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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma Blog: बुलंदशहर में हिंसा किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है

Rajat Sharma Blog: बुलंदशहर में हिंसा किसी बड़ी साजिश का हिस्सा हो सकती है

साजिश करने वाले तनाव पैदा करने में कामयाब हो गए, लेकिन स्याना पुलिस चौकी पर तैनात 20 से 25 पुलिसवालों ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के नेतृत्व में हिम्मत से काम लिया।

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बुलंदशहर में चश्मदीदों की बातें सुनकर और भीड़ द्वारा यूपी पुलिस के इंस्पेक्टर की हत्या का वीडियो देखकर एक बात तो साफ लग रही है कि सोमवार को स्याना में हिंसा अचानक नहीं भड़की थी। यह एक सोची-समझी साजिश का नतीजा लग रही है। बुलंदशहर वैसे ही सांप्रदायिक तनाव और अवैध तरीके से गोकशी के लिए बदनाम है। इसके बावजूद बुलंदशहर में शनिवार से लेकर सोमवार के बीच 10 लाख से ज्यादा मुसलमान आलमी तबलीगी इज्तेमा में भाग लेने के लिए इकट्ठा हुए। प्रशासन ने इस आयोजन को गंभीरता से नहीं लिया और कोई एहतियाती कदम नहीं उठाए गए।
 
तीन दिनों तक यह जलसा चला। दो दिन शांति से बीते और आखिरी दिन अचानक स्याना के एक खेत में 30 से 35 कटी हुई गायें मिलीं। यह कोई इत्तेफाक नहीं हो सकता। ऐसा लगता है कि पूरे बुलंदशहर को बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगों की आग में जलाने की साजिश की गई थी। हिंदुओं की भावनाओं को भड़काने के लिए गायों को काटकर खेतों के पास एक जंगल में फेंका गया था। साजिश करने वाले तनाव पैदा करने में कामयाब हो गए, लेकिन स्याना पुलिस चौकी पर तैनात 20 से 25 पुलिसवालों ने इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह के नेतृत्व में हिम्मत से काम लिया।
 
स्थानीय पुलिस ने गांववालों का आक्रोश शांत करने की हरसंभव कोशिश की। बुलंदशहर में हालात काबू से बाहर हो सकते थे और सांप्रदायिक दंगों की आग उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी फैल सकती थी। इसे काबू में रखने का श्रेय इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह को जाता है, और इसके लिए उन्हें शहीद का दर्जा मिलना चाहिए। उत्तर प्रदेश सरकार के इस्पेक्टर के परिवार वालों की पूरी मदद करनी चाहिए। लेकिन इसके साथ ही इस मामले की तह तक जाकर, उन साजिशकर्ताओं को न्याय के दायरे में लाने की जरूरत है, जिन्होंने सांप्रदायिक दंगे भड़काने की नीयत से गोकशी की। (रजत शर्मा)

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