कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक हलफनामा दायर किया। इस हलफनामे में उन्होंने राफेल मामले से जुड़ी की याचिकाओं पर शीर्ष अदालत के 10 अप्रैल के फैसले को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ अपने चुनावी नारे ‘चौकीदार चोर है’ से जोड़ने के लिए ‘खेद’ जताया। बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी द्वारा दायर की गई अवमानना याचिका के जवाब में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में राहुल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ‘चौकीदार’ को ‘चोर’ घोषित करने का बयान उन्होंने ‘चुनाव प्रचार के जोश’ में दे दिया था। राहुल ने कहा कि यह बयान देने से पहले उन्होंने अदालत के आदेश को नहीं पढ़ा था।
अब यह साफ है कि राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बारे में झूठ बोला था। मुझे लगता है कि उन्होंने अपने हलफनामे में भी झूठ बोला है कि उन्होंने अदालत के आदेश को नहीं पढ़ा था। कांग्रेस अध्यक्ष ने अमेठी और कटिहार में अपनी रैलियों में 2 बार कहा था कि राफेल सौदे में अब सुप्रीम कोर्ट ने भी मान लिया है कि 'चौकीदार चोर है'। मामला अब सुप्रीम कोर्ट में है और अब अदालत ही राहुल के हलफनामे पर फैसला करेगी।
हलफनामा दायर किए जाने के तुरंत बाद राहुल ने सोमवार को अपनी अमेठी रैली में एक बार फिर 'चौकीदार चोर है' का नारा बुलंद किया। इस बार अंतर केवल इतना था कि उन्होंने यह नहीं कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने राफेल सौदे में 'चौकीदार' को 'चोर' माना है। राहुल इस नारे को इतनी बार दोहरा चुके हैं कि अब इसमें कुछ नयापन नहीं दिखता। आज तक उन्होंने यह साबित करने के लिए एक भी सबूत नहीं दिखाया कि मोदी सरकार ने राफेल सौदे में अनिल अंबानी को 30,000 करोड़ रुपये का फायदा पहुंचाया था।
वित्त मंत्री अरुण जेटली पहले ही साफ कर चुके हैं कि अनिल अंबानी की कंपनी उन लगभग 100 कंपनियों में से एक थी, जिन्हें राफेल विमान के निर्माता डसॉल्ट एविएशन से ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट मिला था। सच्चाई यह है कि अनिल अंबानी की कंपनी को ऑफसेट कॉन्ट्रैक्ट के लिए डसॉल्ट एविएशन से सिर्फ 852 करोड़ रुपये मिले थे न कि 30,000 करोड़ रुपये। (रजत शर्मा)
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