Rajat Sharma's Blog: पीएम मोदी ने कैसे चीन को लद्दाख में अपनी फौज पीछे हटाने के लिए मजबूर किया
साठ साल में चीन को कभी सख्त जबाव नहीं मिला था, इसलिए चीन की हिम्मत बढ़ी थी, लेकिन साठ साल में पहली बार चीन को भारत ने आंख दिखाई, तो ड्रैगन चुपचाप अपने रास्ते वापस हो लिया।
भारत ने सोमवार को एक बड़ी सफलता हासिल की जब गलवान घाटी, पैंगोंग झील और गोगरा हॉट स्प्रिंग में 2 महीने तक चले लंबे गतिरोध के बाद लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर तनाव वाली जगहों से भारत और चीन के सैनिक अब पीछे हटना शुरू हुए हैं।
चीनी सैनिकों ने अपने टेंट हटा लिए हैं और पैंगोंग झील के फिंगर 5 की तरफ जाते हुए देखे गए हैं। जबकि गलवान घाटी के पेट्रोलिंग प्वाइंट 14 जहां 15 जून को खूनी हिंसक झड़प हुई थी और भारत के सेना अधिकारी सहित 20 जवान शहीद हुए थे तथा भारी संख्या में चीनी सैनिक भी मरे थे, में ‘बफर जोन’ तैयार किया गया है। चीनी सैनिक लगभग 2 किलोमीटर पीछे हट गए हैं। गोगरा हॉट स्प्रिंग में तनाव वाली जगह पेट्रोलिंग प्वाइंट 15 और 17ए में भी इसी तरह सैनिक पीछे हटे हैं।
तस्वीर अब पूरी तरह साफ है। चीनी सैनिकों के जमावड़े से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृढ़ संकल्प से यह कामयाबी हासिल हुई है। चीन ने दो महीने पहले आक्रामक मुद्रा अपना ली थी, पर अब उसके तेवर शांत हो गए हैं। अब चीनी सैनिक अपने टेंट और बख्तरबंद गाड़ियों के साथ पीछे हटना शुरू हो गए हैं। संक्षेप में कहें तो चीन ने अतिक्रमण के जरिए जिस विवाद को पैदा किया था उसपर भारत ने पूर्ण विराम लगा दिया है।
भारत ने चीन को साफ-साफ बता दिया था कि भारत पड़ोसियों के साथ शान्ति चाहता है, सदभाव चाहता है, लेकिन देश की संप्रभुता की कीमत पर नहीं, अखंडता की कीमत पर नहीं। अगर चीन सरहद पर गड़बड़ी करेगा, तो भारत हर तरह से तैयार है। इस सख्त और साफ मैसेज के बाद चीन को कदम पीछे खींचने पड़े। जो चीन भारत को साठ साल से आंख दिखा रहा था, जो चीन साठ साल से धीरे-धीरे हमारी जमीन पर कब्जा कर रहा था, साठ साल में चीन को कभी सख्त जबाव नहीं मिला था, इसलिए चीन की हिम्मत बढ़ी थी, लेकिन साठ साल में पहली बार चीन को भारत ने आंख दिखाई, तो ड्रैगन चुपचाप अपने रास्ते वापस हो लिया। चीन को अब समझ आ गया है कि भारत बदल गया है, भारत का मिजाज बदल गया है, भारत के तेवर बदल गए हैं, भारत का कॉन्फिडेंस लेवल बदल गया है । अब पुराना भारत नहीं रहा कि चीनी सैनिक आएंगे, हमारी जमीन पर कब्जा करेंगे और भारत चुपचाप देखता रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुनिया को दिखा दिया कि कूटनीति के साथ-साथ रणनीतिक कौशल भी जरूरी होता है। मोदी ने सिर्फ कूटनीति से काम नहीं लिया, डिप्लोमेसी के साथ-साथ इकोनॉमिक और सैन्य शक्ति का भी सहारा लिया। दुनिया ने देखा कि भारत का प्रधानमंत्री, 130 करोड़ लोगों का मुखिया, अपने सैनिकों के साथ खुद सरहद पर खड़ा है। इसके बाद चीन को भी समझ आ गया था कि अब कोई रास्ता नहीं, भारत पर प्रेशर बनाने का कोई फायदा नहीं। मोदी ने उसी दिन कहा था कि वीर भोग्या वसुन्धरा, अब विस्तारवाद का जमाना गया, अब विकासवाद का वक्त है और ये बात विस्तारवादी ताकतों को समझनी होगी।
मोदी ने चीन का नाम नहीं लिया था कि लेकिन संदेश साफ था, चीन भी भारत की ताकत को और भारत की भावना को समझ गया । इसके बाद बाकी रही सही बात हमारे नेशनल सिक्युरिटी एडवाइजर अजीत डोभल ने पूरी कर दी। डोभल ने चीन के विदेश मंत्री से बात की, दो घंटे तक बात हुई और आखिरकार चीन को पीछे हटना पड़ा ।
अंत में दोनों पक्ष तनाव वाली जगहों से सेना को पीछे हटाने और तनाव के दौरान तैयार किए गए ढांचों को हटाने पर सहमत हुए। चीनी सैनिकों की वापसी को लेकर भारत बहुत सतर्क है और ड्रोन, सैटेलाइट तस्वीरें तथा फिजिकल वैरिफिकेशन के जरिए पैनी नजर बनाए हुए है।
टकराव वाली जगहों पर सैन्य उपस्थिति खत्म करके ‘बफर जोन’ बनाना सैनिकों के पीछे हटने की योजना का पहला चरण होगा। इसके बाद 3-4 हफ्ते स्थिरता रखी जाएगी और दोनों पक्ष प्रक्रिया पर निगरानी रखेंगे और अगर कोई नया विवाद पैदा होता है तो उसका समाधान करेंगे। इसके बाद LAC के दोनों तरफ सेना के भारी जमावड़े को कम करने के लिए कूटनीतिक और सैनिक स्तर पर बात की जाएगी। सैनिकों की वापसी की पूरी योजना को अंतिम रूप देने के लिए इस साल सितंबर या अक्तूबर तक का समय लग सकता है।
नरेन्द्र मोदी ने चीन को ये साफ बता दिया कि मैप हो या एप हो, अगर अपनी सीमा पार करोगे तो करारा जबाव मिलेगा। नरेन्द्र मोदी ने ये भी बता दिया कि ये नया भारत है, दुश्मन को वहां चोट करता हैं जहां उसको दर्द सबसे ज्यादा होता है। पहले तो प्रधानमंत्री के लेह के दौरे ने भारत का इरादा बिल्कुल साफ कर दिया कि अब वो जमाना चला गया कि जब भारत डर के बैठ जाता था, चीन ने भी देख लिया कि मोदी न तो डोकलाम में झुके, न वन बैल्ट वन रोड पर समझौता किया, दूसरी तरफ चीन पर आर्थिक दवाब बनाया, आत्मनिर्भर भारत का आह्वान कर चीन के सामान के बॉयकॉट का माहौल बनाकर ऐसी हालत कर दी कि चीनी कंपनियां शी जिंगपिंग की सरकार के सामने जाकर सॉल्यूशन निकालने की मांग करने लगी। फिर मोदी ने चीन के 59 एप्स पर बैन लगा कर चीन पर टैक्नोलॉजिकल प्रेशर बनाया। अंदाजा ये है इन एप्स को बंद करने से चीनी कपंनियों को 50 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है ।
नरेन्द्र मोदी की कूटनीति पर, उनकी विदेश नीति पर कांग्रेस पिछले छह साल से सवाल उठा रही है लेकिन आज ये साबित हो गया कि अमेरिका, रूस, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, जापान, इस्राइल जैसे तमाम देशों का दौरा करके, दुनिया के तमाम देशों के राष्ट्राध्यक्षों के साथ व्यक्तिगत कैमेस्ट्री डेवलप करके मोदी ने जो घेरा बनाया, चीन उसी घेरे में फंसा हैं। चीन को पहली बार ये समझ आया है कि दुनिया में पाकिस्तान और नॉर्थ कोरिया को छोड़कर कोई मुल्क उसके साथ नहीं हैं, दुनिया की बड़ी-बड़ी ताकतें चीन के खिलाफ हैं, 23 पड़ोसी देशों के साथ चीन का विवाद चल रहा है और दूसरी तरफ पूरी दुनिया अब भारत के पक्ष में खड़ी है। इससे भी बड़ी बात ये है कि सिर्फ दुनिया के सपोर्ट से चीन रास्ते पर नहीं आया, भारत की बढ़ती ताकत और तेजी से विकसित होते इन्फ्रास्ट्रक्चर ने भी चीन को जमीन पर लाने में मदद की।
चीन की कोशिश ये थी कि गलवान के इलाके में भारत निर्माण का काम बंद करे, सड़क बनाना बंद करे, पुल बनाना बंद करे लेकिन भारत दवाब में नही आया, काम बंद नहीं हुआ। चीन की परेशानी इसलिए भी है क्योंकि सरहद के इलाकों में भारत ने जबरदस्त इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप किया है, सड़क और पुल बनाने के अलावा हवाई पट्टियां भी बनाई गई हैं। अब हमारी सेना के बड़े-बड़े विमान भी लेह और लद्दाख में आराम से उतर सकते हैं, कनैक्टिविटी बढ़ गई है, ये बड़ी बात है। इसका असर हुआ है।
आखिर में एक और बात। प्रधानमंत्री चीन को इसलिए रोक पाए कि पूरा देश उनके पीछे खड़ा था। ये जीत इसलिए हासिल हुई कि हमारी तीनों सेनाओं ने भरोसा दिलाया था कि चीन की चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं। ऐसे संकट के मौके पर ही नेतृत्व के असली साहस की परख होती है। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 06 जुलाई 2020 का पूरा एपिसोड