दिल्ली पुलिस की एक विशेष जांच टीम ने शुक्रवार को 9 स्टूडेंट ऐक्टिविस्ट्स के नामों का खुलासा किया, और उनपर आरोप लगाया कि वे जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के कैंपस में हुई हिंसा में शामिल थे। इन छात्रों में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष आइशी घोष भी शामिल थीं। जिन छात्रों के नामों का खुलासा किया गया उनमें से 7 वामपंथी धड़ों से हैं और बाकी के 2 अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े हैं।
घटनाओं के वीडियो और उनके सीक्वेंस को देखते हुए यह बात तो बिल्कुल साफ है कि जेएनयू में जो हिंसा हुई वह केवल छात्रों के बीच का झगड़ा नहीं था, बल्कि स्टूडेंट्स के पॉलिटिकल ग्रुप्स की लड़ाई का नतीजा था। बात इतनी सी है कि वामपंथी छात्र समूहों ने हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी के खिलाफ एक आंदोलन शुरू किया था जिसने बाद में राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का रूप ले लिया।
असल में अक्टूबर से आंदोलन कर रहे वामपंथी दलों के छात्र संगठन बिल्कुल नहीं चाहते थे कि JNU में रेग्युलर क्लासेज शुरू हों, क्योंकि इससे उनका आंदोलन कमजोर पड़ जाता। क्लासेज शुरू करने के लिए जेएनयू प्रशासन ने पिछले महीने विंटर सेशन के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू कर दिया। लेफ्ट से जुड़े कार्यकर्ताओं के तमाम विरोध के बावजूद तीन हजार से ज्यादा छात्रों ने रजिस्ट्रेशन भी करा लिया। ABVP के समर्थक कोशिश कर रहे थे कि कि स्टूडेंट्स ज्यादा से ज्यादा की संख्या में रजिस्ट्रेशन करें ताकि वामपंथी छात्रों का आंदोलन कमजोर पड़ जाए।
परेशानी तब शुरू हुई जब लेफ्ट ऐक्टिविस्टस ने एबीवीपी समर्थक छात्रों को रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में हिस्सा लेने से रोक दिया। उन्होंने कुछ छात्रों को मारा-पीटा और यूनिवर्सिटी के सर्वर को तोड़ दिया। इस तरह लेफ्ट के कार्यकर्ताओं ने रजिस्ट्रेशन की पूरी प्रक्रिया को बाधित कर दिया। इसके बाद नकाबपोश छात्रों के हमले हुए और फिर दूसरी तरफ से हमले का जवाब भी दिया गया। मतलब यह गुंडागर्दी दोनों तरफ से हुई थी और दोनों ही धड़ों ने नकाबपोश गुंडे बुलाए थे। यहां मुख्य मुद्दा हॉस्टल फीस में बढ़ोतरी को लेकर नहीं, बल्कि राजनीतिक वर्चस्व का था।।
अब जबकि दिल्ली पुलिस की एसआईटी मामले की जांच कर रही है, हमें उम्मीद है कि हिंसा में शामिल सारे चेहरे सामने आ जाएंगे। हालांकि यह सवाल बरकरार है कि आखिर बार-बार जेएनयू में ही इस तरह की घटनाएं क्यों होती हैं। भारत में 900 से ज्यादा विश्वविद्यालय हैं, लेकिन सिर्फ जेएनयू में ही ‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’ और ‘आजादी’ के नारे क्यों लगते हैं? वे कौन लोग हैं जो जेएनयू में अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहते हैं? इस पर एक बार सोचना चाहिए। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 10 जनवरी 2020 का पूरा एपिसोड
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