Rajat Sharma's Blog: सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को पाकिस्तानी हिंदुओं और सिखों का दर्द सुनना चाहिए
सरकार से मेरी यह अपील है कि धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान छोड़कर आए लोगों को भारत में सिर छिपाने की जगह दी जाए। इन लोगों की हर संभव मदद की जाए।
इंडिया टीवी ने सोमवार रात अपने शो 'आज की बात' में पाकिस्तानी हिंदू लड़की की एक स्टोरी दिखाई, जिसमें उसने पाकिस्तान में हिंदुओं पर होने वाले अत्याचार की पूरी कहानी बयां की। यह लड़की पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट है और फरवरी के पहले सप्ताह में तीर्थयात्रा के वीजा पर उसे अन्य हिंदुओं के साथ उसके परिवार वालों ने भारत भेज दिया। जितने भी पाकिस्तानी हिंदू सीमा पार कर भारत में आए वे अब वापस लौटने के लिए तैयार नहीं हैं। क्योंकि इन्हें डर है कि वापस लौटने पर फिर उन्हें धार्मिक आधार पर उत्पीड़न का शिकार होना पड़ेगा।
इस लड़की ने बताया कि कैसे पाकिस्तान में हिंदुओं को जबरन इस्लाम अपनाने को मजबूर किया जाता है। कैसे हिंदू परिवारों की बेटियों का अपहरण किया जाता है और जबरन मुस्लिम पुरुषों से शादी करा दी जाती है। इस लड़की ने यह भी बताया कि कैसे हिंदू परिवार पाकिस्तान में दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में रहते हैं। पाकिस्तान से भागकर आए ये हिंदू भारत में शरण मांग रहे हैं, इन हिंदुओं को सिख सामाजिक संगठनों द्वारा पनाह दी गई है और उनके भोजन का इंतजाम गुरुद्वारा के लंगरों में किया गया है।
पाकिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को रोजाना तरह-तरह के उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है, लेकिन इसके खिलाफ आवाज उठाने की आजादी उन्हें नहीं है। पाकिस्तानी नेताओं को भी इनके दुख-दर्द की कोई परवाह नहीं है। वे अपने ही समुदाय का पक्ष लेते हैं और इनकी अनदेखी करते हैं। सरकार से मेरी यह अपील है कि धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान छोड़कर आए लोगों को भारत में सिर छिपाने की जगह दी जाए। इन लोगों की हर संभव मदद की जाए। इन्हें भारतीय नागरिकता दी जानी चाहिए और वह सभी अधिकार मिलने चाहिए जो एक भारतीय को प्राप्त है। क्योंकि ये लोग भी उसी वादे के हकदार है जो महात्मा गांधी ने आजादी के वक्त पाकिस्तान में रह गए हिन्दुओं और सिखों से किया था। महात्मा गांधी ने वादा किया था अगर पाकिस्तान में धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न होता है तो भारत उन्हें शरण देगा।
जो लोग नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रहे हैं उन सबको में यह बताना चाहता हूं कि वे एक मिनट के लिए अपनी चिंताओं को अलग करके पाकिस्तान में हिंदुओं के साथ हो रहे अत्याचारों के बारे में सोचें। यदि सीएए को रद्द करने की उनकी मांग स्वीकार कर ली जाती है, तो इन बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों का क्या होगा? क्या उत्पीड़न का सामना करने के लिए उन सभी को वापस पाकिस्तान भेजना मानवीय कदम होगा? नागरिकता संशोधन कानून को पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान, तीनों इस्लामी देशों में रहने वाले इन उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की मदद करने के लिए लाया गया था। इन देशों में ये लोग व्यावहारिक तौर पर दूसरे दर्जे के नागरिक के रूप में रहते हैं।
दिल्ली के शाहीन बाग में धरने पर बैठे लोगों के लिए यह गंभीर पुनर्विचार करने का समय है। सरकार ने समय-समय पर और एक बार फिर से आश्वासन दिया है कि सीएए से किसी भारतीय की नागरिकता नहीं जानेवाली है। आपको बता दें कि सीएए के जरिये धार्मिक आधार पर सताए गए उन हिंदुओं, सिखों, पारसियों और ईसाइयों को मदद देने का रास्ता खोला गया है, जो पाकिस्तान छोड़ना चाहते हैं। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 17 फरवरी 2020 का पूरा एपिसोड