Rajat Sharma’s Blog: खतरा टला नहीं है, पूरी तरह ढील देकर लॉकडाउन से मिले फायदे को नहीं गंवाया जा सकता
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्रियों के बीच सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई बैठक के बाद देशव्यापी लॉकडाउन के एक बार फिर से बढ़ने की संभावना दिख रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्रियों के बीच सोमवार को वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई बैठक के बाद देशव्यापी लॉकडाउन के एक बार फिर से बढ़ने की संभावना दिख रही है। हालांकि, अधिकांश राज्य सरकारों ने मुंबई, दिल्ली, अहमदाबाद, जयपुर, सूरत, इंदौर, ठाणे, पुणे, हैदराबाद और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों में हॉटस्पॉट की संख्या को देखते हुए प्रतिबंधों में चरणबद्ध तरीके से छूट देने का आह्वान किया है।
भारत के 747 जिलों में से 180 जिलों की 'रेड ज़ोन' के रूप में पहचान की गई है, जबकि 228 जिले 'ऑरेंज ज़ोन' में आते हैं। वहीं, बाकी के 339 ज़िले 'ग्रीन ज़ोन' में हैं। 'रेड ज़ोन' में वे इलाके शामिल हैं जहां कोरोना वायरस तेजी से फैल रहा है और मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जबकि 'ऑरेंज ज़ोन' में वे इलाके शामिल हैं जहां कोरोना वायरस के मामले सामने आए तो थे, लेकिन अधिकांश मरीज ठीक हो चुके हैं। 'ग्रीन ज़ोन' में उन इलाकों को रखा गया है जहां आज तक एक भी मामला सामने नहीं आया है।
साफ है कि भारत के लगभग आधे जिले 'ग्रीन ज़ोन' में हैं, लेकिन असली दिक्कत 'रेड ज़ोन' में है। दरअसल, रेड ज़ोन ’में शामिल जिलों की संख्या भले ही कम हैं, लेकिन ये जिले देश के विकास में अहम रोल निभाते हैं। ये भारतीय अर्थव्यवस्था के पावर हाउस हैं। इन जिलों की आबादी काफी घनी है और यहां वायरस तेजी से फैल रहा है। अच्छी बात यह है कि कोरोना वायरस का खतरा भारत के ग्रामीण इलाकों तक नहीं के बराबर पहुंचा है।
केंद्र सरकार ने कृषि कार्य से जुड़ी गतिविधियों पर से सभी प्रतिबंधों को उठाने की इजाजत दे दी है। गेहूं की लगभग 80 प्रतिशत फसल काट ली गई है और कृषि उपकरण, बीज और उर्वरक बेचने वाली दुकानों को फिर से खोलने की इजाजत दी गई है। मंडियां (कृषि उत्पाद बाजार) सामान्य रूप से चल रही हैं। ग्रीन ज़ोन में स्थित कारखानों में, स्वच्छता और सोशल डिस्टैंसिंग के नियमों को सख्ती से लागू किया जाएगा ताकि वायरस का प्रसार न हो पाए।
मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने चीन, जापान और दक्षिण कोरिया में कोरोना वायरस की सेकेंड वेव यानी कि दूसरे चरण की रिपोर्ट की ओर इशारा किया। इसलिए खतरा अभी भी टला नहीं है और भारत को लॉकडाउन लागू करके पहले चरण में जो फायदा मिला है उसे पूरी तरह ढील की इजाजत देकर गंवाना नहीं चाहिए।
पश्चिमी मीडिया, जो कि पिछले कई दशकों से पारंपरिक तौर पर भारत विरोधी रहा है, ने इस बात को कोई तवज्जो नहीं दी कि 130 करोड़ लोगों के देश भारत ने अपने यहां कोरोना वायरस महामारी पर कैसे कंट्रोल किया है। उल्टा वे भारत सरकार की भूमिका पर ही सवाल उठा रहे हैं। यह कोई नई बात नहीं है। बात-बात में भारत को नीचा दिखाना पश्चिमी मीडिया की पुरानी आदत है।
पश्चिमी मीडिया में कुछ लोग हैरान हैं कि भारत में हजारों लोगों की जान क्यों नहीं गई, वह भी ऐसे समय में जब दुनिया में सबसे अच्छे हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर का दावा करने वाले अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, स्पेन और फ्रांस जैसे देशों में हजारों लोग मारे गए हैं। पश्चिमी मीडिया इस बात को पचा नहीं पा रहा है कि भारत के बड़े-बड़े शहरों की झुग्गियों में रहने वाले हजारों लोग मौत के मुंह में जाने से बचे हुए हैं जबकि यहां आधुनिक अस्पतालों की संख्या भी कोई बहुत ज्यादा नहीं हैं।
भारत की आलोचना करने वाले पश्चिमी मीडिया के लोगों को एक फ्रांसीसी परिवार से कुछ सीखना चाहिए, जो लॉकडाउन के चलते पिछले 23 दिनों से उत्तर प्रदेश के महाराजगंज जिले के एक गांव में रह रहा है। यह परिवार अपनी आरवी (रीक्रिएशनल वीइकल) में दुनिया भर की यात्रा करने के लिए निकला था। इसने 1 मार्च को वाघा बॉर्डर पार करके भारत में दाखिल हुआ। इसके बाद यह परिवार नेपाल जाता और फिर वहां से म्यांमार, थाईलैंड और इंडोनेशिया की यात्रा पर निकल पड़ता।
22 मार्च को यह फ्रांसीसी परिवार नेपाल सीमा के पास महाराजगंज पहुंचा, लेकिन लॉकडाउन के चलते इसे नेपाल में प्रवेश करने की इजाजत नहीं मिली। तब से यह परिवार भारत-नेपाल सीमा से 30 किमी दूर स्थित कोल्हुआ गांव में रह रहा है। मंदिर के पुजारी समेत गांववाले उनके खाने-पीने के साथ-साथ बाकी की जरूरतों का ध्यान रख रहे हैं। इस फ्रांसीसी परिवार की महिला सुरक्षित यात्रा के लिए भगवान हनुमान से प्रार्थना करते भी देखी गई हैं।
भारत और भारत के लोगों का जादू ही ऐसा है। अमेरिका, ब्रिटेन, इटली, स्पेन और फ्रांस की जनसंख्या कुल मिलाकर 52.2 करोड़ है और यहां कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या लगभग 17.6 लाख है। इन देशों में कुल मिलाकर अब तक 1.3 लाख से ज्यादा लोग मारे गए हैं।
इन आंकड़ों की तुलना 133 करोड़ की आबादी वाले भारत से करें तो यहां कोरोना वायरस से संक्रमण के मामलों की संख्या लगभग 30,000 है और मृत्यु का आंकड़ा तीन अंकों (939) में है। यदि पश्चिमी मीडिया को भारत के आंकड़ों पर शक है तो कोई क्या कर सकता है। हम अपने कोरोना वॉरियर्स, डॉक्टरों और नर्सों को सलाम करते हैं, जिन्होंने महामारी को नियंत्रण में रखने के लिए शानदार काम किया है। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 27 अप्रैल, 2020 का पूरा एपिसोड