29 साल के आदित्य ठाकरे गुरुवार को ठाकरे परिवार से राजनीति में उतरने वाले पहले शख्स बन गए। आदित्य के दादा बालासाहेब ठाकरे द्वारा बनाई गई पार्टी शिवसेना ने मुंबई के प्रतिष्ठित वर्ली निर्वाचन क्षेत्र से इस युवा नेता को मैदान में उतारा है। शिवसेना की स्थापना बालासाहेब ठाकरे ने 1966 में की थी और पिछले 53 सालों में पार्टी ने कभी भी चुनाव लड़ने के लिए ठाकरे परिवार के किसी भी सदस्य को मैदान में नहीं उतारा था। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे नामांकन पत्र दाखिल करने के लिए अपने बेटे आदित्य के साथ रिटर्निंग ऑफिसर के दफ्तर गए।
चूंकि यह एक ऐतिहासिक क्षण था, इसलिए पार्टी ने एक भव्य रोड शो करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी थी। लोअर परेल से लेकर वर्ली तक के इस रोड शो में शिवसैनिक ढोल-नगाड़े बजाते हुए नजर आए। इस मौके पर उद्धव ठाकरे की पत्नी रश्मि और अन्य वरिष्ठ मंत्री भी उपस्थित थे। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने चुनावी मैदान में उतरने पर आदित्य ठाकरे को बधाई देने के लिए फोन किया। वहीं, आदित्य ने भी सोशल मीडिया पर एक तस्वीर डाली जिसमें वह नामांकन दाखिल करने के लिए घर छोड़ने से पहले बालासाहेब ठाकरे की तस्वीर के सामने दंडवत हैं।
उद्धव ठाकरे ने अपने जीवन में कभी चुनाव नहीं लड़ा और न ही उनके पिता बाला साहेब ठाकरे ने। बदलते समय के साथ उद्धव ने अब परिवार की परंपरा से दूर होने का फैसला किया है, क्योंकि वह चाहते हैं कि उनका बेटा चुनावी राजनीति की पथरीली राहों से गुजरने के बाद उनकी विरासत को संभाले। आदित्य को मुंबई में शिवसेना के गढ़ वर्ली से मैदान में उतारा गया है। इस कदम से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और घनी आबादी वाले इसके उपनगरों में रहने वाले पार्टी के समर्थकों के बीच अच्छा संदेश जाएगा।
शिवसेना के नेताओं ने अभी से ही आदित्य को अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करना शुरू कर दिया है, लेकिन इस बात का अनुमान कोई नहीं लगा सकता कि इस महीने के विधानसभा चुनावों में शिवसेना-बीजेपी गठबंधन का प्रदर्शन कैसा रहेगा। अंत में, सबकुछ शिवसेना और उसकी बड़ी सहयोगी बीजेपी द्वारा जीती गई सीटों की संख्या पर निर्भर करेगा। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 03 अक्टूबर 2019 का पूरा एपिसोड
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