Rajat Sharma's Blog: मोदी पर भरोसा करें, उनका ट्रैक रिकॉर्ड देखें और बात करें किसान
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में किसानों की गलतफहमियों को दूर करने की पूरी कोशिश की। अब इससे ज्यादा साफ बात और क्या हो सकती है? इसके बाद भी अगर किसानों के मन में कोई सवाल है तो सरकार बात करने को तैयार है।
किसान आंदोलन में हरियाणा, पंजाब और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हज़ारों किसानों के शामिल होने के बाद अब केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत की पूरी तैयारी हो गई है। वाराणसी में सोमवार को देव दीपावली के अवसर पर अपने भाषण में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 'किसानों को गुमराह' करने के लिए विपक्षी दलों की खूब खिंचाई की।
नरेंद्र मोदी अपने भाषण में किसानों के मुद्दे पर करीब 27 मिनट तक बोले। उन्होंने कहा- 'ऐतिहासिक कृषि सुधारों के मामले में भी जानबूझकर यही खेल खेला जा रहा है। हमें याद रखना है, ये वही लोग हैं जिन्होंने दशकों तक किसानों के साथ लगातार छल किया है। अब जैसे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) तो घोषित होता था लेकिन एमएसपी पर खरीद बहुत कम की जाती थी। घोषणाएं होती थी, खरीद नहीं होती थी। सालों तक एमएसपी को लेकर छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़े-बड़े कर्जमाफी के पैकेज घोषित किए जाते थे। लेकिन छोटे और सीमांत किसानों तक ये पहुंचते ही नहीं थे। यानि कर्ज़माफी को लेकर भी छल किया गया। किसानों के नाम पर बड़ी-बड़ी योजनाएं घोषित होती थीं। लेकिन वो खुद मानते थे कि 1 रुपए में से सिर्फ 15 पैसे ही किसान तक पहुंचते हैं।यानि योजनाओं के नाम पर छल।'
मोदी ने कहा- 'किसानों के नाम पर, खाद पर बहुत बड़ी सब्सिडी दी गई। लेकिन ये फर्टिलाइज़र (खाद) खेत से ज्यादा काला बाज़ारियों के पास पहुंच जाता था। यानि यूरिया खाद के नाम पर भी छल। किसानों को प्रोडक्टिविटी (उत्पादन) बढ़ाने के लिए कहा गया लेकिन लाभ किसान के बजाय किसी और की सुनिश्चित की गई। पहले वोट के लिए वादा और फिर छल, यही खेल लंबे समय तक देश में चलता रहा है।'
मोदी ने कहा-'जब इतिहास छल का रहा हो, तब 2 बातें बड़ी स्वभाविक हैं। पहली ये कि किसान अगर सरकारों की बातों से कई बार आशंकित रहता है तो उसके पीछे दशकों का या लंबा छल का इतिहास है। दूसरी, ये कि जिन्होंने वादे तोड़े, छल किया, उनके लिए ये झूठ फैलाना एक प्रकार से आदात बन गई है, मजबूरी बन चुकी है कि जो पहले होता था वैसा ही अब भी होने वाला है क्योंकि उन्होंने ऐसा ही किया था इसलिए वो ही फॉर्मूला लगाकर के आज भी देख रहे हैं। लेकिन जब इस सरकार का ट्रैक रिकॉर्ड देखोगे तो सच आपके सामने खुलकर के आ जाएगा। हमने कहा था कि हम यूरिया की कालाबाज़ारी रोकेंगे और किसानों को पर्याप्त यूरिया देंगे। बीते 6 साल में यूरिया की कमी नहीं होने दी।'
मोदी ने कहा-'पहले तो यूरिया ब्लैक में लेना पड़ता था, यूरिया के लिए रात-रात लाईन लगा करके रात को बाहर ठंड में सोना पड़ता था और कई बार यूरिया लेने वाले किसानों पर लाठी चार्ज की घटनाएं होती थी। आज ये सब बंद हो गया। यहां तक कि कोरोना लॉकडाउन में भी जब लगभग हर गतिविधि बंद थी, तब भी यूरिया पहुंचाने में दिक्कत नहीं आने दी गई। हमने वादा किया था कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुकूल लागत का डेढ़ गुणा एमएसपी देंगे। ये वादा सिर्फ कागज़ों पर ही नहीं, ये वादा हमने पूरा किया और इतना ही नहीं किसानों के बैंक खाते तक पैसे पहुंचे, इसका प्रबंध किया।'
एनडीए सरकार किसानों की कैसे मदद पर कर रही है इसका खुलासा करते हुए पीएम ने कहा-'सिर्फ दाल की ही बात करें तो 2014 से पहले के 5 सालों में, हमसे जो पहले वाली सरकार थी उसके 5 सालों में लगभग 650 करोड़ रुपए की ही दाल किसान से खरीदी गई थी। लेकिन हमने 5 साल में क्या किया आ करके, 5 सालों में हमने लगभग 49 हज़ार करोड़ यानि करीब-करीब 50 हजार करोड़ रुपए की दालें एमएसपी पर खरीदी हैं यानि लगभग 75 गुणा बढ़ोतरी। कहां 650 करोड़ और कहां करीब-करीब 50 हजार करोड़। 2014 से पहले के 5 सालों में, उनकी आखिरी सरकार की मैं बात कर रहा हूं, 5 सालों में पहले की सरकार ने पूरे देश में एमएसपी पर 2 लाख करोड़ रुपए का धान खरीदा था। लेकिन हमने 5 साल में धान के लिए 5 लाख करोड़ रुपए एमएसपी के रूप में किसानों तक पहुंचा दिया। यानि लगभग ढाई गुणा ज्यादा पैसा किसान के पास पहुंचा है। 2014 से पहले के 5 सालों में गेहूं की खरीद पर डेढ़ लाख करोड़ रुपए के आसपास ही किसानों को मिला। डेढ़ लाख करोड़, उनकी सरकार के 5 साल। हमारे 5 साल में गेहूं पर 3 लाख करोड़ रुपए किसानों को एमएसपी का मिल चुका है यानि लगभग 2 गुणा। अब आप ही बताइए कि अगर मंडियां और एमएसपी को ही हटाना था, तो इतनी बड़ी हम ताकत क्यों देते भाई? हम इन पर इतना निवेश ही क्यों करते? हमारी सरकार तो मंडियों को और आधुनिक बनाने के लिए, मजबूत बनाने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है।'
कांग्रेस का नाम लिए बिना पीएम मोदी ने पार्टी पर जमकर हमला बोला और कहा-' आपको याद रखना है, यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर हर गली-मोहल्ले में, हर प्रेस कॉन्फ्रेंस में, हर ट्वीटर में सवाल उठाते थे। ये लोग अफवाह फैलाते थे, ये मोदी है, ये चुनाव है न इसलिए ये किसान सम्मान निधि ले के आया है। ये 2,000 रुपया एक बार दे देगा, दुबारा कभी नहीं देगा। दूसरा झूठ चलाया कि ये 2,000 अभी दे रहा है लेकिन चुनाव पूरा हो गया तब ब्याज समेत वापस ले लेगा।'
मोदी ने कहा-'आप हैरान हो जाएंगे, एक राज्य में तो इतना झूठ फैलाया, इतना झूठ फैलाया कि किसानों ने कहा कि हमें 2,000 रुपया नहीं चाहिए, यहां तक झूठ फैलाया। कुछ राज्य ऐसे भी हैं, एक राज्य जो किसान के नाम से बाते कर रहे हैं, उन्होंने तो प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को अपने राज्य में लागू ही नहीं होने दिया क्योंकि अगर ये पैसा किसानों के पास पहुंच गया और कहीं मोदी का जय-जयकार हो गया तो फिर तो हमारी राजनीति ही खत्म हो जाएगी। किसानों के जेब में पैसा नहीं जाने दिया। मैं उन राज्य के किसानों से कहना चाहता हूं कि आने वाले समय में जब भी हमारी सरकार बनेगी, ये पैसा भी मैं वहां के किसानों को दे के रहूंगा। देश के 10 करोड़ से ज्यादा किसान परिवारों के बैंक खाते में सीधी मदद दी जा रही है और यह प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के द्वारा लगातार चल रहा है। साल में तीन बार देते हैं और अब तक लगभग 1 लाख करोड़ रुपया सीधा किसानों के बैंक खाते में पहुंच चुका है। हमने वादा किया था कि किसानों के लिए पेंशन योजना बनाएंगे। आज पीएम किसान मानधन योजना लागू है और बहुत कम समय में ही 21 लाख किसान परिवार इसमें जुड़ भी चुके हैं।‘
प्रधानमंत्री ने कहा-' वादों को ज़मीन पर उतारने के इसी ट्रैक रिकॉर्ड के बल पर किसानों के हित में नए कृषि सुधार कानून लाए गए हैं। किसानों को न्याय दिलाने में, ये कितने काम आ रहे हैं, ये आने वाले दिनों में हम जरूर देखेंगे, हम अनुभव करेंगे और मुझे विश्वास है मीडिया में भी इसकी सकारात्मक चर्चाएं होगी और हमें देखने भी मिलेगा, पढ़ने को भी मिलेगा। मुझे अहसास है कि दशकों का छलावा किसानों को आशंकित करता है। किसानों का दोष नहीं है, लेकिन मैं देशवासियों को कहना चाहता हूं, मैं मेरे किसान भाई-बहनों को कहना चाहता हूं और मां गंगा के घाट पर से कहना चाहता हूं, काशी जैसी पवित्र नगरी से कह रहा हूं- अब छल से नहीं, गंगाजल जैसी पवित्र नीयत के साथ काम किया जा रहा है।'
मोदी ने कहा-'आशंकाओं के आधार पर भ्रम फैलाने वालों की सच्चाई लगातार देश के सामने आ रही है। जब एक विषय पर इनका झूठ किसान समझ जाते हैं, तो ये दूसरे विषय पर झूठ फैलाने लग जाते हैं। 24/7 उनका यही काम है। देश के किसान, इस बात को भली-भांति समझते हैं। जिन किसान परिवारों की अभी भी कुछ चिंताएं हैं, कुछ सवाल हैं, तो उनका जवाब भी सरकार निरंतर दे रही है, समाधान करने का भरपूर प्रयास कर रही है। मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से हमारा अन्नदाता आत्मनिर्भर भारत की अगुवाई करेगा। मुझे विश्वास है, आज जिन किसानों को कृषि सुधारों पर कुछ शंकाएं हैं, वो भी भविष्य में इन कृषि सुधारों का लाभ उठाकर, अपनी आय बढ़ाएंगे, ये मेरा पक्का विश्वास है।'
पिछले कई दिनों से दिल्ली बॉर्डर पर धरने पर बैठे कई किसानों ने प्रधानमंत्री की बात सुनीं। हमारा अन्नदाता दिल्ली के पास सरहद पर इतनी सर्दी में सड़क पर बैठा है। सड़क पर बैठ कर सर्द रातें काटना कोई आसान नहीं है। लेकिन किसान भाई सड़क पर बैठे हैं। तस्वीरें देख कर आंख में आंसू आते हैं। सड़क पर खाना बना रहे हैं वहीं लंगर चल रहा है। ट्रैक्टर ट्रालियों में सो रहे हैं. ये दुखद है। मुझे लगता है कि जो नए कानून बने हैं, उनमें कुछ गलत नहीं है पर एक कम्यूनिकेशन गैप है। पिछले कई महीने से किसानों के साथ संवाद में कहीं ना कहीं कमी तो है इसीलिए अगर किसानों के मन में कुछ आशंकाएं हैं, कुछ सवाल हैं तो जबाव मिलने ही चाहिए और बार बार मिलने चाहिए। जब तक किसान कन्विंस (संतुष्ट) ना हो जाएं तब तक उन्हें जवाब मिलने चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में किसानों की गलतफहमियों को दूर करने की पूरी कोशिश की। उन्होंने अच्छा किया कि अपने भाषण में सीधे और साफ तरीके से बहुत सारी बातें स्पष्ट कर दीं। मोदी ने एक बार फिर भरोसा दिलाया कि एमएसपी खत्म नहीं होगी। दूसरी बात, मंडिया खत्म नहीं होंगी बल्कि मंडियों को आधुनिक किया जा रहा है और अगर किसान चाहें तो व्यापारियों को सीधे अपनी फसल बेच सकते हैं। तीसरी बात, व्यापारी या कंपनियों को किसी भी रूप में किसान की जमीन लीज पर लेने या खरीदने का हक नहीं होगा। कोई कानून ऐसा नहीं है जिससे किसान की जमीन पर कोई कब्जा नहीं कर सकेगा। सिर्फ फसल को खरीदने का एग्रीमेंट (करार) और किसी भी वक्त अगर किसान को लगता है कि उसे नुकसान है तो वो एग्रीमेंट से बाहर हो सकता है। इसके लिए उसे कोई जुर्माना नहीं देना होगा न ही उसका कोई नुकसान होगा। चौथी बात, अगर कोई व्यापारी या कंपनी किसान के साथ धोखा करती है, किसान का पूरा पेमेन्ट नहीं करती है तो किसान कानूनी मदद ले सकता है। अब इससे ज्यादा साफ बात और क्या हो सकती है? इसके बाद भी अगर किसानों के मन में कोई सवाल है तो सरकार बात करने को तैयार है इसका भरोसा भी मोदी ने दिया है।
किसान इस बात पर जोर दे रहे हैं कि सरकार एमएसपी की बात कानून में डाले। सरकार कानून में ये लिखे कि एमएसपी खत्म नहीं होगी और एमएसपी से कम दाम पर किसान की फसल को खरीदना कानूनन जुर्म होगा। जब तक सरकार ये बात नहीं मानती तब तक किसान वापस नहीं लौटेंगे। सरकार किसान नेताओं को तो समझाने की पूरी कोशिश कर सकती है, लेकिन उन लोगों का क्या किया जाए जो राजनीतिक एजेंडे के साथ आए हैं? कुछ विपक्षी दल खुलेआम किसानों के कंधों पर अपनी बंदूक रखकर राजनीति कर रहे हैं। किसानों को मोदी पर भरोसा करना चाहिए। मौजूदा गतिरोध के शांतिपूर्ण समाधान के लिए किसानों को सरकार से बात करनी चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 30 नवंबर, 2020 का पूरा एपिसोड