नई दिल्ली: चीनी सैनिकों के साथ एलएसी पर हुई हिंसक झड़प को लेकर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सीडीएस बिपिन रावत के साथ बैठक की। इस बैठक में तीनों सेनाओं के अध्यक्ष और विदेश मंत्री एस. जयशंकर भी मौजदू थे। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस पूरे मामले की रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप सकते हैं। बताया जा रहा है कि इस मुद्दे पर चीन के खिलाफ भारत कोई बड़ा कदम उठा सकता है।
बता दें कि भारत और चीन सीमा जहां पिछले 4 दशकों से हिंसा नहीं देखने को मिली वहां माहौल सोमवार रात अचानक बदल गया। चीन की तरफ से लद्दाख सीमा पर हिंसा हुई जिसमें सेना के एक अधिकारी और दो जवान शहीद हो गए। ऐसा करीब 45 साल बाद हुआ है कि भारत-चीन बॉर्डर पर हिंसा में किसी सैनिक की शहादत हुई हो।
वैसे माना जाता है कि एलएसी पर आखिरी फायरिंग (दोनों तरफ से) 1967 में हुई थी, लेकिन ऐसा सच नहीं है। चीन की तरफ से 1975 में भी भारतीय सैनिकों पर हमला हुआ था। इस बीच बीजेपी सांसद राकेश सिन्हा ने कहा- चीन की यह हरकत बर्दाश्त करने योग्य नहीं है और इस हरकत का जवाब देना चाहिए।
वहीं चीन से लगे पूर्वी लद्दाख के सीमावर्ती गांवों में रहने वाले करीब 2,000 लोग इलाके में जारी भारी सैन्य मूवमेंट से चिंतित हैं। बुजुर्गों का दावा है कि 1962 के बाद पहली बार अपनी तरफ से इतने बड़े पैमाने पर सैन्य मूवमेंट दिखाई दे रहा है। इस घटना के बाद लद्दाख सीमा पर पिछले एक महीने से ज्यादा वक्त से जारी तनाव और गहरा गया है।
एलएसी पर हिंसक झड़प को लेकर चीन के विदेश मंत्रालय ने भारतीय सेना पर सीमा पार करने का झूठा आरोप लगाया है। साथ ही चीन ने भारतीय सैनिकों पर भी हमला करने का आरोप लगाया है। हालांकि, चीन ने अपने बयान में अपना डर भी जाहिर कर दिया। चीन को डर है कि अब भारत इस घटना के बाद कुछ बड़ी कार्रवाई कर सकता है। ऐसे में चीन ने कहा कि हम चाहते हैं कि भारत एकतरफा कार्रवाई न करे।
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