आज मैंने पाकिस्तान की फौज के प्रवक्ता आसिफ गफूर की प्रेस कॉन्फ्रेंस देखी और यह पाया कि पिछले 24 घंटे में वहां की फौज के स्वर बिल्कुल बदले हुए लग रहे हैं। आसिफ गफूर ने कम से कम बीस बार कहा कि पाकिस्तान भारत के साथ जंग नहीं चाहता। कल उन्होने भारतीय वायुसेना के हवाई हमले के बाद भारत को सबक सिखाने की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि हम हिन्दुस्तान को सरप्राइज़ देंगे, बदला लेंगे।
आज पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने दावा किया कि पाकिस्तान की वायुसेना के विमानों ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा को पार कर हिन्दुस्तान की सरहद में जाकर खाली जगह पर बम गिराए। इसके बाद उन्होंने सफाई दी कि पाकिस्तानी वायुसेना भारत को यह दिखाना चाहती थी कि वह भी हमला करने में सक्षम है, 'चूंकि हम जंग नहीं चाहते, हमने केवल अपनी ताकत दिखाई और वापस लौट गए।'
इस प्रवक्ता ने कल यह दावा किया था कि पाकिस्तानी वायुसेना के विमानों ने भारतीय वायुसेना के विमानों को पाकिस्तान की वायुसीमा से भागने के लिए मजबूर कर दिया था और अब भारत को हमारे जवाब का इंतजार करना चाहिए। आज उस शख्स ने बिल्कुल वही बातें कहीं जो कल भारत की तरफ से विदेश सचिव ने कहा थी। पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने कहा, 'हमारी एयर फोर्स ने किसी सैन्य ठिकाने को निशाना नहीं बनाया और हमने वहां नागरिकों को किसी तरह का नुकसान नहीं किया। हमने अपने टारगेट से खुद को सुरक्षित दूरी पर रखा।' हालांकि उन्होंने आगे कहा कि 'हम हमला कर सकते थे, लेकिन हमने ऐसा नहीं किया क्योंकि हम एक जिम्मेदार देश हैं।' आज इस प्रवक्ता ने पाकिस्तानी रिपोर्टर्स से अपील की कि वे जंग की रिपोर्टिंग ना करें, अमन की रिपोर्टिंग करें, क्योंकि 'हम जंग नहीं चाहते।'
युद्ध और शांति को लेकर पाकिस्तानी सेना के सुर 24 घंटे में क्यों बदल गए?
इसकी दो वजह हो सकती है, पहली वजह ये है कि पाकिस्तान डर गया है, अब वो वाकई जंग नहीं चाहता, उसे लगा हारकर और बेइज्ज़ती होगी। दूसरी वजह, ये बदला तेवर एक दिखावा हो सकता है, भारत की फौज को चकमा देने की कोशिश हो सकती है, बात करो अमन की और पीछे से जंग करो।
मुझे दूसरी वजह ज़्यादा सही लगती है। हिन्दी में एक कहावत है कि 'हाथी के दांत खाने के और दिखाने के और'। इसी कहावत को मैं कुछ इस तरह से कहना चाहूंगा, 'पाकिस्तान के दांत खाने के और दिखाने के और।' (रजत शर्मा)
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