राजस्थान: बाड़मेर हाइवे पर देश की पहली लैंडिंग स्ट्रिप का उद्धाटन, 19 महीने में बना 3 किमी लंबा रनवे
एनएच-925 भारत का पहला राष्ट्रीय राजमार्ग है जिसका इस्तेमाल वायुसेना के विमानों को आपात स्थिति में उतारने के लिए किया जाएगा।
नई दिल्ली: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने गुरुवार को राजस्थान में राष्ट्रीय राजमार्ग-925 पर इमरजेंसी लैंडिंग फील्ड (ईएलएफ) का उद्घाटन किया। राजस्थान में बाड़मेर के दक्षिण में एनएच-925 के गंधव भाकासर खंड पर आपातकालीन लैंडिंग पट्टी पर पहली बार राष्ट्रीय राजमार्ग का उपयोग आईएएफ विमानों की आपातकालीन लैंडिंग के लिए किया जाएगा।
एनएचएआई ने भारतीय वायु सेना के लिए एक आपातकालीन लैंडिंग सुविधा (ईएलएफ) विकसित की थी, जो गगरिया-बखासर और सट्टा-गंधव खंड के नए विकसित टू-लेन पेव्ड शोल्डर का एक हिस्सा है, जिसकी भारतमाला योजना के तहत कुल लंबाई 196.97 किलोमीटर है, जिसकी लागत 765.52 करोड़ रुपये है।
सुरक्षा नेटवर्क मजबूत
यह परियोजना अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर स्थित बाड़मेर और जालोर जिलों के गांवों के बीच संपर्क में सुधार करेगी। पश्चिमी सीमा क्षेत्र में स्थित यह खंड भारतीय सेना की सतर्कता को सुगम बनाने के साथ-साथ देश के बुनियादी ढांचे को मजबूत करेगा। इस आपातकालीन लैंडिंग पट्टी के अलावा, वायु सेना और भारतीय सेना की आवश्यकताओं के अनुसार, इस परियोजना में कुंदनपुरा, सिंघानिया और बखासर गांवों में तीन हेलीपैड (प्रत्येक आकार में 100 गुणा 30 मीटर) का निर्माण किया गया है। इसका उद्देश्य देश की पश्चिमी अंतर्राष्ट्रीय सीमा पर भारतीय सेना और सुरक्षा नेटवर्क को मजबूत करना है।
19 महीने में निर्माण
ईएलएफ का निर्माण 19 महीने की अवधि में किया गया था। इस ईएलएफ का काम जुलाई 2019 में शुरू किया गया था और जनवरी 2021 में पूरा किया गया। निर्माण का काम जीएचवी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आईएएफ और एनएचएआई की देखरेख में किया गया।सामान्य समय के दौरान सड़क यातायात के सुचारू प्रवाह के लिए ईएलएफ का उपयोग किया जाएगा। लेकिन भारतीय वायु सेना के आदेश के लिए ईएलएफ के संचालन के दौरान, सड़क यातायात के सुचारू प्रवाह के लिए सर्विस रोड का उपयोग किया जाएगा। इसका निर्माण 3.5 किमी लंबाई में किया गया है। यह लैंडिंग स्ट्रिप भारतीय वायु सेना के सभी प्रकार के विमानों की लैंडिंग की सुविधा प्रदान करने में सक्षम होगी।
33 करोड़ रुपए की लागत
इस रनवे की चौड़ाई 33 मीटर है जबकि लंबाई 3 किलोमीटर रखी गई है। इस हवाई पट्टी को बनाने में करीब 33 करोड़ रुपए की लागत आई है। बाड़मेर सामरिक तौर पर बेहम अहमियत रखता है इसलिए एयर स्ट्रिप के तौर पर इस जगह को चुना गया। राजस्थान के बाड़मेर जिला का बॉर्डर पाकिस्तान से लगता है और इस एयर स्ट्रिप से पाकिस्तान की दूरी महज 40 किलोमीटर है। यानी जंग के दौरान चंद मिनटों में पाकिस्तान पर तेज तरार एयरस्ट्राइक की जा सकती है।
12 हाइवे एयरस्ट्रिप्स
50 साल पहले 1971 के भारत पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तानी एयरफोर्स ने भुज एयरबेस पर बम दागे थे। इससे एयरबेस का रनवे तबाह हो गया था और एयर ऑपरेशंस रुक गए थे। भविष्य में ऐसी नौबत दोबारा ना आए इसके लिए 12 हाइवे एयरस्ट्रिप्स तैयार किए जा रहे हैं।
- बिजबेहरा-चिनार बाग
- बनिहाल-श्रीनगर
- फलोदी-जैसलमेर
- द्वारका-मलिया
- लखनऊ-बलिया
- खड़गपुर-बालासोर
- खड़गपुर-क्योंझर
- नेल्लोरे-ओंगोले
- ओंगोले-चिकलूरिपेट
- चेन्नई-पुदुच्चेरी
- कोडियाकराय-रामनाथपुरम
आपको बता दें कि इससे पहले आगरा दिल्ली एक्सप्रेस और लखनऊ आगरा एक्सप्रेस वे पर फाइटर जेट्स की लैंडिंग हो चुकी है, लेकिन बॉर्डर के पास अभी तक ऐसी कोई सड़क मौजूद नहीं थी जहां पर इमरजेंसी के वक्त लैंडिंग और टेकऑफ की जा सके। बाड़मेर एयर स्ट्रिप में सिर्फ प्लेन की लैंडिंग नहीं होगी बल्कि जंग के दौरान ये एरिया मिनी एयरबेस बन जाएगा।
वॉर रूम का काम करेगा
एयर स्ट्रिप के दोनों तरफ 4X180 मीटर की दो पार्किंग बनाई गई है ताकि जरूरत पड़ने पर प्लेन को पार्किंग में खड़ा किया जा सके। इसके अलावा 25 X 65 मीटर के दो मंजिला एटीसी केबिन तैयार किया गया है। जो वॉर रूम का काम करेगा। यहां पर से मोबाइल रडार रिस्टम भी ऑपरेट होगा और प्लेन की सुरक्षा के लिए एयर डिफेंस सिस्टम भी लगाया जा सकता है।
इनपुट-आईएएनएस