Rajat Sharma's Blog: मुसलमान नागरिकता कानून को लेकर अपने मन से डर की भावना को दूर निकाल लें
मुसलमानों से यह कहा जा रहा है कि उन्हें देश में अपनी नागरिकता के सबूत देने पड़ेंगे। मुसलमानों से यह भी कहा जा रहा है कि हिन्दुओं, बौद्धों, जैन और सिखों को नागरिकता के सबूत नहीं देने होंगे, केवल मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। जबकि यह बात बिल्कुल गलत है।
असम में तनावपूर्ण शांति के बीच सोमवार को छात्रों ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, जादवपुर युनिवर्सिटी, यूपी के मऊ, लखनऊ के दारूल उलूम नदवातुल सेमिनरी और केरल के कोच्चि में नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन किया। दिल्ली के जामिया मिल्लिया इस्लामिया में हालात तनावपूर्ण से थे जहां रविवार को हिंसा और आगजनी हुई थी। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीएए और एनआरसी के खिलाफ कोलकाता में एक विशाल जुलूस का नेतृत्व किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक के बाद एक किए गए कई ट्वीट में लोगों से 'शांति, एकता और भाईचारे' को बनाए रखने की अपील की। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा- 'मैं प्रत्येक व्यक्ति से किसी भी तरह की अफवाह और गलत खबरों से दूर रहने की अपील करता हूं। हम किसी भी निहित स्वार्थी समूह को लोगों के बीच विभाजन फैलाने और अशांति पैदा करने की इजाजत नहीं दे सकते।' पीएम मोदी ने कहा कि संशोधित नागरिकता कानून पर हिंसक प्रदर्शन ‘दुर्भाग्यपूर्ण एवं बेहद निराशाजनक’ हैं।
यहां सवाल ये उठता है कि आखिर देशभर में इतना विरोध-प्रदर्शन और इतनी हिंसा क्यों? प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा-'सीएए किसी भी धर्म के भारत के नागरिक को प्रभावित नहीं करता है। किसी भी भारतीय को इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है।'
इस नागरिकता संशोधन कानून का भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। ये सिर्फ पड़ोस के इस्लामिक पड़ोसी देशों के उन शरणार्थियों के लिए नागरिकता का रास्ता साफ करता है जो धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। फिर ये देशव्यापी विरोध क्यों?
मुझे लगता है कि इसके पीछे मुख्य वजह मुसलमानों के मन में बैठाया गया डर है। यह डर कुछ जगह मस्जिद के मौलवियों द्वारा, कुछ लोकल एक्टिविस्ट द्वारा, कहीं कांग्रेस नेताओं द्वारा और सबसे ज्यादा सोशल मीडिया द्वारा मुसलमानों के बीच फैलाया जा रहा। मुसलमानों से यह कहा जा रहा है कि उन्हें देश में अपनी नागरिकता के सबूत देने पड़ेंगे। मुसलमानों से यह भी कहा जा रहा है कि हिन्दुओं, बौद्धों, जैन और सिखों को नागरिकता के सबूत नहीं देने होंगे, केवल मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। जबकि यह बात बिल्कुल गलत है।
इस सच्चाई के बावजूद कि भारतीय मुसलमानों को अपनी नागरिकता को लेकर किसी तरह के दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं होगी, मुस्लिम भाई-बहन यह पूछ रहे हैं कि क्या वाकई उन्हें आनेवाले समय में नागरिकता के सबूत देने होंगे या ऐसा कोई दस्तावेज बनाने के लिए कहा जाएगा? क्या वे अपनी भारतीय नागरिकता खो देंगे? वे कहां जाएंगे?
यह भय की वह भावना है जो उन्हें जगह-जगह होने वाले विरोध-प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए मजबूर करती है। अब जरूरत इस बात की है कि सरकार मुसलमानों को यह समझाए और आश्वस्त करे कि ऐसा कुछ भी नहीं होगा। मुसलमानों के मन में व्याप्त डर की भावना को दूर करने के लिए सरकार उनके साथ संवाद करे।
मैं सभी मुसलमान भाई-बहनों से यह अपील करता हूं कि वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की बात पर भरोसा करें। उनकी नागरिकता को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है। उन्हें अपनी नागरिकता साबित करने के लिए किसी तरह के सबूत नहीं देने पड़ेंगे। यह नागरिकता संशोधन कानून सिर्फ बांग्लादेश, अफगानिस्तान और पाकिस्तान से भारत में आए शरणार्थियों के लिए है। इस कानून का भारत में रहनेवाले मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 16 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड