑफ एक्चुयल कंट्रोल पर डिसइंगेजमेंट प्रक्रिया एक लंबा वक्त ले सकता है. हालांकि, इस एलएसी पर फिंगर-एरिया, गलवान घाटी (पैट्रोलिंग पॉइंट नंबर ,14, 15 और 17) , डेपसांग प्लेन्स और गोगरा जैसे कुल सात मुख्य विवादित इलाके हैं जहां पहले डी-एसक्लेशन यानि सैनिकों की तादाद कम करने पर जोर दिया जाएगा।
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