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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog: कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी के खिलाफ आवाजें क्यों उठ रही हैं?

Rajat Sharma’s Blog: कांग्रेस के भीतर राहुल गांधी के खिलाफ आवाजें क्यों उठ रही हैं?

राहुल गांधी हर चुनाव के दौरान इस तरह के निजी हमले करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि कांग्रेस के अनुभवी नेता ये क्यों कह रहे हैं कि राहुल को पीएम मोदी पर इस तरह का सीधा हमला नहीं करना चाहिए।

Rajat Sharma Blog on Rahul Gandhi, Rajat Sharma Blog on China, Rajat Sharma Blog on Galwan Valley- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

हाल के हफ्तों में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत-चीन गतिरोध पर कई सवाल उठाए हैं। उनका आरोप है कि चीन ने भारतीय इलाके पर कब्जा कर लिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया है। यहां तक कि वह पीएम को ‘सरेंडर मोदी’ तक कह गए। राहुल ने यह भी पूछा कि अगर चीन ने हमारे क्षेत्र में घुसपैठ नहीं की है तो हमारे 20 जवान शहीद क्यों हुए? उन्होंने चीन के सैनिकों की गलवान में घुसपैठ को इंटेलिजेंस फेल्योर बताते हुए पूछा कि क्या उस समय हमारी सरकार सो रही थी?

सरकार ने तथ्यों, आंकड़ों और तस्वीरों के जरिए राहुल गांधी के अधिकांश सवालों का जवाब दिए हैं। इन सवालों का जबाव मिलना जरूरी था, क्योंकि राहुल गांधी के बयानों का चीन अनुचित लाभ उठा रहा था और इनसे कन्फ्यूजन फैल रहा था।

राहुल और उनकी मां सोनिया गांधी ने मोटे तौर पर 3 सवाल पूछे। पहला सवाल यह था कि क्या चीन LAC पार करके हमारे इलाके में घुस आया है? अगर नहीं किया तो हमारे सैनिकों के साथ चीनी फौजियों का झगड़ा क्यों हुआ जिसमें हमारे 20 जवान शहीद हो गए? दूसरा सवाल राहुल गांधी ने पूछा कि चीन ने LAC के आसपास इतना इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलप कर लिया, इतने हथियार जमा कर लिए, तो क्या हमारी सरकार और इंटेलिजेंस सो रही थी? राहुल गांधी ने तीसरा सवाल यह पूछा कि क्या चीन ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया है?

सरकार ने इन सवालों के जवाब विस्तार दिए हैं। चीनी सैनिकों के जमावड़े के बारे में पता था और यही वजह है कि भारतीय सेना ने भी लद्दाख में ‘मिरर इमेज’ डिप्लॉयमेंट के साथ जवाब दिया था। सरकार ने यह भी विस्तार से बताया है कि कैसे हमारी सेना की टुकड़ी पर, जिसका नेतृत्व एक कमांडिंग ऑफिसर कर रहे थे, धोखे से पत्थरों और कील लगी लोहे की छड़ों से हमला हुआ और हमारे जवानों ने मुंहतोड़ जवाब देते हुए कई चीनी सैनिकों और उनके कमांडिंग अफसर को मौत के घाट उतार दिया।

चीनी घुसपैठ के बारे में उठे सवालों का भी जवाब दिया गया है। चीनी सेना कई जगहों से पीछे हट गई है, लेकिन पैंगॉन्ग झील के पास उसके सैनिक अभी भी जमे हुए हैं। सैटलाइट से ली गई नई तस्वीरों और रिपोर्टों से पता चला है कि चीनी सेना ने फिर से गलवान घाटी में झड़प वाली जगह पर गन पोजिशन ले ली है। यह वही जगह है जहां हमारी सेना ने 15 जून को चीनियों के ऑब्जर्वेशन पोस्ट को तबाह कर दिया था। देपसांग के मैदानों में भी चीन द्वारा बढ़ी हुई तादादा में सैनिकों की तैनाती की खबरें आ रही हैं। ऐसा लगता है कि चीनियों ने ये फैसला किया है कि सोमवार को कोर कमांडरों की बैठक में हुए समझौते के मुताबिक वे तुरंत अपने कदम पीछे नहीं खींचेंगे।

एक बात साफ है: चीनियों ने लद्दाख में भारतीय इलाके में घुसपैठ नहीं की थी, लेकिन उस ‘नो मैन्स लैंड’ में घुस आए थे जिस पर भारत और चीन, दोनों में से किसी का भी कब्जा नहीं है। दोनों ही देशों के सैनिक इस ‘नो मैन्स लैंड’ में पट्रोलिंग करते हैं, और भारतीय एवं चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प भी यहीं हुई थी। इस तथ्य से राहुल गांधी को उनके सवालों के जवाब मिल जाने चाहिए।

राहुल गांधी ने जो एक और सवाल उठाया, वह यह था कि चीन झड़प में मारे गए अपने सैनिकों के आंकड़े क्यों नहीं बता रहा है? चीन के विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री ने बुधवार को इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा कि भारत के साथ झड़प में चीन ने अपने सैनिकों को खोया है, लेकिन कितने सैनिक मारे गए, इसकी संख्या का खुलासा नहीं किया जाएगा। अब सारे तथ्य, आंकड़े और तस्वीरें सामने हैं, लेकिन हो सकता है कि राहुल गांधी को अब भी सारी बातें समझ में न आएं, और अगर आ भी जाएं तो शायद वह मानने के लिए तैयार ना हों। असल बात यहीं है, और ये मैं इसलिए कह रहा हूं क्योंकि उनकी नीयत साफ नहीं लग रही है।

राहुल गांधी सच्चाई जानने के लिए सवाल नहीं पूछ रहे हैं। अगर उन्होंने LAC में मोदी की रणनीति के बारे में सवाल पूछा होता, तो यह ठीक था, लेकिन अपने सवालों के साथ-साथ राहुल ये भी कहते रहे कि नरेंद्र मोदी ‘सरेंडर मोदी’ हैं। वह ट्वीट कर पूछते रहे कि प्रधानमंत्री कहां छिपे हुए हैं, क्या वह चीन से डरते हैं? राहुल ने ट्वीट कर कहा कि मोदी जी डरो मत, बाहर निकलो और जवाब दो। यदि राहुल गांधी ने इस तरह की बातें न कही होतीं, तो उन्हें इतनी आलोचना का सामना न करना पड़ता।

मंगलवार को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में राहुल गांधी को एक तरह से घेरा गया। यूपी से ताल्लुक रखने वाले पार्टी के एक नेता, जो पहले टीम राहुल का हिस्सा थे, ने कहा कि पार्टी को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चीनी घुसपैठ के मुद्दे पर मोदी की कोई व्यक्तिगत आलोचना न हो। राहुल गांधी यह सुनकर उखड़ गए और जवाब दिया, ‘मैं प्रधानमंत्री मोदी से नहीं डरता। वह मुझे कुछ नहीं कर सकते। मैं उनकी आलोचना करता रहूंगा। अगर यहां मौजूद लोगों को इससे कोई समस्या है, तो CWC मुझे शांत रहने के लिए कहे।’ राहुल ने यह भी कहा कि उन्होंने देखा है कि कई सहयोगी प्रधानमंत्री पर सीधा हमला करने से परहेज करते हैं।

यह पहली बार नहीं है जब राहुल ने कहा है कि वह मोदी से नहीं डरते और उन पर सीधा हमला करते रहेंगे। उन्होंने पहले भी यह बात कही है कि मैं इसकी परवाह नहीं करता कि मेरी पार्टी के दूसरे लोग क्या सोचेंगे। 2014 से, जबसे मोदी प्रधानमंत्री बने हैं, तबसे राहुल गांधी इस तरह की बयानबाजी करते रहे हैं। पिछले चुनावों में उन्होंने ‘चौकीदार चोर है’ कहा, और उन्होंने धमकी दी कि यदि उनकी पार्टी सत्ता में आई तो मोदी को जेल में डाल दिया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि अगर मैं संसद में 10 मिनट बोलूंगा तो भूकंप आ जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी कभी भी मेरी आंख में आंख डालकर मुझसे बात नहीं कर सकते क्योंकि वह मुझसे डरते हैं।

राहुल गांधी हर चुनाव के दौरान इस तरह के निजी हमले करते रहे हैं। अब सवाल ये है कि कांग्रेस के अनुभवी नेता ये क्यों कह रहे हैं कि राहुल को पीएम मोदी पर इस तरह का सीधा हमला नहीं करना चाहिए। सीडब्ल्यूसी की बैठक में आखिर यह मुद्दा क्यों उठा? राहुल को शायद लगता है कि उनकी पार्टी के ये पुराने, अनुभवी नेता डरपोक हैं और वे मोदी से डरते हैं, लेकिन सच्चाई कुछ और है। इन नेताओं में से अधिकांश ने अतीत में मोदी के खिलाफ कहीं ज्यादा कड़वी बातें कहते रहे हैं, लेकिन एक के बाद एक चुनाव हारने के बाद उन्हें लगा कि मोदी पर सीधा हमला करने से कांग्रेस को फायदे की बजाय नुकसान ज्यादा होता है।

इन अनुभवी कांग्रेस नेताओं को इस बात का अहसास हो गया है कि भ्रष्टाचार और देशभक्ति, ये दो ऐसे मुद्दे हैं जिन पर वे मोदी को नहीं घेर सकते। इन नेताओं को यह बात समझ में आ गई है कि जब भी राहुल ने लोगों के सामने इन दो मुद्दों को उठाया, उनकी पार्टी को भारी नुकसान हुआ। अगर राहुल गांधी मोदी को गालियां देकर चुनाव जीत जाते, तो यही सारे नेता आज उनके पीछे खड़े होते। वे तब मोदी के खिलाफ और भी कड़वी बातें कहते, उन पर और भी ज्यादा व्यक्तिगत हमले करते। ये अनुभवी नेता अब जान गए हैं कि राहुल गांधी मोदी को चोर कहकर, मोदी को कायर कहकर कांग्रेस का नुकसान करते हैं। और यही वजह है कि उनमें से कुछ ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में इस मामले को उठाने की हिम्मत की।

वहीं दूसरी तरफ, राहुल गांधी इसे अपनी बहादुरी मानते हैं और बाकी नेताओं को डरपोक समझते हैं। इसीलिए वह इस मामले में किसी की सुनने के लिए तैयार नहीं हैं। राहुल ने पिछले साल के चुनावों के दौरान राफेल सौदे में भ्रष्टाचार का आरोप लगाया और बालाकोट में एयर स्ट्राइक के सबूत मांगे। अब चीन के मामले में राहुल कहते हैं कि चीनियों ने हमारी जमीन पर कब्जा कर लिया, लेकिन वह भूल गए कि कांग्रेस की सरकारों के वक्त भी चीनी घुसपैठ होती थी। राहुल के लिए सवाल न राफेल है, न पाकिस्तान,  न चीन और न अमेरिका, उन्हें तो किसी भी तरह मोदी पर हमला करना है। राहुल की इन्हीं नीतियों के कारण कांग्रेस लगातार 2 आम चुनाव हार गई और कई राज्यों के चुनाव में उसकी हार हुई। राहुल खुद अमेठी की अपनी पारिवारिक पक्की सीट हार गए।

अब हालत यह हो गई है कि युवा और अनुभवी, दोनों नेताओं को राहुल के नेतृत्व में विश्वास नहीं है। भारतीय राजनीति में कोई भी पार्टी, कोई भी नेता, बिना सत्ता के ज्यादा दिन नहीं रहना चाहता। कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से मेरी बात होती है, और वे कहते हैं कि राहुल ये सब न करते होते तो कांग्रेस की इतनी बुरी हालत नहीं होती। ये नेता साफ कहते हैं कि उन्हें एक ऐसा नेता चाहिए जो पार्टी के लिए वोट हासिल कर सके। इसीलिए अब आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 24 जून, 2020 का पूरा एपिसोड

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