Rajat Sharma’s Blog: भारत को झूठ पर आधारित ट्रंप के प्रस्ताव पर भरोसा क्यों नहीं करना चाहिए
मैं ये बातें इस तथ्य की तरफ ध्यान दिलाने के लिए बता रहा हूं कि कई अमेरिकी ही अपने राष्ट्रपति की बातों पर यकीन नहीं करते।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मौजूदगी में सोमवार को यह कहकर विवादों को जन्म दे दिया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे 71 साल पुराने कश्मीर विवाद को सुलझाने के लिए मध्यस्थता करने का अनुरोध किया था। भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संसद को बताया कि जापान के ओसाका में ट्रंप के साथ मुलाकात के दौरान हमारे प्रधानमंत्री ने ऐसा कोई अनुरोध नहीं किया था।
जयशंकर ने कहा, ‘इस मुद्दे पर भारत का रुख हमेशा से एक ही रहा है कि पाकिस्तान के साथ कश्मीर समेत सभी लंबित मुद्दों पर सिर्फ द्विपक्षीय वार्ता ही हो सकती है' और इसमें तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की कोई गुंजाइश नहीं है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी और अन्य विपक्षी नेताओं ने मांग की कि प्रधानमंत्री को खुद संसद में आकर स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, ‘एक कमजोर विदेश मंत्रालय के इनकार करने से काम नहीं चलेगा। प्रधानमंत्री देश को बताएं कि उनके और अमेरिकी राष्ट्रपति के बीच मुलाकात में क्या बात हुई थी?’
विपक्षी नेताओं को यह पता होना चाहिए कि अगर वे हमारे विदेश मंत्री के एक स्पष्ट बयान पर भरोसा करने की बजाय पीएम से स्पष्टीकरण की मांग करते हैं तो यह संदेश जाएगा कि हमारे नेता हमारी अपनी सरकार पर भरोसा नहीं करते हैं, बल्कि इसकी बजाय वे एक ऐसे विदेशी राष्ट्राध्यक्ष द्वारा की गई टिप्पणी पर यकीन करते हैं जो आदतन झूठ बोलता रहा है। डोनाल्ड ट्रंप दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के राष्ट्रपति हैं। उन्हें शायद यह लगता है कि वह दुनिया की किसी भी समस्या की मध्यस्थता और उसका समाधान कर सकते है, लेकिन एक तथ्य यह भी है कि ट्रंप ने अतीत में कई ऐसे बयान दिए हैं जो हकीकत से बिल्कुल जुदा रहे हैं।
कई प्रमुख अमेरिकी अखबारों ने रिपोर्ट प्रकाशित की है कि ट्रंप सालों से कैसे झूठ बोलते आ रहे हैं। वॉशिंगटन पोस्ट ने फैक्ट चेकर पर आधारित एक रिपोर्ट प्रकाशित की जिसमें कहा गया है कि डोनाल्ड ट्रंप सबसे ज्यादा झूठ बोलने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 869 दिनों में ट्रंप ने 11,769 बार झूठ बोला है। इस तरह ट्रंप ने एक दिन में औसतन एक दर्जन से ज्यादा झूठ बोले हैं। मैं यकीनी तौर पर नहीं कह सकता कि यह रिपोर्ट तथ्यों पर आधारित है या ट्रंप के खिलाफ अमेरिकी मीडिया की किसी मुहिम का हिस्सा है।
मैं ये बातें इस तथ्य की तरफ ध्यान दिलाने के लिए बता रहा हूं कि कई अमेरिकी ही अपने राष्ट्रपति की बातों पर यकीन नहीं करते। भारत में विपक्षी नेताओं को यह बात पता होनी चाहिए और तिल का ताड़ बनाना बंद कर देना चाहिए। पीएम मोदी ने कभी भी कश्मीर पर तीसरे पक्ष की मध्यस्थता की मांग नहीं की, और न ही वह कभी ऐसा करेंगे। कश्मीर मुद्दे को शिमला और लाहौर समझौते के मुताबिक, जिस पर भारत और पाकिस्तान दोनों ने हस्ताक्षर किए हैं, द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए। कोई भी सार्थक द्विपक्षीय बातचीत तभी शुरू हो सकती है जब पाकिस्तान अपनी धरती पर आतंकवादियों का समर्थन करना और उन्हें बढ़ावा देना बंद कर दे। (रजत शर्मा)
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