इंडिया टीवी ने शुक्रवार रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में दिल्ली के शाहीन बाग इलाके के मुस्लिम बच्चों (पहचान छिपाने के लिए चेहरों को धुंधला कर दिया गया) के 3 वीडियो प्रसारित किए थे, जिनमें वे नागरिकता संशोधन अधिनियम और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ भड़काऊ टिप्पणियां कर रहे थे। ऐसा लगता है कि इन बच्चों को या तो ब्रेनवॉश किया गया था या उन्हें ये भड़काऊ बातें रटाई गई थीं।
वीडियो में हमने देखा कि जब कुछ बच्चों को जवाब नहीं सूझा तो वे अपने पीछे बैठे वयस्कों से पूछने के लिए पीछे की तरफ मुड़ गए। ये वयस्क बच्चों को वे बातें रटाते हुए देखे गए जो वे कैमरे पर बताना चाहते थे। जाहिर-सी बात है, कुछ लोग निहित स्वार्थों के चलते बच्चों का शोषण कर रहे हैं ताकि भावनाओं को भड़काकर राजनीतिक रोटियां सेंकी जा सकें।
आमतौर पर जब भी ऐसी कोई घटना सामने आती है तो मीडिया, अदालतों या पार्लियामेंट के जरिए राजनीतिक एजेंडे के लिए बच्चों का शोषण नहीं करने की अपील की जाती है। बच्चे स्वभावत: मासूम होते हैं, उनके दिल की स्लेट पर कुछ भी बड़ी आसानी से लिखा जा सकता है। इसलिए उनके दिमाग में नफरत पैदा करना और गलत दिशा को पकड़ने के लिए ब्रेनवॉश करना अमानवीय है।
कानूनन बच्चों के खिलाफ अपराध में कड़े कदम तब उठाए जाते हैं जब भी कोई उनका शोषण, उत्पीड़न, पिटाई या उन्हें अपमानित करता है या उनसे जबरन मजदूरी करवाता है। मेरा मानना है कि राजनीति के लिए और सांप्रदायिक भावनाओं को उकसाने के लिए बच्चों का शोषण एक बड़ा अपराध माना जाना चाहिए।
बड़े लोग अपनी बात कह सकते हैं, धरने पर बैठ सकते हैं, सरकार की नीतियों की आलोचना कर सकते हैं और सख्त शब्दों का इस्तेमाल भी कर सकते है। लेकिन लोगों की भावनाओं को भड़काने के लिए बच्चों का इस्तेमाल न सिर्फ अन्याय है बल्कि उनके प्रति क्रूरता भी है। इसलिए सबसे पहले तो इन बच्चों के माता-पिता को कोशिश करनी चाहिए कि वो इसे रोकें, और यदि वे ऐसा नहीं कर पाते हैं, तो जो लोग बच्चों से ऐसा काम करवाते हैं उनके खिलाफ ऐक्शन जरूर लेना चाहिए। (रजत शर्मा)
देखिए, 'आज की बात' रजत शर्मा के साथ, 17 जनवरी 2020 का पूरा एपिसोड
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