Rajat Sharma’s Blog: चीन की जेनहुआ डेटा कंपनी से जुड़े लोगों के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं
हाइब्रिड वॉरफेयर एक प्रकार का छद्म युद्ध या प्रॉक्सी वॉर है जिसका उद्देश्य दुश्मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व हासिल करना है। हाइब्रिड वॉर में पारंपरिक युद्ध के साथ साइबर युद्ध और मनोवैज्ञानिक युद्ध को मिलाया जाता है। यह लड़ाई हथियारों से नहीं लड़ी जाती।
सोमवार को हुआ यह रहस्योद्घाटन कि एक चीनी कंपनी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल की मदद से 10,000 से ज्यादा भारतीयों, जिनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, बड़े राजनेता और उनके करीबी लोग शामिल हैं, के डेटा को इकट्ठा करने और उनकी मूवमेंट पर नजर रखने में लिप्त रही है, एक बड़ी चिंता का कारण बन गया है।
चीनी कंपनी जेनहुआ डेटा इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक टेक्नोलॉजी फर्म है जिसका हेडक्वॉर्टर शेनजेन में है। यह कंपनी चीन की खुफिया, सैन्य और सुरक्षा एजेंसियों के साथ काम करने का दावा करती है। कंपनी ने इन टूल्स को भारतीय राजनेताओं, सैन्य अधिकारियों, मून मिशन और मार्स मिशन के वैज्ञानिकों, परमाणु ऊर्जा विशेषज्ञों, उद्योगपतियों, मुख्यमंत्रियों और ओपिनियन मेकर्स की निगरानी के लिए डिजाइन करके काम में लगाया था। इस लिस्ट में तमाम सांसदों, विधायकों और कई शहरों के महापौरों के नाम शामिल हैं।
कोई भी आसानी से अंदाजा लगा सकता है कि चीनी खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां भारत के VVIPs से जुड़ीं इन तमाम जानकारियों का क्या करती होंगी। घरेलू नीतियों को प्रभावित करने के इरादे से इन जानकरियों के इस्तेमाल से कहीं ज्यादा बड़ा खतरा मनोवैज्ञानिक युद्ध का है। चीनी कंपनी ने उन लोगों का डेटा इकट्ठा किया है जो भारत की हुकूमत में असर रखते हैं।
कंपनी ने जिन लोगों का डेटा इकट्टा किया है उनकी लिस्ट दिमाग को हिलाकर रख देने वाली है: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, शिवराज सिंह चौहान, अशोक गहलोत, कैप्टन अमरिंदर सिंह, योगी आदित्यनाथ, नवीन पटनायक, हेमंत सोरेन, त्रिवेंद्र रावत, उद्धव ठाकरे, लगभग 350 सांसद, सीडीएस जनरल बिपिन रावत, तीनों सेनाओं के प्रमुख, सशस्त्र बलों के लगभग 60 वरिष्ठ सेवारत अधिकारी और सशस्त्र बलों से रिटायर हो चुके 15 सीनियर अफसर। इस लिस्ट में भारत के चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे, जस्टिस ए. एम. खानविलकर, सीएजी जी. सी. मुर्मू, उद्योगपति रतन टाटा और गौतम अडानी के नाम भी शामिल हैं। मकसद साफ है: चीनी कंपनी डेटा इकट्ठा करके उसे रिसर्च के लिए चीनी खुफिया एजेंसियों को सौंप रही थी। इसे 'हाइब्रिड वॉरफेयर' कहा जाता है।
इस चीनी कंपनी की स्थापना अप्रैल 2018 में हुई थी। कंपनी के चीन के विभिन्न शहरों में लगभग 20 प्रोसेसिंग सेंटर्स हैं। चीनी सरकार और चीनी सेना इसके सबसे बड़े क्लाइंट्स हैं। कंपनी राजनीति, व्यापार, न्यायपालिका, सरकार, प्रौद्योगिकी, मीडिया और सिविल सोसाइटी से जुड़े लोगों को टारगेट करती है। कंपनी इनमें से हरेक शख्स की सोशल मीडिया पर की जा रही गतिविधियों पर बारीकी से नजर रखती है: वे सोशल मीडिया पर क्या लिख रहे हैं, क्या लाइक कर रहे हैं और लोग उनकी पोस्ट पर क्या कमेंट कर रहे हैं। कंपनी इन लोगों की लाइव लोकेशन ट्रैक करती है, उनकी फ्रेंड लिस्ट पर नजर रखती है: कुल मिलाकर यह कंपनी किसी शख्स के सारे डिजिटल फुटप्रिंट्स पर नजर रखती है। इस डेटा के आधार पर कंपनी एक इंफॉर्मेशन लाइब्रेरी तैयार करती है और इसे चीनी सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा किया जाता है। ये सारी गतिविधियां भारत के सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2011 के प्रमुख प्रावधानों का साफ तौर से उल्लंघन करती हैं।
हाइब्रिड वॉरफेयर एक प्रकार का छद्म युद्ध या प्रॉक्सी वॉर है जिसका उद्देश्य दुश्मन पर मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व हासिल करना है। हाइब्रिड वॉर में पारंपरिक युद्ध के साथ साइबर युद्ध और मनोवैज्ञानिक युद्ध को मिलाया जाता है। यह लड़ाई हथियारों से नहीं लड़ी जाती। इसका उद्देश्य दुश्मन देश के लोगों की सोच में बदलाव लाना होता है। हाइब्रिड वॉर के तहत अफवाहें, गलत जानकारियां और फेक न्यूज फैलाई जाती है और इसका मकसद सेना का इस्तेमाल किए बिना प्रभुत्व हासिल करना होता है। उदाहरण के लिए, 2006 में लेबनान युद्ध के दौरान हिजबुल्लाह ने मनोवैज्ञानिक युद्ध के तहत गलत जानकारियों और तथ्यों का इस्तेमाल किया था और आम जनता को गुमराह किया था।
जेनहुआ डेटा इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी सिर्फ भारत के नेताओं का डेटा इकट्ठा नहीं कर रही है। चीन ने एक विशाल वैश्विक डेटाबेस बनाया है जिसका इस्तेमाल खुफिया ऑपरेशन के लिए किया जाता है। चीन दुनिया भर के 24 लाख लोगों की जासूसी कर रहा था जिनमें से लगभग 10,000 भारत के हैं। यह चीनी कंपनी ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री समेत देश के 35 हजार लोगों की जासूसी कर रही थी। कंपनी की लिस्ट में अमेरिका के बड़े राजनेताओं और उद्योगपतियों समेत देश के कुल 52 हजार लोगों के नाम शामिल हैं। जेनहुआ डेटा चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और इसकी सुरक्षा एजेंसियों से सीधे जुड़ी हुई है। भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, कनाडा, इंडोनेशिया और मलेशिया ऐसे कुछ देश हैं जहां यह कंपनी जासूसी में शामिल रही है। इस कंपनी ने भारत में आतंकवाद, नशीले पदार्थों की तस्करी, वित्तीय गड़बड़ी और भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों का डेटा भी इकट्ठा किया है। चीन भारत के इन दुश्मनों को आसानी से ब्लैकमेल कर सकता है।
मुझे उम्मीद है कि कम्युनिकेशंस और आईटी मिनिस्ट्री जासूसी करने और डेटा इकट्ठा करने के काम में लिप्त इस चीनी कंपनी से जुड़े लोगों के नापाक मंसूबों को ध्वस्त करने के लिए सख्त कदम उठाएगी और उन्हें उनके अंजाम तक पहुंचाएगी। यह काम जितनी जल्दी हो उतना ही अच्छा होगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 सितंबर, 2020 का पूरा एपिसोड