Rajat Sharma’s Blog: प्रवासियों की वापसी को लेकर अब आगे कुआं पीछे खाई की हालत में है केंद्र सरकार
आज के हालात में स्पेशल ट्रेनों की संख्या को कम नहीं किया जा सकता है, और ना ही प्रवासियों को बगैर क्वॉरन्टीन के अपने गांवों में घुसने की इजाजत दी जा सकती है।
भारत में COVID-19 महामारी का उभार जारी है। देश में गुरुवार को 5,864 नए मामले सामने आए जिसके बाद यहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की कुल संख्या 1,16,744 तक पहुंच गई। इनमें से 48,258 मरीज अब ठीक हो चुके हैं। पिछले 6 दिनों में 5 बार ऐसा हुआ है जब एक दिन में कोरोना वायरस से संक्रमितों की सबसे ज्यादा संख्या दर्ज की गई है। इसके साथ ही गुरुवार को इस वायरस ने 148 लोगों की जान ले ली, जिससे मृतकों का आंकड़ा बढ़कर 3,583 तक पहुंच गया। यूपी और बिहार में, जहां हाल ही में लाखों प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं, नए मामलों में बढ़ोतरी के साथ ही एक बड़ा खतरा मुंह बाए खड़ा है। अकेले यूपी में पिछले कुछ दिनों में देश के विभिन्न हिस्सों से 20 लाख प्रवासी मजदूर पहुंचे हैं, जबकि 10 लाख और आने वाले हैं।
गुरुवार को यूपी में 313 और बिहार में 341 नए मामले दर्ज किए गए और इनमें से ज्यादातर अपने घरों को वापस लौटे प्रवासियों से जुड़े हैं। बिहार स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 5 मई से अब तक 999 प्रवासी कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए हैं, जो बिहार में कुल मामलों (लगभग 1,800) की संख्या के आधे से भी ज्यादा है। इन प्रवासियों में 296 दिल्ली से, 253 महाराष्ट्र से और 180 गुजरात से लौटे हैं। इसी तरह राजस्थान में 1,099 जबकि यूपी में 1,230 प्रवासियों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है।
प्रवासियों के चलते यह वायरस अब राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ़ और हरियाणा में दूर दराज के इलाकों तक फैल गया है। कई मामलों में प्रवासियों को पता नहीं था कि वे वायरस के कैरियर हैं। इसका नतीजा यह हुआ कि जिन जिलों को ग्रीन जोन घोषित किया गया था, उन्हें अब रेड जोन घोषित किया जा रहा है। ये डरावने रुझान हैं और यदि नए मामलों के जुड़ने की दर वर्तमान के 5,500 के स्तर पर बनी रही, तो भारत में कोरोना वायरस के मामलों की कुल संख्या जून तक 2 लाख के आंकड़े को भी छू सकती है। प्रवासियों की आवाजाही में अधिकारियों को एक नई समस्या का सामना करना पड़ रहा है। स्पेशल ट्रेनों में घर लौटने वाले प्रवासियों में से कई क्वॉरन्टीन से बचने के लिए चेन पुलिंग करके अपने कोच से उतर जा रहे हैं।
गुरुवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने दिखाया था कि कैसे सैकड़ों प्रवासियों ने 1,200 मजदूरों को कटिहार ले जा रही स्पेशल ट्रेन की चेन खगड़िया स्टेशन पर खींची और ट्रेन से उतर गए। खगड़िया से कटिहार से 135 किमी दूर है और इन दोनों स्थानों के बीच यात्रा में साढ़े तीन घंटे का समय लगता है। कटिहार में होने वाली स्क्रीनिंग और 14 दिनों के क्वॉरन्टीन से बचने के लिए इन प्रवासियों ने चेन पुलिंग की और स्पेशल ट्रेन से उतर गए। प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने के लिए 200 से ज्यादा स्पेशल ट्रेनें लगाई गई हैं जिससे पैदल यात्रा करने वाले मजदूरों की संख्या में काफी गिरावट आई है।
गुरुवार को 85 विशेष ट्रेनों में सवार होकर लगभग 1,40,000 प्रवासी बिहार लौट आए। 87 और ट्रेनें शुक्रवार को 1,43,500 मजदूरों को बिहार पहुंचाएंगी। जरा व्यापक स्तर पर किए जा रहे उन इंतजामों की कल्पना कीजिए जो राज्य सरकार को इन प्रवासियों को क्वॉरन्टीन में रखने के लिए करना है। बिहार में 10,500 क्वॉरन्टीन सेंटर हैं जिनमें 7 लाख से ज्यादा प्रवासी मौजूद हैं। प्रवासियों की संख्या में बढ़ोतरी से निपटने के लिए ज्यादा संगरोध केंद्र बनाए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के हालात और डरावने हैं। अब तक, 1,100 स्पेशल ट्रेनें 16 लाख प्रवासियों को यूपी पहुंचा चुकी हैं। इन प्रवासी मजदूरों के साथ वायरस भी आया है। गुरुवार तक यूपी में 1,230 प्रवासियों को पॉजिटिव पाया गया है। एक नजर बाराबंकी पर डाली जाए। लॉकडाउन-3 के दौरान इस जिले में किसी भी नए मामले का पता नहीं चला था और इसे ग्रीन जोन घोषित कर दिया गया था, लेकिन जब प्रवासियों ने वापस लौटना शुरू किया तो जिले में अब 125 COVID-19 मरीज़ हैं, जिनमें से 95 का पता एक ही दिन में चला। इनमें से 49 मामले प्रवासी मजदूरों से संबंधित थे और बाकी के लोग उनके संपर्क में आने से संक्रमित हुए थे।
इसी तरह सिद्धार्थनगर में 63, जौनपुर में 47, रामपुर में 45, रामपुर में 45, बहराइच में 42, लखीमपुर में 35, आजमगढ़ और बलरामपुर में 30-30, वाराणसी में 28, संभल में 27, गोंडा में 24, और हरदोई जिले में 20 मामले सामने आए। इनमें से ज्यादातर मामले उन प्रवासियों से संबंधित हैं जो वापस लौटे हैं। चंदौली, सीतापुर, मैनपुरी, सोनभद्र, बिजनौर, उन्नाव, बुलंदशहर, बरेली, कुशीनगर, भदोही और कासगंज से 100 से अधिक COVID-19 मामले सामने आए हैं। इन सभी जिलों में महामारी फैल रही है और स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अधिकारियों को इनसे निपटने में मुश्किलें पेश आ रही हैं।
सरकार अब आगे कुआं पीछे खाई की स्थिति का सामना कर रही है। यदि प्रवासियों को महानगरों से बाहर जाने से रोका जाता है, तो वे अपने परिवार के साथ सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा पर पैदल ही निकल पड़ेंगे, और यदि उन्हें उनके गृह राज्यों तक पहुंचाने के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जाती हैं, तो वे उन स्थानों पर भी वायरस फैला देंगे जो अभी तक इससे अछूते थे।
1 मई को जब तेलंगाना और केरल से पहली स्पेशल ट्रेनें चली तो सभी प्रवासियों की स्क्रीनिंग की गई थी और उन्हें बोगियों में उनकी सीटों पर सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों के हिसाब से बैठाया गया था। प्रवासियों पर नजर रखने के लिए हर कोच में आरपीएफ कर्मियों की तैनाती की गई थी। ट्रेनों में खाने-पीने का भी इंतजाम किया गया था और उन्हें नॉन-स्टॉप चलाया जा रहा था। स्पेशल ट्रेनों में यात्रा करने वालों की संख्या में काफी इजाफा होने के बाद इस सख्त प्रोटोकॉल को जारी रखना मुश्किल हो गया। ट्रेनों के अपनी मंजिल तक पहुंचने से पहले ही प्रवासियों ने चेन पुलिंग करके उतरना शुरू कर दिया।
आज के हालात में स्पेशल ट्रेनों की संख्या को कम नहीं किया जा सकता है, और ना ही प्रवासियों को बगैर क्वॉरन्टीन के अपने गांवों में घुसने की इजाजत दी जा सकती है। स्थानीय पुलिस और जिला अधिकारियों के जिम्मे अभी काफी काम है। यहां तक कि मुट्ठी भर प्रवासी भी यदि वायरस लेकर अपने घर पहुंच जाते हैं तो अधिकारियों के लिए कांटैक्ट ट्रेसिंग करना मुश्किल हो जाएगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 21 मई, 2020 का पूरा एपिसोड