Rajat Sharma's Blog: मोदी ने कैसे संसद में अपने आलोचकों को किया खामोश
राहुल का नाम लिए बगैर मोदी ने चुटकी ली कि वह इन 6 महीनों का उपयोग सूर्य नमस्कार करके अपनी पीठ को मजबूत बनाने के लिए करेंगे ताकि 'लाठियों' के वार को झेल सकें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए संसद के दोनों सदनों को संबोधित किया। उन्होंने अपने संबोधन में जम्मू-कश्मीर के विकास को लेकर ताजातरीन आंकड़ों का हवाला दिया। साथ ही प्रधानमंत्री ने नागरिकता संशोधन पर अपने आलोचकों को शांत कराने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और लाल बहादुर शास्त्री का हवाला दिया, जिन्होंने पश्चिमी और पूर्वी पाकिस्तान में उत्पीड़ित हिंदुओं को नागरिकता देने का समर्थन किया था।
सबसे पहले कश्मीर की बात करते हैं। नरेंद्र मोदी ने खुलासा किया कि पिछले 18 महीनों में जम्मू एवं कश्मीर में कुल 24,000 घर बनाए गए, जबकि कांग्रेस के शासन के दौरान केवल 3,000 घर बनाए गए थे। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद पहली बार जम्मू-कश्मीर पुलिसकर्मियों को वही लाभ मिल रहा है जो केंद्रीय अर्धसैनिक बलों को दिया जाता रहा है। जम्मू एवं कश्मीर में पहली बार 35,000 से अधिक पंचों और 4,400 सरपंचों के चुनाव किए गए, 3.5 लाख से अधिक लोगों को आयुष्मान योजना मेडिकेयर गोल्ड कार्ड दिए गए, वृद्धावस्था पेंशन योजना शुरू की गई और पहली बार भ्रष्टाचार विरोधी कानून लागू किया गया।
मोदी ने पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती की नजरबंदी को सही ठहराया और उनके एक बयान का जिक्र किया जिसमें उन्होंने कश्मीर के लोगों के 1947 में भारतीय संघ में शामिल होने के फैसले पर सवाल उठाए थे। उन्होंने यह कहते हुए अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के मुद्दे पर अपने आलोचकों को एकदम से चुप करा दिया कि इन कदमों को संसद ने पहले ही मंजूरी दे दी है।
इसके बाद मोदी ने कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों का रुख किया और बताया कि कैसे ये पार्टियां जानबूझकर सीएए और एनपीआर के मुद्दों पर मुसलमानों के मन में भय और संदेह पैदा कर रही हैं। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, भीम राव अम्बेडकर और राम मनोहर लोहिया के पत्रों और भाषणों में कही गई बातों का हवाला दिया जिसमें उन्होंने पश्चिम और पूर्वी पाकिस्तान में सताए गए हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का औचित्य साबित किया था।
मोदी ने सीएए और एनआरसी के बारे में सभी तरह के संदेहों को दूर करने की कोशिश की, और अब दिल्ली के शाहीन बाग, मुंबई के नागपाड़ा, केरल और कोलकाता में सीएए का विरोध जारी रखने का कोई कारण समझ में नहीं आता है। चूंकि प्रधानमंत्री के लिए मुसलमानों की भावनाओं को स्वीकार करने के लिए इन स्थानों में से हरेक जगह खुद जा पाना असंभव है, उन्होंने संसद के पटल से ही लोगों को भरोसा दिया है।
प्रधानमंत्री ने एक चुनावी रैली में कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दिए गए बयान पर चुटकी ली। राहुल ने कहा था कि अगर युवाओं को नौकरी नहीं दी गई, तो वे ‘छह महीने बाद मोदी जी को लाठी से पीटना शुरू कर देंगे।’ राहुल का नाम लिए बगैर मोदी ने चुटकी ली कि वह इन 6 महीनों का उपयोग सूर्य नमस्कार करके अपनी पीठ को मजबूत बनाने के लिए करेंगे ताकि 'लाठियों' के वार को झेल सकें।
राहुल गांधी के साथ दिक्कत यह है कि वह सोचते हैं कि चिल्लाकर बोलने से और विरोधियों पर निर्दयता से हमला करने से कोई जननेता बन सकता है। इस चक्कर में राहुल गांधी बहुत बड़ी गलती कर रहे हैं। लगभग 4 साल पहले राहुल ने कहा था कि अगर संसद के अंदर उन्हें 5 मिनट बोलने की इजाजत दी गई तो भूकंप आ जाएगा। मोदी ने उनके जवाब के दौरान उनकी भूकंप वाले बयान पर भी चुटकी ली थी, जिसके बाद सदन ठहाकों से गूंज गया था। राहुल ने बुधवार को कहा कि वह कभी झूठ नहीं बोलते हैं, और केवल मोदी और अरविंद केजरीवाल झूठ बोलते हैं। जबकी हकीकत यह है कि झूठ बोलने के लिए उन्हें सुप्रीम कोर्ट में बिना शर्त माफी मांगनी पड़ी थी।
राहुल को अरविंद केजरीवाल से सीखना चाहिए। केजरीवाल भी पहले नरेंद्र मोदी पर व्यक्तिगत हमले करते थे, कभी उन्हें पाकिस्तान का एजेंट कहते थे, कभी साइकोपैथ कहते थे। जब भी उन्होंने मोदी पर हमला किया, उन्हें मतदाताओं के गुस्से का सामना करना पड़ा। इसके बाद केजरीवाल ने अपने रवैये में काफी बदलाव किया है और पिछले डेढ़ साल से उन्होंने मोदी पर हमला करने से परहेज किया है। जितनी जल्दी राहुल मोदी पर व्यक्तिगत हमला करने से परहेज करने के फायदे सीख लेते हैं, उतना बेहतर होगा। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 06 फरवरी 2020 का पूरा एपिसोड