RAJAT SHARMA BLOG: क्यों पीएम मोदी ने अरुण जेटली के बजट की जमकर तारीफ की?
इस बजट में पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास' मंत्र की झलक दिखी। इसलिए पीएम मोदी ने कहा कि यह न्यू इंडिया का बजट है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस कड़े इम्तहान को अच्छे नंबरों से पास कर लिया।
मैंने अपने 35 साल के पत्रकारिता के कैरियर में बहुत सारे वित्त मंत्री को बजट पेश करते हुए और उसपर प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए देखा है। लेकिन पहली बार मैंने एक प्रधानमंत्री को अपने वित्त मंत्री के बजट की तारीफ में 25 मिनट का भाषण देते देखा। डॉक्टर मनमोहन सिंह एक बड़े अर्थशास्त्री थे लेकिन वे कभी वित्त मंत्रियों के बजट पर इतना विस्तार से नहीं बोले। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट की प्रशंसा करते हुए हर योजना, हर मुख्य सेक्टर के फंड आवंटन और उसके पीछे के तर्कों पर विस्तार से अपनी बात रखी।
35 साल लंबे अपने कैरियर में मैंने पहली बार यह भी देखा कि सबसे बड़े विरोधी दल के सबसे बड़े नेता बजट पेश होने के बाद एक भी शब्द बोले बगैर चले गए। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की खामोशी की असली वजह क्या थी ये तो राहुल गांधी ही बता सकते हैं। यह उन्हें तय करना है कि किस तरह से उन्हें प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
पहले जब बजट आते थे तब एक ही बात की चर्चा होती थी कि क्या महंगा हुआ और क्या सस्ता हुआ। लेकिन इस बार ऐसा नहीं हुआ। इसबार यह पहला बजट है जिसके पेश होने के बाद नीति और परियोजनाओं पर चर्चा हुई। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, इंफ्रास्ट्रक्चर और समाज कल्याण को लेकर सरकार की योजनाओं का ब्यौरा दिया। इस बजट में पीएम मोदी के 'सबका साथ, सबका विकास' मंत्र की झलक दिखी। इसलिए पीएम मोदी ने कहा कि यह न्यू इंडिया का बजट है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इस कड़े इम्तहान को अच्छे नंबरों से पास कर लिया।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के तहत 10 करोड़ गरीब और उपेक्षित परिवारों को हर साल 5 लाख रुपये तक की स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराने के सरकार के बजट प्रस्ताव पर जिस तरह से सवाल उठाया उससे ऐसा लगता है कि शायद चिंदबरम ने ध्यान से नहीं सुना। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने साफ-साफ कहा कि इसका पूरा पैसा सरकार की तरफ से उपलब्ध कराया जाएगा। यह दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी स्वास्थ्य योजना होगी और इसे सफलतापूर्वक जमीन पर उतारने के लिए पर्याप्त धन आवंटित किए जाएंगे। सरकार की योजना अच्छी है, सरकार की सोच अच्छी है, लेकिन इसे लागू करना आसान नहीं होगा। हालंकि पी चिदंबरम की इस बात से मैं सहमत नहीं हूं कि सरकार इस योजना के लिए फंड कहां से लाएगी। सरकार के पास पैसे की कमी नहीं है। मुश्किल डॉक्टर्स और अस्पतालों की होगी। सरकार ने 24 मेडिकल कॉलेज अस्पताल खोलने का ऐलान जरूर किया है लेकिन इन्हें बनने में कम से कम पांच साल का वक्त लगेगा। उसके बाद पढ़ाई शुरू होगी और फिर पांच साल बाद डॉक्टर्स निकलेंगे। तब तक तो मौजूदा इन्फ्रास्ट्रक्चर से ही काम चलाना पड़ेगा, और यह कोई आसान काम नहीं है।
इस बजट में किसानों का खास ध्यान रखा गया है। 2014 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को किसानों का वोट मिला था क्योंकि किसानों को मोदी से मदद की उम्मीद थी। लेकिन पिछले चार साल में किसानों की हालत में कोई खास सुधार नहीं आया। किसानों की नाराजगी हाल में संपन्न गुजरात विधानसभा चुनाव में दिखी। कांग्रेस ने मूंगफली और कपास की कीमतों को चुनावी मुद्दा बनाया। बनासकांठा, अमरेली, जूनागढ़, गीर सोमनाथ और मोरबी जैसे इलाकों में किसानों और मछुआरों ने बीजेपी से दूरी बना ली और कांग्रेस का समर्थन किया। यह मोदी के लिए एक सबक था इसलिए इसबार बजट में किसानों, मछुआरों और पशुपालकों पर विशेष ध्यान दिया गया। (रजत शर्मा)