Rajat Sharma's Blog: अब पांच बड़े शहर हॉटस्पॉट हैं, लेकिन एक बड़ा खतरा गांवों में इंतजार कर रहा है
अभी और बड़ी चुनौती इंतजार कर रही है। लाखों प्रवासी मजदूर जो अपने गृह राज्यों में लौट आए हैं, और इस खतरनाक वायरस के कैरियर बन गए हैं। ताजा मामले अब सुदूर कस्बों और गांवों से सामने आ रहे हैं।
भारत में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की कुल संख्या गुरुवार को 3,995 ताजा मामलों के साथ 82,000 को पार कर गई। पिछले 24 घंटों के दौरान 99 लोगों की जान गई, जिससे मौतों का आंकड़ा 2,646 तक पहुंच गया। वहीं, 27,686 मरीज इस बीमारी से ठीक हो चुके हैं। यह लगातार पांचवां दिन था जब संक्रमितों की संख्या 3500 से ज्यादा थी। एक बात तो अब साफ हो गई है: COVID-19 के लगभग 60 प्रतिशत मामले देश के बड़े शहरों जैसे मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और इंदौर तक ही सीमित हैं। अब यह तय भी है कि इस महामारी का प्रकोप अगले कई महीनों तक जारी रहेगा। दो दिन बाद लॉकडाउन 3.0 के खत्म होते ही दफ्तर और कारखाने फिर से खुल जाएंगे, बस, रेल और हवाई सेवाएं फिर से शुरू हो जाएंगी, लेकिन कोरोना वायरस की तलवार हमारे सिर पर लटकती रहेगी।
एक और बात जो अब साफ हो गई है वह यह है कि ट्रेनों, बसों और अन्य साधनों से लाखों श्रमिकों के बड़े पैमाने पर प्रवास के साथ अब महामारी दूर के शहरों और गांवों तक फैल रही है। मैंने वरिष्ठ डॉक्टरों और वैज्ञानिकों से बात की और उन्होंने यह माना कि महामारी ज्यादातर 5 राज्यों तक सीमित है और वहां स्थिति गंभीर है। इस लिस्ट में सबसे ऊपर महाराष्ट्र का नाम है। भारत में कोरोना वायरस से संक्रमण के हर 3 मामलों में से एक महाराष्ट्र का है, यानी कि लगभग 33 प्रतिशत। यदि आप इसमें गुजरात, तमिलनाडु, दिल्ली और राजस्थान को जोड़ते हैं, तो इन 5 राज्यों में 73 प्रतिशत COVID-19 मरीज हैं, जो मरीजों की कुल संख्या का लगभग तीन-चौथाई बैठता है।
वर्तमान में लगभग 60 प्रतिशत मामले देश के 5 शहरों, मुंबई, दिल्ली, चेन्नई, अहमदाबाद और इंदौर तक सीमित हैं। यदि हम इन 5 शहरों में युद्ध स्तर पर हालात से निपटते हैं तो इस महामारी पर काबू पाया जा सकता है। मुंबई से गुरुवार को एक ही दिन में कुल 998 नए मामले सामने आए। मुंबई के अस्पतालों में इस समय 17,377 COVID-19 मरीज भर्ती हैं। 4,234 रोगियों को अस्पतालों से छुट्टी दे दी गई है और वायरस से 621 लोगों की मौत भी हुई है। हमारे मुंबई संवाददाता राजीव सिंह शहर के अस्पतालों में गए। उन्होंने बताया कि तीन बड़े हॉटस्पॉट हैं जहां से काफी संख्या में मामले सामने आए हैं: धारावी, कुर्ला और गोवंडी। रोगियों का केईएम, सायन, जेजे, कूपर और नायर अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है, जो सभी COVID-19 समर्पित हैं।
केईएम अस्पताल के डीन डॉक्टर हेमंत देशमुख ने कहा, वेंटिलेटर, ऑक्सीजन या बेड की कोई कमी नहीं है, लेकिन बड़ी समस्या यह है कि मरीज तभी आ रहे हैं जब उनकी हालत गंभीर हो जा रही है और उन्हें सांस लेने में तकलीफ होने लगती है। अकेले धारावी से 1,000 से ज्यादा मामलों का पता चला है और अब तक उस इलाके में 40 मौतें हो चुकी हैं। हमारे संवाददाता ने धारावी से माटुंगा तक 90 फीट की सड़क का दौरा किया, और वहां लगभग सभी गैर-जरूरी चीजों की दुकानें खुली मिलीं, लोग खुलेआम भीड़ में घूम रहे थे और यहां तक कि बुजुर्ग भी सड़कों पर नजर आ रहे थे। यह महामारी को न्योता देने का अचूक नुस्खा है।
राज्य सरकार अब इन इलाकों में 22 एसआरपी और 3 आरएएफ यूनिट्स की तैनाती कर रही है ताकि लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों को लागू करवाया जा सके। माटुंगा श्रमिक शिविर में हमारे रिपोर्टर ने देखा कि वहां सभी मार्केट और दुकानें खुली हुई थीं और लोगों की आवाजाही लगी हुई थी। अहमदाबाद में भी कुछ ऐसा ही नजारा था। गुजरात में कुल 9,000 मामलों में से 6,500 से ज्यादा तो अकेले इसी शहर में हैं। अहमदाबाद में संक्रमण के ज्यादातर मामले पुराने शहर में साबरमती नदी के पास बसे इलाकों तक ही सीमित हैं। गुजरात में संक्रमण से हुई 566 मौतों में से 446 अहमदाबाद में हुई हैं। अभी और बड़ी चुनौती इंतजार कर रही है। लाखों प्रवासी मजदूर जो अपने गृह राज्यों में लौट आए हैं, और इस खतरनाक वायरस के कैरियर बन गए हैं। ताजा मामले अब सुदूर कस्बों और गांवों से सामने आ रहे हैं।
अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दिखाया कि कैसे चंडीगढ़ से 1100 मजदूरों को लेकर बिहार के भागलपुर स्टेशन पर पहुंची एक स्पेशल ट्रेन से 50 साल के एक प्रवासी मजदूर अनिरुद्ध उतरे और बेहोश हो गए। उन्हें एंबुलेंस में ले जाया गया, लेकिन रास्ते में ही उनकी मौत हो गई। अधिकारी उन सभी मजदूरों की टेस्टिंग कर रहे हैं जिन्होंने ट्रेन के कोच के अंदर उनके साथ यात्रा की थी। बिहार में COVID-19 मामलों की कुल संख्या 970 हो गई है, जिनमें से 352 प्रवासी मजदूर हैं जो पिछले 10 दिनों में अपने घर लौटे हैं। इनमें से अधिकांश दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र से लौटे हैं। अब तक 2 लाख से ज्यादा मजदूर बिहार लौटकर आए हैं, जिनमें से केवल 7,500 की टेस्टिंग की गई है।
उत्तर प्रदेश के 10 जिलों में 52 प्रवासी मजदूर कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं। हजारों प्रवासी मजदूर ऐसे भी हैं जो अपने गांवों में छिपते-छिपाते पहुंचे हैं और उनका परीक्षण नहीं हो पाया है। इनमें से अधिकांश आने वाले हफ्तों में चिंता का कारण बन सकते हैं। पिछले 10 दिनों में लगभग 10 लाख प्रवासी मजदूरों को 800 से ज्यादा ट्रेनों से उनके गृह राज्यों में पहुंचाया गया है। केंद्र ने लगभग 8 करोड़ प्रवासियों के खाने के लिए 11,000 करोड़ रुपये खर्च किए हैं। इसलिए महानगरों के हॉट स्पॉट के अलावा हमें आगे आने वाले एक और बड़े खतरे के लिए खुद को तैयार रखना चाहिए, और वह है ग्रामीण क्षेत्रों में वायरस का फैलाव। ऐसे हजारों लोग हैं जो सभी तरह की जांच और क्वॉरन्टीन को धता बताकर अपने गांव वापस चले गए हैं। हर गांव और कस्बे में लोगों को वायरस के प्रसार के बारे में सावधान रहना होगा।
अब जब केंद्र से प्रोत्साहन पैकेज के साथ बड़े और मध्यम उद्योग फिर से खुलने जा रहे हैं, तो हम सभी को उम्मीद है कि इनमें से अधिकांश प्रवासी अपने काम पर लौट आएंगे। वित्त मंत्री ने प्रत्येक प्रवासी मजदूर के लिए 2 महीने तक मुफ्त भोजन, सस्ते किराए पर मकान, सभी प्रवासियों के लिए 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' योजना और रेहड़ी वालों के लिए कर्जे की घोषणा की है। कारखानों के फिर से खुलने के साथ, हमें उम्मीद है कि रिवर्स माइग्रेशन होगा और ये मजदूर अपने काम पर लौट आएंगे। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 14 मई 2020 का पूरा एपिसोड