Rajat Sharma's Blog: पीएम मोदी ने यूं दिखाई कोरोना वायरस के खतरे से निपटने की राह
जिन दो शब्दों पर उन्होंने बार-बार जोर दिया, वे थे ‘संयम’ और ‘संकल्प’। याद रखें, कोरोना वायरस का विस्फोट अचानक होता है और लोगों की जान जाती है। हम यह सोचकर नहीं बैठ सकते कि यह हमारे लिए उतना बड़ा खतरा नहीं बनेगा जितना कि अन्य देशों में बना है।
गुरुवार रात राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में लेने वाले कोरोना वायरस महामारी की व्यापकता को न तो छिपाया और न इसके खतरे को कम करके बताया। उन्होंने जनता में डर पैदा करने की कोशिश भी नहीं की, बल्कि इस खतरे के बारे में समझाया और इससे निपटने की राह दिखाई। मैं रविवार (22 मार्च) को सुबह 7 बजे से रात 9 बजे तक पूरे भारत में 'जनता कर्फ्यू' की उनकी अपील का पूरा समर्थन करता हूं। मैं आप सभी से हाथ जोड़कर 'जनता कर्फ्यू' लागू करने की अपील करता हूं। इससे दुनिया को बड़े पैमाने पर एक मजबूत संदेश जाएगा कि भारत इस खतरे से लड़ने के लिए एकजुट है।
प्रधानमंत्री ने खुद कहा, ‘यह हमारे लिए एक तरह से यह देखने का लिटमस टेस्ट होगा कि भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ने के लिए कितना तैयार है।’ उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे डॉक्टरों, नर्सों, पैरामेडिक्स, नगरपालिका कर्मचारियों, पुलिस और एयरपोर्ट के कर्मचारियों का आभार व्यक्त करने के लिए रविवार को शाम 5 बजे अपनी बालकनी में जाकर या खिड़कियों से ताली, थाली और घंटी बजाकर अपना समर्थन व्यक्त करें। उन्होंने कहा, ‘वे राष्ट्र के रक्षक हैं।’
संक्षेप में, मुझे उनके भाषण से ये 9 बातें खास लगीं: 1. सतर्क रहें और जब तक बेहद जरूरी न हो घर से बाहर न निकलें। 2. जिनकी उम्र 60-65 साल से ज्यादा है उन्हें ज्यादा खतरा है, इसलिए वे घर पर ही रहें। 3. रविवार को जनता कर्फ्यू का पालन करें। 4. रविवार को शाम 5 बजे स्वास्थ्य कर्मचारियों, नगरपालिका कर्मचारियों, पुलिस और अन्य आवश्यक कर्मचारियों के प्रति आभार व्यक्त करें। 6. जब तक बहुत जरूरी न हो, अस्पतालों में जाने से बचें। 6. राजकोषीय उपायों पर सुझाव देने के लिए Covid-19 टास्क फोर्स का गठन। 7. व्यापारियों से कहा कि अगर काम करने वाले न पहुंचे तो उनकी तनख्वाह न काटी जाए। 8. पैनिक बायिंग न करें क्योंकि देश में भोजन और आवश्यक सामग्री का पर्याप्त भंडार है 9. अफवाहों पर विश्वास न करें और संयम बरतें।
अतीत में किसी भी प्रधानमंत्री ने इतने बड़े स्वास्थ्य संकट से निपटने में जनता से सहयोग नहीं मांगा था। मोदी ने धैर्य से खतरे की भयावहता को समझाया और बताया कि इससे कैसे लड़ना है। जिन दो शब्दों पर उन्होंने बार-बार जोर दिया, वे थे ‘संयम’ और ‘संकल्प’। याद रखें, कोरोना वायरस का विस्फोट अचानक होता है और लोगों की जान जाती है। हम यह सोचकर नहीं बैठ सकते कि यह हमारे लिए उतना बड़ा खतरा नहीं बनेगा जितना कि अन्य देशों में बना है।
अंत में, अफवाहों और फर्जी दावों पर बिल्कुल भरोसा न करें। बुधवार को राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के हवाले से सोशल मीडिया पर एक फर्जी संदेश फैलाया गया था कि देश में एक लंबा लॉकडाउन होने वाला है। हजारों लोगों ने इसे सच माना और बड़े शहरों में घबराहट फैल गई। सरकार को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा कि यह सर्कुलर फर्जी था। इसी तरह बाबाओं और नीम हकीमों के दावों पर भी भरोसा न करें कि गोमूत्र यां ऊंट का मूत्र पीने, तेल में पीपल का पत्ता उबालने, तुलसी और नीम के पत्ते खाने या शहद, अदरक और नींबू मिश्रित पानी पीने से इस वायरस से बचाव होगा। इन दावों का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। सोशल डिस्टैंसिंग और स्वास्थ्य मंत्रालय के दिशानिर्देशों का पालन ही इस वैश्विक संकट से निपटने की कुंजी है।
रविवार की शाम को अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को धन्यवाद देते हुए हमें अपने प्रधानमंत्री को भी धन्यवाद देना चाहिए, जिन्होंने सही प्लानिंग के साथ समय पर कार्रवाई करते हुए इस वायरस को भारत में फैलने से रोक लिया। वह वास्तव में हमारी सलामी के हकदार हैं। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 19 मार्च 2020 का पूरा एपिसोड