Rajat Sharma Blog: पश्चिम बंगाल में प्रचार पर चुनाव आयोग की रोक से ममता गुस्से में क्यों हैं?
ममता बनर्जी अब व्यवाहारिक तौर पर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि नरेंद्र मोदी अब बंगाल में उनकी राजनीतिक जड़ें हिला सकते हैं।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह के कोलकाता रोड शो के दौरान मंगलवार को हुई झड़प के मद्देनजर चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए रविवार को होनेवाले तीसरे और अंतिम दौर के चुनाव प्रचार खत्म होने की समय सीमा से 24 घंटे पहले ही चुनाव प्रचार पर रोक लगा दी है। मतदान के दौरान और ज्यादा हिंसा न भड़के, इसको नजर में रखते हुए चुनाव आयोग ने यह फैसला लिया है। इसका मतलब यह हुआ कि पश्चिम बंगाल में अब राजनीतिक दल मतदान से 72 घंटे पहले चुनाव प्रचार नहीं कर सकते।
चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 में वर्णित अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए यह अभूतपूर्व फैसला लिया है। इतना ही नहीं आयोग ने ममता बनर्जी के सबसे करीबी और भरोसेमंद अफसरों राजीव कुमार, एडीजी (सीआईडी) और प्रधान सचिव (गृह) अत्रि भट्टाचार्या का तत्काल तबादला करने का आदेश भी जारी किया। चुनाव आयोग के मुताबिक, पर्यवेक्षकों की रिपोर्ट में कहा गया है कि मंगलवार की शाम राजीव कुमार खुद लोगों को गिरफ्तार कर रहे थे। अब उन्हें गुरुवार सुबह 10 बजे दिल्ली स्थित गृह मंत्रालय में रिपोर्ट करने के लिए कहा गया है।
चुनाव आयोग के मुताबिक प्रधान सचिव (गृह) अत्रि भट्टाचार्या का तबादला इसलिए किया गया क्योंकि वे पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी को चिट्ठी लिखकर चुनाव प्रक्रिया में हस्तक्षेप कर रहे थे कि चुनाव कैसे कराए जाएं।
राजीव कुमार के बारे में आपको पता होगा कि वे शारदा चिट फंड घोटाले में इन दिनों सीबीआई के रडार पर हैं। इस साल फरवरी महीने में जब सीबीआई अफसरों की टीम राजीव कुमार से पूछताछ करने उनके घर पहुंची थी तो सीबीआई अफसरों को रोकने के लिए उन्होंने कोलकाता पुलिस का इस्तेमाल किया था। उसी रात सीबीआई की कार्रवाई का विरोध करते हुए ममता बनर्जी अपनी पार्टी के नेताओं और राजीव कुमार के साथ रातभर धरने पर बैठीं। इस मामले का समाधान सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद हुआ जब कोर्ट ने राजीव कुमार को निर्देश दिया कि वे शिलॉग जैसे तटस्थ जगह पर सीबीआई के सामने पेश हों।
बुधवार रात हमने 'आज की बात' शो में दिखाया कि कैसे गुस्से में ममता बनर्जी चुनाव आयोग पर भड़क उठीं। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग में आरएसएस के लोग घुस गए हैं और आयोग का यह फैसला गैर-कानूनी और असंवैधानिक है।
स्पष्ट तौर पर ममता बनर्जी गुस्से में हैं क्योंकि (1) चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में उन्हें अपने दो करीबी सहयोगियों को खोना पड़ा और (2) कोलकाता में चुनाव प्रचार के आखिरी दिन ममता हमेशा बड़ी जनसभा करती हैं। शुक्रवार को आयोजित होनेवाली इस जनसभा के लिए बहुत तैयारियां की गई थी। ममता बनर्जी आखिरी वक्त में इस चुनाव को बंगाली बनाम नॉन बंगाली का रंग देना चाहती थीं, लेकिन अब वो मौका भी हाथ से चला जाएगा।
वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुरुवार को बंगाल में दो रैलियों को संबोधित करेंगे। उनकी पार्टी ने भी शुक्रवार को कोलकाता में बड़ी रैली की योजना बनाई थी जिसकी इजाजत के लिए दिया गया आवेदन अभी विचाराधीन था।
मैं ममता बनर्जी की सियासत को पिछले पैंतीस साल से देख रहा हूं। वो एक तेज-तर्रार नेता हैं। विरोधियों को जवाब देने में भी माहिर हैं। वो ममता ही थीं जिन्होंने सिंगूर और अन्य जन-आंदोलनों का नेतृत्व किया, जमीनी संघर्ष किया और पश्चिम बंगाल में 34 साल से लगातार शासन कर रहे वामपंथियों के नेतृत्व वाली सरकार को उखाड़ फेंका। त्रिपुरा में वामपंथ का किला ध्वस्त होने के साथ, ममता बनर्जी अब व्यवाहारिक तौर पर अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही हैं, क्योंकि उन्हें डर है कि नरेंद्र मोदी अब बंगाल में उनकी राजनीतिक जड़ें हिला सकते हैं।
वामदलों के खिलाफ अपने पूरे संघर्ष के दौरान ममता बनर्जी ने कभी इस तरह की भाषा का इस्तेमाल नहीं किया। लेकिन ऐसा पहली बार में सुन रहा हूं कि ममता प्रधानमंत्री और बीजेपी अध्यक्ष को 'गुंडा' बता रही हैं.. बीजेपी के नेताओं को वे 'चंबल का डाकू बता' रही हैं। वे नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री मानने से इनकार कर रही हैं। स्पष्ट है कि ममता परेशान हैं, वे झुंझला रही हैं और उनकी झुंझलाहट अब जनता के सामने बेलगाम बयानों से जाहिर भी हो रही हैं।
बंगाल के चुनाव प्रचार में सबसे रोचक बात ये है कि जिस सीपीआई (एम) ने 34 साल तक राज्य में शासन किया वह लड़ाई से गायब है। राहुल गांधी की अगुवाई वाली कांग्रेस चौथे नंबर पर है, जिसका प्रभाव कुछ क्षेत्रों तक ही सीमित है।
स्पष्ट है कि इस लोकसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल की राजनीति के समीकरण बिल्कुल बदल गए हैं। ममता बनर्जी को डर है कि अगर बीजेपी यहां पैर जमाने में कामयाब हो गई तो उनके लिए अगला विधानसभा चुनाव जीतना मुश्किल हो जाएगा, जो कि 2021 में होना है। वहीं बीजेपी को लगता है कि अगर कुछ राज्यों में पिछली बार के मुकाबले थोड़ी बहुत सीटें कम मिलती हैं तो उसकी भरपाई पश्चिम बंगाल से हो सकती है। कुल मिलाकर यह दो राजनीतिक दिग्गजों - मोदी और ममता, का सियासी झगड़ा है जिसने बंगाल को फोकस में ला दिया है और अब तो ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग पर भी निशाना साधना शुरू कर दिया है। (रजत शर्मा)
देखें, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 15 मई 2019 का पूरा एपिसोड