Rajat Sharma Blog: जींद उपचुनाव में सुरजेवाला को बलि का बकरा क्यों बनाया गया?
सुरजेवाला पार्टी हाईकमान के वफादार सिपाही होने के नाते इनकार नहीं कर सके और इस तरह उन्हें बलि का बकरा बना दिया गया।
हरियाणा में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी को एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। बीजेपी ने सूबे के इतिहास में पहली बार जींद विधानसभा सीट पर हुए उपचुनाव में त्रिकोणीय मुकाबले में जीत दर्ज की है। इस चुनाव में कांग्रेस के उम्मीदवार रणदीप सुरजेवाला तीसरे स्थान पर रहे। नतीजे आने के बाद ज्यादातर लोगों के मन में यह प्रश्न है कि कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की कोर टीम में शामिल सुरजेवाला को विधानसभा उपचुनावों में उतारकर बलि का बकरा क्यों बनाया गया। वह भी तब जब हरियाणा विधानसभा चुनावों में मुश्किल से 9 महीने का वक्त बचा है। सुरजेवाला पहले ही कैथल से कांग्रेस के विधायक हैं, फिर भी उन्हें जींद उपचुनाव में मैदान में उतारा गया।
सुरजेवाला दिल्ली में कांग्रेस के मीडिया सेल के इंचार्ज हैं और हर मुद्दे पर कांग्रेस का पक्ष मजबूती से रखने के लिए जाने जाते हैं। इसके चलते उनकी एक नेशनल इमेज बनी है। उन्हें राहुल गांधी और प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है, और ऐसे महत्वपूर्ण समय में, जब देश में लोकसभा चुनावों का माहौल है, उन्हें अचानक हरियाणा में एक उपचुनाव में उतार दिया गया। उनकी हार के बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने प्रतिक्रिया दी कि आमतौर पर उपचुनावों में सत्ताधारी पार्टी ही जीतती है। अब सवाल यह उठता है कि फिर सुरजेवाला को जींद उपचुनाव में क्यों उतारा गया?
कांग्रेस के कई नेता इसके पीछे की वजह हरियाणा में पार्टी के अंदरूनी झगड़े को बताते हैं। उनका कहना है कि हरियाणा में बीजेपी की सरकार है, और अधिकांश लोकसभा सीटें भी बीजेपी के पास हैं, इसलिए चुनावों के बाद भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पार्टी में पूछ कम हो गई थी और उन्हें केंद्र में कोई खास तवज्जो नहीं मिल रही थी। वहीं दूसरी तरफ, पार्टी में सुरजेवाला का बढ़ता प्रभाव हुड्डा को खटक रहा था, जो अपने बेटे दीपेंद्र हुड्डा को आगे बढ़ाने की कोशिश में लगे हैं।
यह हुड्डा ही थे जिन्होंने राहुल गांधी को सुरजेवाला जैसे दिग्गज को मैदान में लाकर जींद उपचुनाव लड़ाने का सुझाव दिया था, जो पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला (एक घोटाले में दोषी पाए जाने के बाद जेल में बंद) को 2 बार हरा चुके थे। सुरजेवाला पार्टी हाईकमान के वफादार सिपाही होने के नाते इनकार नहीं कर सके और इस तरह उन्हें बलि का बकरा बना दिया गया। यहां एक और सवाल पैदा होता है कि राहुल गांधी इस बात को समझ क्यों नहीं पाए। (रजत शर्मा)
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