Rajat Sharma's Blog: मुसलिम महिलाओं के लिए ट्रिपल तलाक़ बिल ज़रूरी क्यों है ?
यह ऐतिहासिक बिल अगर कानून की शक्ल अख्तियार करता है तो उन मुसलिम महिलाओं के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी जो अपने पति की सनक के कारण अन्याय का सामना कर रही थीं।
लोकसभा ने गुरुवार को मुस्लिम महिला (विवाग अधिकार संरक्षण) बिल ध्वनिमत से पास कर दिया. कांग्रेस, जनता दल युनाइटेड, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी और कई अन्य दलों ने बिल का विरोध किया एवं सदन से वॉकआउट किया । यह बिल आम तौर पर ट्रिपल तलाक बिल के रूप में जाना जाता है। लोकसभा ने उस बिल को तीसरी बार पास किया है। इस विधेयक में उन मुस्लिम पुरुषों के लिए 3 साल क़ैद की सजा का प्रावधान है जो तीन बार 'तलाक़' शब्द का इस्तेमाल करके अपनी पत्नी को मौखिक रूप से या अन्य किसी माध्यम से तलाक़ दे देते हैं।
यह विधेयक पिछली लोकसभा में दो बार पारित हो चुका है, लेकिन राज्यसभा से मंजूरी नहीं मिल पाने के कारण लैप्स हो गया था। इस बिल पर बहस का जवाब देते हुए कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही ट्रिपल तलाक़ को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है, लेकिन देश के सबसे बडे कोर्ट के फैसले के बावजूद देश भर में ट्रिपल तलाक़ के सैकड़ों मामले सामने आए हैं ।
यह ऐतिहासिक बिल अगर कानून की शक्ल अख्तियार करता है तो उन मुसलिम महिलाओं के लिए एक नए युग की शुरुआत होगी जो अपने पति की सनक के कारण अन्याय का सामना कर रही थीं। यह एक प्रगतिशील कानून है जो भारत में मुसलिम समुदाय का चेहरा बदल सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं हो सकती कि पत्नी को तीन बार तलाक कहकर, या व्हाट्सऐप या एसमएस के जरिए मैसेज भेजकर तलाक़ दे देना मुस्लिम महिलाओं के साथ सरासर नाइन्साफी है।
दुनिया का कोई भी मजहब इस तरह तलाक़ देने की इजाजत नहीं देता । भारत में मौलानाओं और उलेमा ने इस सामाजिक बुराई को खत्म करने का वादा किया था, उनमें से कुछ ने कोशिशें भी की लेकिन उनकी कोशिशें कामयाब नहीं हो सकीं। वहीं दूसरी तरफ, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और अन्य मुसलिम संगठनों ने इस बिल के खिलाफ देश भर में विरोध-प्रदर्शन किए।
आंकडों पर अगर नज़र डालें तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी ट्रिपल तलाक़ के 345 मामले सामने आए। इस बिल को लागू करने के लिए तीन बार अध्यादेश लाए गए लेकिन उसके बाद भी ‘ट्रिपल तलाक’ के 101 मामले दायर किए गए। भारत जैसे बड़े देश में ये आंकड़े मामूली लग सकते हैं, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि इस तरह के कुछ ही मामले सामने आते हैं और अधिकांश मामलों में केस ही नहीं दर्ज होता।
कुछ मुसलिम नेताओं ने इस मामले को मजहब से जोड़ने की कोशिश की है। जमीनी हकीकत यह है कि पाकिस्तान, ईरान, इराक, सीरिया, सऊदी अरब, अफगानिस्तान और बांग्लादेश सहित 22 मुसलिम देशों ने 'तीन तलाक़' को खत्म कर दिया है। यह आरोप लगाना भी गलत है कि सरकार अकेले मुसलिम समुदाय को निशाना बनाने की कोशिश कर रही है। भारत सरकार ने अतीत में हिंदू समुदाय से सामाजिक बुराइयों को मिटाने के उद्देश्य से हिन्दू मैरेज एक्ट पास करवाया था और उसके बाद कालांतर में दहेज उन्मूलन कानून और सती प्रथानिवारण कानून बनाया था।
प्रगतिशील सोच वाले सभी लोगों से अपील है कि वे मुसलिम समुदाय से 'ट्रिपल तलाक़ ' की बुराई को खत्म करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों का समर्थन करें ताकि उन लाखों मुसलिम महिलाओं को इन्साफ मिल सके जिनके सिर पर रोज़ाना ट्रिपल तलाक़ की तलवार लटकी रहती है। मैं फिर से सभी मुसलिम संगठनों और व्यक्तियों से भी अपील करूंगा कि वे इस सामाजिक बुराई को मिटाने में साथ देने के लिए आगे आएं। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात रजत शर्मा के साथ', 25 जुलाई 2019 का पूरा एपिसोड