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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma Blog: सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला एक स्वागत योग्य कदम है

Rajat Sharma Blog: सबरीमाला मंदिर पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला एक स्वागत योग्य कदम है

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश एवं पूजा करने की इजाजत दे दी।

Rajat Sharma Blog: Supreme Court's historic verdict on Sabarimala shrine is a welcome step- India TV Hindi Rajat Sharma Blog: Supreme Court's historic verdict on Sabarimala shrine is a welcome step

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केरल के प्रसिद्ध सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश एवं पूजा करने की इजाजत दे दी। ऐसा करके कोर्ट ने 800 साल पुरानी उस परंपरा को बदल दिया जिसके तहत 10 साल से लेकर 50 साल तक की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी। 4-1 के बहुमत से दिए गए अपने फैसले में संवैधानिक पीठ ने कहा कि मंदिर में महिलाओं को प्रवेश से रोकना उनके लिए ‘अपमानजनक’ है। पीठ ने कहा कि ‘धर्म में पितृसत्तात्मकता को आस्था पर हावी होने की इजाजत नहीं दी जा सकती।’

सुप्रीम कोर्ट का फैसला एक स्वागत योग्य कदम है। किसी भी धार्मिक या सांस्कृतिक परंपरा का, चाहे वह कितनी भी पुरानी क्यों न हो, सिर्फ इस आधार पर समर्थन नहीं किया जा सकता कि वह 800 साल पुरानी है। संस्कृति एवं परंपराएं समय के साथ बदलती रहती हैं, और लोगों के सोचने के तरीके में भी बदलाव की जरूरत होती है।

एक ऐसे समय में जब महिलाएं लड़ाकू विमान उड़ा रही हैं, अंतरिक्ष को नाप रही हैं और ऐतिहासिक अविष्कारों पर काम कर रही हैं, हमारी रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दे रही हैं, मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर लगाई गई रोक को हतोत्साहित करने की जरूरत है। ऐसा प्रतिबंध किसी भी तर्क से परे है। भारत में ऐसे कई अन्य मंदिर हैं जहां महिलाओं को प्रवेश की इजाजत नहीं है। ऐसे मंदिरों के प्रबंधन को सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विचार करना चाहिएष और उन्हें खुद ही महिला श्रद्धालुओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत देनी चाहिए।

मैं यहां पर यह भी कहना चाहूंगा कि ऐसी गलत परंपराएं न सिर्फ हिंदू मंदिरों बल्कि अन्य धर्मों से जुड़े धर्मस्थलों से भी खत्म होनी चाहिए। यदि इन धर्मस्थलों का प्रबंध देखने वाले खुद ही ऐसी पहल करें तो यह ज्यादा अच्छी बात होगी। हम 21वीं सदी में जी रहे हैं, और हम अपनी आधी आबादी को बराबरी के हक से वंचित नहीं रख सकते। (रजत शर्मा)

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