तीन दिन पहले आतंकवादियों ने उन कश्मीरी पुलिसकर्मियों के 11 रिश्तेदारों को रिहा कर दिया जिन्हें उन्होंने 24 घंटे पहले अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और कुलगाम से अगवा किया था। घाटी के आमलोगों द्वारा मीडिया में इस मामले को जोर-शोर से उठाने की वजह से यह संभव हो पाया। जो लोग कश्मीर के हालात को अच्छी तरह से जानते हैं उनका कहना है कि कश्मीर की आम जनता रोज-रोज की वारदातों से तंग आ चुकी है और शान्ति से रहना चाहती है।
सोमवार को इंडिया टीवी संवाददाता मनीष प्रसाद ने मोहम्मद मकबूल का इंटरव्यू किया जिसके तीन बेटे हैं। दो बेटा जम्मू-कश्मीर पुलिस में कार्यरत है जबकि तीसरे बेटे जुबैर को आतंकियों ने अगवा कर लिया था। जुबैर को अगवा करने के 24 घंटे बाद आम जनता के दबाव के बाद आतंकियों ने रिहा किया। मकबूल ने बताया कि कैसे आंखों पर पट्टी बांध कर 10 अन्य बंधकों के साथ उसे खुले मैदान में रखा गया था। मकबूल ने बताया कि पुलिस में काम कर रहे उनके दोनों बेटों के लिए किस तरह यह एक बड़ी चुनौती थी।
अगर आतंकी वारदातों की जद में आए लोगों के परिवारवालों की बात कोई सुनेगा तो उससे एक बात तो साफ है कि ये लोग अपने बच्चों को आतंकवादी बनने से रोकना चाहते हैं। कुछ इलाकों में आतंकवादियों का जोर है लेकिन वो भी संख्या में बहुत ज्यादा नहीं हैं। पिछले कुछ महीनों में सुरक्षा बलों ने जिस तरह से कार्रवाई की है उसमें अबतक 142 आतंकवादी मारे गए हैं। बचे हुए आतंकवादी इधर-उधर बिखर गए हैं। वे युवाओं को अगवा कर जबरन आतंकवादी बनाना चाहते हैं और युवाओं का ब्रेनवाश करते हैं।
अब जल्द ही पंचायत चुनाव होनेवाले हैं इसलिए सुरक्षा बलों ने घेराबंदी और सर्च ऑपरेशन शुरू कर दिया है। आनेवाले समय में शायद इसका और असर दिखाई देगा और आतंकवादियों पर ज्यादा दबाव पड़ेगा। (रजत शर्मा)
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