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Rajat Sharma's Column: अंधों को आइना

राहुल गांधी ये मानकर क्यों बैठे हैं कि जब कांग्रेस चुनाव जीतती है तो जनता उन्हें वोट देती है लेकिन मोदी जीतते हैं तो शहादत को भुनाते हैं या इवीएम में गड़बड़ी करवाते हैं।

Rajat Sharma's column on politics on pulwama terror attack - India TV Hindi Image Source : INDIA TV Rajat Sharma's column on politics on pulwama terror attack 

मैं हैरान हूं, राहुल गांधी पूछ रहे हैं कि पुलवामा में एक साल पहले जो हमला हुआ उससे किसको फ़ायदा मिला? सब समझते है कि उनका मतलब क्या है?  कोई खुल कर कहता नहीं, लेकिन मैं साफ़ साफ़ कहना चाहता हूं। राहुल गांधी कहना चाहते हैं कि पुलवामा में हमारे जवानों की शहादत का फ़ायदा नरेंद्र मोदी को हुआ। इसकी वज़ह से वो चुनाव जीत गए। ये बातें मैं उस दिन से सुन रहा हूं, जिस दिन से मोदी चुनाव जीते और राहुल चुनाव हारे। अब कोई राहुल से भी पूछ सकता है कि इंदिरा जी की हत्या का फ़ायदा किसे हुआ? सुखबीर बादल को ये पूछने से कैसे रोक सकते हैं कि दिल्ली में जो सिखों का क़त्लेआम हुआ था, उसका फ़ायदा किसको हुआ? सुब्रमण्यम स्वामी पूछ रहे हैं कि महात्मा गांधी की हत्या का फ़ायदा किसको हुआ? शहादत को, हत्या को वोटों की सौदेबाज़ी की नज़र से देखने को, मैं अपराध मानता हूं, लेकिन ये कुछ लोगों की आदत है।  जब मोदी गुजरात में चुनाव जीते थे तो भी उन्हें मौत का सौदागर कहा गया था। मतलब ये जताया गया कि मोदी लोकप्रिय नहीं हैं। वो या तो दंगे करा कर चुनाव जीते या जवानों की शहादत कराकर। और जब ये नहीं हुआ तो मोदी EVM  में हेरा फेरी कर के चुनाव जीते। ये हमारे चुनावों का, देश की जनता का मज़ाक़ नहीं तो और क्या है?  ऐसी बातें कह कर आप देश के करोड़ों लोगों को मूर्ख कह रहे हैं। जो इंसान पिछले 19 साल से एक भी चुनाव नहीं हारा, उनके बारे में राहुल गांधी कहते हैं कि लोग इन्हें वोट नहीं देते वो तो हेरा-फेरी करके चुनाव जीतते हैं।

बात इतनी ही नहीं है, अपने यहां के सितारों से आगे जहां और भी हैं। इमरान खान ने पुलवामा का हमला होने के बाद यही कहा था कि ये मोदी ने चुनाव जीतने के लिए करवाया है। जब हमारी फौज ने पाकिस्तान को घर में घुसकर मारा, बालाकोट में आतंकवादी कैंपों का सफाया किया तो इमरान खान ने कहा था, भारतीय वायुसेना पाकिस्तान का कोई नुकसान नहीं कर पाई, हवाई हमला हुआ पर दो चार पेड़ गिरे, कौवे मरे और कुछ नहीं हुआ। मुझे याद है उस वक्त भी राहुल गांधी ने सबूत मांगे थे। पहले जब सर्जिकल स्ट्राइक हुई थी तब भी राहुल को शक था, उन्होंने सबूत मांगे थे क्योंकि वो इमरान खान की तरह मानते हैं कि ये आतंकवादी हमले और इनका जवाब सबकुछ ड्रामा है, जो मोदी चुनाव जीतने के लिए करते हैं।

लेकिन जो लोग ऐसी बातें करेंगे तो जवाब भी उसी भाषा में मिलेगा..अभी दो-चार दिन पहले सुब्रमण्यम स्वामी ने पूछा था कि गांधी जी को तीन नहीं चार गोलियां लगी थीं, वो चौथी गोली कहां से आई? पूछा कि गांधी जी जिन दो लड़कियों के कंधे पर हाथ रखकर चलते थे उनसे पूछताछ क्यों नहीं की गई? स्वामी पूछ रहे हैं कि महात्मा गांधी के बलिदान से किसे फायदा हुआ? ये सबकुछ राहुल गांधी के बयानों की तरह ट्विटर पर है। कुछ महीने पहले मैंने सुना था लोगों को ये पूछते हुए कि क्या लाल बहादुर शास्त्री की ताशकंद में हत्या की गई थी, शास्त्री जी का शरीर नीला क्यों पड़ गया था? उन्हें वक्त रहते डॉक्टर की मदद क्यों नहीं मिली? फिर सवाल ये भी था कि शास्त्री जी के निधन से किसका फायदा हुआ? जब संजय गांधी प्लेन क्रैश में मारे गए थे तब भी इस तरह की बातें सुनने को मिलती थीं कि क्या उन्हें किसी ने मरवाया? संजय के रहते राजीव गांधी राजनीति में न थे और न आ सकते थे, तो संजय गांधी की मौत का फायदा किसको हुआ? राजीव गांधी की जब हत्या हुई तब सुब्रमण्यम स्वामी ने सवाल पूछे थे- उस हत्या से किसका फायदा हुआ? स्वामी राजीव गांधी के राजनैतिक साथी थे, उनकी मदद करते थे, आज उन्हें बोलने का मौका मिले तो वो साफ साफ कह देंगे कि राजीव को उसने मरवाया जिसको राजीव के जाने के बाद कांग्रेस की कमान संभालने का मौका मिला, साफ साफ लफ्ज़ो में कहूं तो इंटरनेट पर सोशल मीडिया पर ऐसी कई बेसिर पैर की कहानिया पढ़ने को मिलेंगी कि राजीव गांधी की मौत के लिए सोनिया गांधी जिम्मेदार हैं। मुझे लगता है ऐसा सोचना भी पाप है, अन्याय है।

मैं ऐसी सारी बातों को निराधार और कोरी बकवास मानता हूं। ये हारे हुए और हताश दिमागों की उपज हैं, चाहे पुलवामा हो, 84 के दंगे या शास्त्री जी और राजीव गांधी का निधन, महात्मा गांधी की हत्या हो या इंदिरा गांधी की हत्या, इनको राजनैतिक फायदे और नुकसान की नज़र से देखना पाप है। इन बातों को कहना झूठ और अफवाह के बाज़ार को मजबूत करना है और मैं इसे लोकतंत्र के लिए घातक मानता हूं।  नेहरू जी पर, इंदिरा जी पर, राजीव जी पर और सोनिया पर राजनैतिक फायदा उठाने के जैसे आरोप लगे, इन्हें सुनकर राहुल गांधी को समझ आ जाना चाहिए कि हत्या और बलिदान हमेशा किसी षड़यंत्र या सौदेबाजी का हिस्सा नहीं होते। नरेंद्र मोदी पर ये आरोप लगाना कि उन्होंने पुलवामा का हमला चुनाव जीतने के लिए करवाया, उतना ही घटिया झूठ और बकवास है, जितना यह कहना कि राजनीति में आने के लिए सोनिया गांधी ने अपने ही पति की हत्या करवाई।​

राहुल गांधी ये मानकर क्यों बैठे हैं कि जब कांग्रेस चुनाव जीतती है तो जनता उन्हें वोट देती है लेकिन मोदी जीतते हैं तो शहादत को भुनाते हैं या इवीएम में गड़बड़ी करवाते हैं। इंदिरा गांधी की हत्या का असर हुआ था, राजीव गांधी ने ऐतिहासिक जीत हासिल की थी, लेकिन वो राजीव गांधी का षड़यंत्र नहीं था, पुलवामा में आतंकवादी हमला और उसके बाद बालाकोट पर वायुसेना की बमबारी का असर लोगों की भावनाओं पर हुआ, लेकिन ये नरेंद्र मोदी का षड़यंत्र नहीं था।​

इस तरह की बयानबाज़ी बंद होनी चाहिए। इस तरह की अफवाहों पर रोक लगाने की जरूरत है। इंटरनेट के जमाने में ऐसी बातें बहुत तेज़ी से फैलती हैं, बेकार के शक पैदा करती हैं, कड़वाहट को जन्म देती हैं। बस इतना मान लीजिए, हर शहादत वोटों की तिजारत नहीं होती। बस इतना समझ लीजिए कि हर राजनैतिक हत्या फायदा उठाने की कवायद नहीं होती। लेकिन फिर सोचता हूं अफवाहों के इस बाज़ार में मेरी बात कौन सुनेगा। लगता है कि अंधों के शहर में आईना बेचने निकला हूं।

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