Rajat Sharma's Blog: बायडेन प्रशासन से भारत को क्या-क्या उम्मीदें हैं
नये अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन पहले ही भारत-अमेरिका संबंधों को 'एक द्विपक्षीय सफलता की कहानी' बता चुके हैं। मुझे उम्मीद है कि अमेरिका भारत के बारे में अपनी नीतियों में निरंतरता बनाए रखेगा।
'आज अमेरिका का दिन है। आज लोकतंत्र का दिन है। आज इतिहास और आशा का दिन है। पुनरुज्जीवन और संकल्प का दिन है।' इन्हीं शब्दों के साथ अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बायडेन ने बृहस्पतिवार को शपथ ग्रहण के बाद अपना पद संभाल लिया। उन्होंने कैपिटल (अमेरिकी संसद भवन) की सीढ़ियों पर शपथ ली जहां 6 जनवरी को डोनाल्ड ट्रम्प के उकसाए जाने के बाद अनियंत्रित गोरी कट्टरपंथी भीड़ ने जबर्दस्त उत्पात मचाया था। डोनाल्ड ट्रम्प चुनाव हार गए थे लेकिन वे हार स्वीकार करने को तैयार नहीं थे।
शपथ ग्रहण समारोह के दौरान बायडेन के भाषण को भीड़ बड़े ध्यान से सुन रही थी। नेशनल गार्ड्स के जवान इस पूरे समारोह पर अपनी पैनी नजर बनाए हुए थे और पूरी तरह से अलर्ट थे। बायडेन ने कहा- 'आज हम एक उम्मीदवार की विजय का जश्न नहीं, बल्कि लोकतंत्र के ध्येय की जीत का उत्सव मना रहे हैं। जनता की इच्छा को सुना और समझा गया है। हमने आज फिर सीखा है कि लोकतंत्र बेशकीमती है, लोकतंत्र नाजुक है और मित्रों, इस वक्त लोकतंत्र की विजय हुई है ।'
बायडेन के भाषण को शब्दों में पिरोने, उसे मूर्त्त रूप देने का काम भारतीय मूल के अमेरिकी सी. विनय रेड्डी ने किया था। विनय रेड्डी का परिवार मूल रूप से तेलंगाना का रहनेवाला है। पूरे राष्ट्रपति चुनाव में बायडेन के भाषण को लिखने का काम उन्होंने ही किया था। बायडेन की टीम में वे भाषण लिखने वाली टीम के डायरेक्टर थे। विनय रेड्डी बायडेन के साथ लंबे अर्से से जुड़े हैं। ओबामा के शासनकाल में जब बायडेन उपराष्ट्रपति थे, उस समय भी विनय रेड्डी बायडेन के साथ थे।
बायडेन ने कहा, 'हम पूरी रफ्तार और तेज़ी के साथ आगे बढ़ेंगे क्योंकि हमें खतरा और संभावनाओं से भरे इस शीतकाल में काफी कुछ करना है, काफी कुछ दुरुस्त करना है, काफी कुछ बहाल करना है, काफी कुछ हासिल करना है। हमारे इतिहास में बहुत कम समय ऐसे आये हैं जो आज की तुलना में ज्यादा कठिन और चुनौतीपूर्ण रहे हैं। सौ साल में एक बार आया यह वायरस देश भर में चुपचाप चहलकदमी कर रहा है। इस वायरस ने एक साल में इतनी जानें लीं जितनी अमेरिका ने पूरे द्वितीय विश्व युद्ध में गंवाई थी। लाखों लोग बेरोजगार हो गए। हजारों कारोबार बंद हो गए.... और अब हम राजनीतिक उग्रवाद, श्वेत वर्चस्व, घरेलू आतंकवाद के मुकाबिल हैं और इन्हें हरा कर रहेंगे ।'
बायडेन ने कहा: 'मैं आपको यह वचन देता हूं कि मैं सभी अमेरिकियों का राष्ट्रपति बना रहूंगा।'
इससे पहले कमला देवी हैरिस ने अमेरिका की पहली महिला उपरष्ट्रपति के तौर पर शपथ लेकर इतिहास रच दिया। कमला हैरिस प्रथम अश्वेत और भारतीय मूल की उपराष्ट्रपति हैं। शपथ ग्रहण समारोह से कुछ घंटे पहले डोनाल्ड ट्रम्प मरीन वन हेलीकॉप्टर में सवार होकर व्हाइट हाउस से निकल गए। उन्होंने मैरीलैंड हवाई अड्डे पहुंचकर अपने समर्थकों को संबोधित किया। ट्रम्प ने अपने भाषण में कहा- 'हम किसी न किसी रूप में वापस आएंगे '। ऐसी खबरें हैं कि ट्रम्प पैट्रियट पार्टी के नाम से एक नया राजनीतिक संगठन तैयार कर सकते हैं। वहीं ट्रम्प के कार्यकाल में उपराष्ट्रपति का पद संभालने वाले माइक पेंस ट्रम्प की विदाई में तो शामिल नहीं हुए, लेकिन वे जो बायडेन के शपथ ग्रहण समारोह में मौजूद थे ।
दरअसल सच्चाई ये है कि अपने चार साल के उथल-पुथल भरे शासन के दौरान, खास कर राष्ट्रपति चुनाव में अपनी हार के बाद के कुछ हफ्तों में, ट्रम्प ने नस्ल और जाति के आधार पर अमेरिकी जनता को बांटने का काम किया। यही वो दर्द था.. यही वो बात थी जो बायडेन के भाषण में बार-बार उभरकर सामने आई। उन्होंने अपने भाषण में बार-बार 'एकता' पर जोर दिया।
कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद की शपथ लेते देख भारतीय मूल के हर अमेरिकी को गर्व का अनुभव हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें ट्विटर पर बधाई दी और कहा, 'यह एक ऐतिहासिक अवसर है। भारत-अमेरिका संबंधों को और ज्यादा मजबूत बनाने के लिए उनके साथ बात करने को लेकर आशान्वित हूं। भारत और अमेरिका के बीच साझेदारी पूरी दुनिया के हित में है।' वहीं प्रधानमंत्री मोदी ने जो बायडेन को भी ट्वीट कर बधाई दी। मोदी ने ट्वीट किया: 'मैं भारत और अमेरिका के बीच रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने के लिए उनके साथ काम करने के लिए उत्सुक हूं।"
नये अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन पहले ही भारत-अमेरिका संबंधों को 'एक द्विपक्षीय सफलता की कहानी' बता चुके हैं। मुझे उम्मीद है कि अमेरिका भारत के बारे में अपनी नीतियों में निरंतरता बनाए रखेगा। दोनों देशों के बीच पहले से ही रक्षा क्षेत्र में काफी प्रगति हुई है। भारत को उम्मीद है कि अमेरिका एक व्यापक व्यापार समझौते के साथ आगे आएगा जो दोनों देशों के लिए फायदेमंद होगा। दोनों देशों को मिलकर उस आतंकवाद का मुकाबला करना होगा जिसका पालन-पोषण भारत के पड़ोस में हो रहा है। (रजत शर्मा)
देखें: अमेरिका के नए राष्ट्रपति जो बायडेन का भाषण