Rajat Sharma’s Blog: मोदीफोबिया से क्यों पीड़ित हैं इमरान खान?
जाहिर है, इमरान खान मोदीफोबिया से पीड़ित हैं। शायद उन्हें मालूम न हो, लेकिन हकीकत यह है कि शुक्रवार को, एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू और कश्मीर के पहले दिन, श्रीनगर के कई इलाकों में बाजार खुले थे और यातायात सामान्य था।
पाकिस्तान की सबसे बड़ी धार्मिक पार्टी के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्तीफा देने के लिए 2 दिन का अल्टिमेटम दिया है। इस्लामाबाद में एक विशाल रैली को संबोधित करते हुए फायरब्रांड मौलवी ने अप्रत्यक्ष रूप से सेना की आलोचना करते हुए आरोप लगाया कि इमरान खान की पार्टी जनादेश के जरिए नहीं ‘बल्कि किसी और के इशारे पर’ सत्ता में आई है। मौलाना की इस रैली में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के नेता बिलावल भुट्टो और पाकिस्तान मुस्लिम लीग (एन) के नेता शाहबाज़ शरीफ भी मौजूद थे।
मौलाना ने कहा, इमरान खान की सरकार बढ़ती कीमतों और बेतहाशा बेरोजगारी पर लगाम कसने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को अर्थव्यवस्था में जारी गिरावट को रोक पाने, और उसे ढर्रे पर लाने में भी कामयाबी नहीं मिली है। इस रैली के घंटों बाद इमरान खान की सरकार ने इस्तीफे की मांग को खारिज कर दिया। बाद में विपक्षी दलों पीपीपी और पीएमएल (एन) के वरिष्ठ नेताओं ने आंदोलन के भविष्य की दिशा तय करने के लिए मौलाना के साथ उनके आवास पर बातचीत की। शुक्रवार को, इमरान खान गिलगित बाल्टिस्तान में थे, जहां उन्होंने आरोप लगाया कि मौलाना ‘एक भारतीय नागरिक’ की तरह बोल रहे थे। उन्होंने सभी भ्रष्ट राजनेताओं को जेल भेजने की कसम खाई, और लोगों से समर्थन लेने के लिए इस्लाम से जुड़ी बातें कहीं।
इमरान खान ने कहा, पाकिस्तान का मतलब क्या, ला इल्लाह, इलल्लाह। इसके बाद उन्होंने बताया कि कैसे पैगंबर मोहम्मद के नेतृत्व में यूरोप के 2 बड़े साम्राज्यों को जीतते हुए इस्लाम मध्य पूर्व से आगे फैलता गया। फिर इमरान ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि घाटी में कश्मीरियों का दमन किया जा रहा है। पाकिस्तानी प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मोदी ने अपना आखिरी कार्ड (कश्मीर पर) खेल दिया है। अब जैसे ही कर्फ्यू को हटाया जाएगा, लोगों का एक हुजूम आज़ादी की मांग को लेकर सड़कों पर आ जाएगा।’
जाहिर है, इमरान खान मोदीफोबिया से पीड़ित हैं। शायद उन्हें मालूम न हो, लेकिन हकीकत यह है कि शुक्रवार को, एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जम्मू और कश्मीर के पहले दिन, श्रीनगर के कई इलाकों में बाजार खुले थे और यातायात सामान्य था। सच तो यह है कि इस्लामाबाद की सड़कों पर पाकिस्तान के लोग इमरान खान के शासन से 'आजादी' की मांग कर रहे हैं। लेकिन चूंकि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री मोदीफोबिया से पीड़ित हैं, इसलिए वह अपने सभी भाषणों में मोदी, कश्मीर और भारत का जिक्र कर रहे हैं। और अब तो इमरान खान ने आम लोगों के बीच तेजी से खोते जा रहे अपने समर्थन को हासिल करने के लिए इस्लाम की बड़ी-बड़ी बातें भी बोलनी शुरू कर दी हैं। वह आजकल बार-बार अपने आपको मौलाना साबित करने की कोशिश कर रहे हैं।
कश्मीर के बारे में इमरान खान को हकीकत का सही-सही अंदाजा नहीं है। वह ख्वाब देख रहे हैं कि लाखों की तादाद में कश्मीरी सड़कों पर उतर जाएंगे, लेकिन हकीकत यह है कि शुक्रवार को घाटी में दुकानें खुली थीं, लोग खरीदारी कर रहे थे और सड़कों पर यातायात सामान्य था। साफ है कि इमरान के सलाहकार उन्हें गुमराह कर रहे हैं। इमरान खान यदि कश्मीर के जमीनी हालात को गौर से देखें तो हो सकता है कि उनका नजरिया बदल जाए। (रजत शर्मा)
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