Rajat Sharma’s Blog: हिंसा भड़काने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए
औसत मुसलमान इस पूरी कवायद को शक की नजर से देख रहा है, और यही वजह है कि लोगों की भावनाओं से खेलने की चाह रखने वाले राजनीतिक धड़े इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश के कई शहरों में शुक्रवार को CAA के विरोध में हुए हिंसक प्रदर्शनों में 11 लोग मारे गए और कई घायल हो गए। यूपी पुलिस ने हालांकि मरने वालों की संख्या तब 6 बताई थी। दिल्ली में जामा मस्जिद के पास शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन हुआ लेकिन दिन का खात्मा दरियागंज के पास आगजनी और पथराव के साथ हुआ। अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए उत्तर प्रदेश सरकार ने लखनऊ और वाराणसी सहित 21 जिलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद कर दिया। जबलपुर (एमपी) और वडोदरा (गुजरात) से भी हिंसा की घटनाएं सामने आईं।
शुक्रवार को यूपी में हुए नागरिकता कानून विरोधी हिंसक प्रदर्शनों में अधिकांश समाजवादी पार्टी के गढ़ माने जाने वाले इलाकों में हुए। बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने दिन में पहले ही कह दिया था कि उनकी पार्टी के लोग पथराव और तोड़फोड़ करने वाले अन्य दलों के विपरीत शांतिपूर्वक विरोध करेंगे। यूपी में हुई पुलिस फायरिंग में लोगों की मौत दुखद है, लेकिन विरोध प्रदर्शनों के लिए उकसाने वाले राजनीतिक नेताओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जरूरत है।
मैं जामा मस्जिद के पास शुक्रवार को विरोध प्रदर्शन के दौरान शांति सुनिश्चित करने के प्रयासों के लिए दिल्ली पुलिस की तारीफ करना चाहूंगा। एक भी पत्थर नहीं फेंका गया और स्थानीय मुस्लिम मौलवियों की अपील के बाद प्रदर्शनकारी तितर-बितर हो गए। शाम को दरियागंज में एक कार में आग लगा दी गई, और मुझे स्थानीय मुस्लिम नेताओं ने बताया है कि आगजनी की इस हरकत को अंजाम देने के लिए वहां कुछ बाहरी लोग आए थे।
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को एक वीडियो संदेश में कहा कि ‘लोगों की आशंकाएं वास्तविक और वैध हैं’। नोटबंदी का जिक्र करते हुए सोनिया गांधी ने कहा कि CAA सभी व्यक्तियों को अपने और अपने पूर्वजों की नागरिकता साबित करने के लिए कतारों में खड़े होने के लिए मजबूर कर देगा जबकि एनआरसी का निशाना गरीब लोग होंगे। ठीक ऐसी ही बातें उनकी बेटी प्रियंका वाड्रा द्वारा की गईं जिन्होंने इसे एक अमीर बनाम गरीब का मुद्दा बनाया और कहा कि गरीब लोगों को उनकी नागरिकता साबित करने की कोशिश में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
प्रियंका वाड्रा ने मुसलमानों के मन में जो डर पैदा किया है, वही बातें कहकर पिछले 2 हफ्तों से मुसलमानों को डराया जा रहा है। कई दिन बाद गृह मंत्रालय को यह बात समझ में आई कि लोगों के मन में डर है, और उसे शुक्रवार को स्पष्टीकरण जारी करना पड़ा कि जन्म की तारीख और जन्म स्थान का उल्लेख करने वाला सिर्फ एक दस्तावेज भी किसी की नागरिकता साबित करने के लिए पर्याप्त होगा। इन दस्तावजों में आधार कार्ड, पैन कार्ड, स्कूल छोड़ने का प्रमाण पत्र या ऐसी ही अन्य चीजें शामिल हैं। लोगों को अपनी या अपने माता-पिता का बर्थ सर्टिफिकेट देने की कोई जरूरत नहीं होगी। जिनके पास ये दस्तावेज नहीं हैं, वे अपने समुदाय के किसी सदस्य से हलफनामा जमा करवा सकते हैं। यदि माता-पिता में से कोई एक भारतीय है, तो बच्चे को भारतीय नागरिक माना जाएगा।
ये स्पष्टीकरण मददगार हैं, लेकिन मुसलमानों और सरकार के बीच विश्वास की भारी कमी दिखाई देती है। लोगों के मन में विश्वास की भावना पैदा करनी होगी ताकि वे सरकार के आश्वासनों पर भरोसा कर सकें। औसत मुसलमान इस पूरी कवायद को शक की नजर से देख रहा है, और यही वजह है कि लोगों की भावनाओं से खेलने की चाह रखने वाले राजनीतिक धड़े इसका पूरा फायदा उठा रहे हैं। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 20 दिसंबर 2019 का पूरा एपिसोड