यूनाइडेट किंगडम हाईकोर्ट ने 13 भारतीय बैंकों के समूह को यह इजाजत दी है कि वह प्रवर्तन एजेंसियों को भगोड़े आर्थिक अपराधी विजय माल्या की विशाल संपत्तियों में दाखिल होने की अनुमति दे और बकाया वसूली के लिए उन्हें अपने कब्जे में ले।
भारत से भागने के बाद पूर्व शराब कारोबारी लंदन के पास टेविन में अपने बंगले में रह रहे है। माल्या पर भारतीय बैंकों के समूह का 6,203 करोड़ के अलावा ब्याज भी बकाया है, जो कि कुल मिलाकर 9,863 करोड़ रुपये बनता है। कोर्ट ने अपने आदेश में साफ तौर पर कहा कि हाईकोर्ट के प्रवर्तन अधिकारी या उनके एजेंट विजय माल्या की संपत्तियों में दाखिल हो सकते हैं और तलाशी के बाद बकाये की वसूली के लिए सामानों को कब्जे में ले सकते हैं। कोर्ट ने प्रवर्तन अधिकारियों को 'अगर जरूरी हो तो उचित बल प्रयोग' की भी इजाजत दी है।
माल्या वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट कोर्ट में प्रत्यर्पण के केस का सामना कर रहे हैं और उन्हें 31 जुलाई को पेश भी होना है। भारत ने उनके प्रत्यर्पण की मांग की है और अपने इस आग्रह को उच्चस्तर तक पहुंचाया है।
ऐसा लगता है कि माल्या अब हारी हुई लड़ाई लड़ रहे हैं और वे कानून के फंदे से बहुत दिनों तक बच नहीं सकते। उन्हें भारत लौटकर बैंकों का पैसा वापस लौटाना पड़ेगा। माल्या ने पिछले हफ्ते स्टेट बैंक ऑफ इंडिया को एक चिट्ठी लिखी थी जिसमें कर्ज चुकाने के लिए अपनी संपत्तियों को नीलाम करने की इच्छा जताई थी। उन्होंने कर्नाटक हाईकोर्ट में भी इसी तरह की अपील की थी। ऐसा लगता है कि माल्या और उनके वकील यूके हाईकोर्ट से आनेवाले इस तरह के प्रतिकूल फैसले को लेकर अवगत थे। इस फैसले के बाद समझ में आया कि एक हफ्ते पहले माल्या के रुख में अचानक बदलाव क्यों आया था। इस भगोड़े आर्थिक अपराधी को अब कानून के तमाम प्रहार का सामना करना पड़ेगा जिसे बैंक कर्ज अदायगी से बचने के लिए उसके भारत से भागने के बाद काफी कड़ा कर दिया गया है। (रजत शर्मा)
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