Rajat Sharma's Blog: CAB पर पूर्वोत्तर में फैलाया जा रहा झूठ, लोगों को हकीकत से रूबरू कराए केंद्र
इस मौके का फायदा उठाकर वहां के स्थानीय नेता लोगों के मन में नफरत और डर पैदा कर रहे हैं। वे लोगों को कन्फ्यूज करने के साथ ही उकसा रहे हैं, इससे वहां हालात बिगड़े हैं।
नागरिकता संशोधन विधेयक के विरोध में मंगलवार को असम और त्रिपुरा में हिंसा हुई। त्रिपुरा के दो जिलों में कारोबारियों पर हमले हुए और दुकानें जला दी गईं जबकि पूर्वोत्तर (नॉर्थ-ईस्ट) की नब्ज कहे जानेवाले गुवाहाटी की गलियों और सड़कों पर बड़े पैमाने पर हिंसा की घटनाएं हुई। पथराव और आगजनी की घटनाओं के बाद पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल किया। आधारहीन अफवाहों का प्रसार रोकने के लिए त्रिपुरा में 48 घंटे के लिए इंटरनेट सेवाओं को रोक दिया गया। असम में कम से कम 1 हजार लोगों को हिरासत में लिया गया है।
त्रिपुरा और अरुणाचल प्रदेश में भी लोग नागरिकता संशोधन बिल का विरोध कर रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि इस बिल का इन दोनों राज्यों पर कोई असर नहीं पड़नेवाला है। पूर्वोत्तर के अधिकांश राज्य इनर लाइन परमिट और संविधान की छठी अनुसूची के तरह सुरक्षित हैं। छठी अनुसूची के तहत इन राज्यों में रहनेवाले आदिवासियों को विशेष संरक्षण प्रदान किया गया है। मेघालय और मिजोरम में भी इसी तरह का प्रवाधान है। नागरिकता संशोधन बिल से इन राज्यों में जनसंख्या के स्तर पर कोई बदलाव नहीं होनेवाला है।
त्रिपुरा में ट्राइबल एरिया ऑटोनोमस डेवलपमेंट काउंसिल (जनजातीय क्षेत्र स्वायत्त विकास परिषद) कार्यरत है, जिसके अंतर्गत ये पूरा इलाका आता है। इसका गठन केवल आदिवासियों के लाभ और संरक्षण के लिए किया गया है। वहीं इनर लाइन परमिट सिस्टम के जरिए अरुणाचल प्रदेश, नगालैंड के साथ मिजोरम भी प्रोटेक्टेड (संरक्षित) है। यह सिस्टम बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन एक्ट-1873 के तहत वैध है। इनर लाइन परमिट वो दस्तावेज है जो इन राज्यों में बाहर से आनेवाले लोगों को जारी किया जाता है। यानी अगर भारत के दूसरे हिस्से से भी लोग इन राज्यों में आएंगे तो उन्हें इनर लाइन परमिट लेना होगा। इनर लाइन परमिट सिस्टम तय करेगा कि ये लोग कितने दिनों तक यहां रुकेंगे। परमिट खत्म होने के बाद एक दिन भी ज्यादा यहां रुक नहीं सकते हैं। यानी बाहर के लोग इन राज्यों में स्थायी तौर पर नहीं रह सकते। वे लोग यहां जमीन नहीं खरीद सकते, यहां घर नहीं बना सकते और न ही नौकरी पा सकते हैं। इसलिए नागरिकता संशोधन विधेयक का इन राज्यों पर कोई असर नहीं होगा।
असम में समस्या ये है कि वहां एनआरसी लागू होने के बाद लोगों को यह डर लग रहा है कि इस बिल के जरिए उनके लिए नई मुसीबत खड़ी की जा रही है। इस मौके का फायदा उठाकर वहां के स्थानीय नेता लोगों के मन में नफरत और डर पैदा कर रहे हैं। वे लोगों को कन्फ्यूज करने के साथ ही उकसा रहे हैं, इससे वहां हालात बिगड़े हैं। इसलिए केंद्र को तुरंत हस्तक्षेप करना चाहिए और पूर्वोत्तर के लोगों को हकीकत बतानी चाहिए। वहां के लोगों के मन में जो सवाल और शंकाएं हैं, उन्हें जल्द से जल्द दूर करने की जरूरत है। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 10 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड